Rythu Bandhu Scheme : भारत निर्वाचन आयोग ने तेलंगाना चुनाव के मतदान से पहले भारत राष्ट्र समिति को तगड़ा झटका दिया है. जी हां, आयोग की ओर से तेलंगाना के KCR सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक योजना पर रोक लगा दी है. निर्वाचन आयोग ने सोमवार को रायथु बंधु योजना के तहत रबी फसलों के लिए किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की किस्त बांटने के लिए तेलंगाना सरकार को दी गयी अनुमति वापस ले ली.
बता दें कि आयोग की ओर से यह फैसला तब लिया गया जब राज्य के वित्त मंत्री टी. हरीश राव ने इस योजना की सार्वजनिक घोषणा एक मंच से की. ऐसा करने से आचार संहिता का उल्लंघन हुआ. इसलिए आयोग ने इस योजना को अभी के लिए रोक दिया है. निर्वाचन आयोग ने राज्य में भारत राष्ट्र समिति की सरकार को कुछ आधारों पर आचार संहिता के दौरान किस्त का भुगतान करने की मंजूरी दी थी. वहीं, सरकार को आचार संहिता के दौरान इसे लेकर प्रचार नहीं करने के लिए कहा गया था.
रायथु बंधु योजना को किसान निवेश सहायता योजना (FISS) के रूप में भी जाना जाता है, और यह 2018 में तेलंगाना सरकार द्वारा शुरू किया गया किसानों के लिए एक कल्याण कार्यक्रम है. इस योजना के तहत, राज्य सरकार ने तेलंगाना में 58 लाख किसानों को दो फसलों के लिए कृषि निवेश के रूप में प्रति एकड़ 5,000 रुपये प्रदान किए. यह निवेश साल में दो बार किया जाता है, एक बार खरीफ की फसल के लिए और एक बार रबी की फसल के लिए.
रायथु बंधु योजना देश की पहली प्रत्यक्ष किसान निवेश सहायता योजना है जहां लाभार्थी को सीधे नकद भुगतान किया जाता है. इस योजना की शुरुआत 2018 में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने की थी और इस योजना के लिए राज्य के बजट से ₹12,000 करोड़ आवंटित किए गए थे.
बता दें कि तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए 30 नवंबर को मतदान होगा. निर्वाचन आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को अपनी अनुमति वापस लेने के फैसले के बारे में सूचित किया. वित्त मंत्री ने किस्तों का भुगतान जारी करने के बारे में सार्वजनिक घोषणा की थी. उन्होंने कथित तौर पर कहा था, “किस्त सोमवार को दी जाएगी. किसानों का चाय-नाश्ता खत्म होने से पहले उनके खाते में राशि जमा हो जाएगी.”
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जानकारी हो कि चुनाव आयोग ने केसीआर के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार को कुछ आधारों पर आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान रबी किस्त का भुगतान करने की मंजूरी दे दी थी. शर्त के तहत राज्य को चुनाव आचार संहिता के दौरान संवितरण का प्रचार नहीं करने को कहा गया था. लेकिन राज्य के वित्त मंत्री के द्वारा इस आधार का उल्लंघन किया गया जिसके बाद आयोग ने यह फैसला लिया है.