नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को पत्र लिख कर उनसे बातचीत को लेकर तारीख और समय बताने को कहा है. साथ ही उन्हें उन अन्य मुद्दों की जानकारी देने के लिए भी कहा गया है, जिन पर वो वार्ता करना चाहते हैं.
Govt writes to agitating farmers, asking them to decide the date and time for the next round of talks. "Govt is committed to reaching logical solutions of the issues raised by you," it reads. pic.twitter.com/tBglPwi8fs
— ANI (@ANI) December 24, 2020
किसानों को लिखे पत्र में सरकार ने कहा है कि भारत सरकार के लिए देश के समस्त किसान संगठनों के साथ वार्ता का रास्ता खुला रखना आवश्यक है. किसान संगठनों एवं किसानों की बात सुनना सरकार का दायित्व है. सरकार इससे इनकार नहीं कर सकती है.
पत्र में कहा गया है कि कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीदी से कोई संबंध नहीं है. साथ ही कहा गया है कि ना ही इन तीन कानूनों के आने से पूर्व से जारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीदी की व्यवस्था पर कोई प्रभाव है.
एमएसपी को लेकर कहा गया है कि इस बात का उल्लेख वार्ता के हर दौर में किया गया है. साथ ही सरकार ने कहा है कि न्यूनतम समर्थन पर खरीदी की वर्तमान व्यवस्था के लागू रहने के संबंध में लिखित आश्वासन देने को वह तैयार है.
एमएसपी को लेकर नये कृषि कानूनों से परे कोई नयी मांग रखना या बातचीत में शामिल किये जाने को सरकार ने तर्कसंगत नहीं बताया है. इसके बावजूद पूर्व में उल्लेखित किसान संगठनों द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों पर वार्ता के लिए तैयार है.
विद्युत संशोधन अधिनियम तथा पराली को जलाने से संबंधित प्रावधानों पर भी सरकार तीन दिसंबर को हुई बैठक में चिह्नित मुद्दों पर दिये गये प्रस्ताव के अतिरिक्त अन्य दूसरे मुद्दों पर भारत सरकार बातचीत के लिए तैयार है.
सरकार ने कहा है कि आंदोलन समाप्त करने और मुद्दों पर बातचीत की जा रही है और आगे भी बातचीत को वह तैयार है. किसान संगठन सुविधा अनुसार तिथि एवं समय बताएं. साथ ही, किसान संगठनों से उन मुद्दों का विवरण भी मांगा है, जिन मुद्दों पर वह बात करना चाहते हैं.