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जानिए निर्भया के दरिंदों ने सजा से बचने के लिए कितनी बार बदले कानूनी पैंतरे

निर्भया गैंगरेप मामले में दोषी पाए गए चार लोगों के लिए गुरुवार को फांसी की सजा से बचने के लिए कई कानूनी दांव पेंच बदले, पर उनके हाथ कुछ भी न आया. अब वो फांसी से चंद घंटे दूर हैं. 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली बस में एक युवती के साथ. 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली बस में एक युवती के साथ बर्बरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म किया था. बाद में किसी तरह उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया.

नई दिल्ली : निर्भया गैंगरेप मामले में दोषी पाए गए चार लोगों के लिए गुरुवार को फांसी की सजा से बचने के लिए कई कानूनी दांव पेंच बदले, पर उनके हाथ कुछ भी न आया. अब वो फांसी से चंद घंटे दूर हैं.16 दिसंबर 2012 को दिल्ली बस में एक युवती के साथ बर्बरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म किया था. बाद में किसी तरह उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया. वहाँ निर्भया की हालत में सुधार न होते देखे उसे 26 दिसम्बर 2012 को सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसने 29 दिसम्बर 2012 को जिंदगी और मौत से लड़ते हुए अंतिम सांसें ली.

इस क्रुर घटना के बाद छह आरोपियों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले का पहला आरोपी बस ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ जेल में ही खुदकुशी कर ली थी. वहीं नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस के तहत बाल सुधार गृह में 3 साल के बाद 20 दिसंबर 2015 को रिहा कर दिया गया. 11 साल का जुवेनाइल अपने घर की तंग हालत की वजह से घर से भागकर दिल्ली आ गया था. वहीं अब चार दोषियों में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को फांसी की सजा सुनाने की मांग देश के कोने-कोने से उठ रही थी.

अन्य चार दोषियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश कुमार को सितंबर 2013 को फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन वे कानून की खामियों का फायदा उठाकर बार-बार सजा पर अमल रुकवाने में कामयाब हो रहे हैं. दोषी विनय शर्मा, मुकेश व पवन ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी जबकी चौथे दोषी अक्षय कुमार ने पारिवारिक स्थिति का सहारा लेकर पुनर्विचार याचिका दायर ही नहीं की थी.

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद निर्भया के चारों आरोपियों को 22 जनवरी 2020 को सुबह साथ बजे फांसी तय की गई, इस मामले की सुनवाई तिहाड़ जेल के रूम नंबर 4 से वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई. जहां जज ने चारों आरोपियों से अलग अलग बात की और सबको अपना पक्ष रखने का मौका देने के बाद अब ये बड़ा फैसला सुनाया गया.

दिल्ली हाईकोर्ट में दोषी मुकेश की सुनवाई के दौरान मुकेश के वकील ने कहा कि उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास थी. जिस पर कोई फैसला नहीं हुआ था, ऐसे में मुकेश के डेथ वारंट को रद्द किया जाना चाहिए था. सुनवाई के दौरान दिल्ली एएसजी और दिल्ली सरकार के वकील ने भी कहा कि दोषियों को तय तारिख को फांसी नहीं दी जा सकती. अगर अब राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर कोई फैसला लिया जाता है. तो ऐसे में राष्ट्रपति के फैसला देने के बाद दोषियों को 14 दिन का समय देना होगा. जिसके चलते अब निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकी.

पर निर्भया रेप व हत्या मामले में दोषी मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर दिया. राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश की फांसी की सजा को बरकरार रखने की सिफारिश की. गृह मंत्रालय ने यह याचिका राष्ट्रपति को भेजी थी. उसी दिन डेथ वारंट पर कोर्ट में सुनवाई होनी थी.

एक बार फिर निर्भया के दोषियों की फांसी पर लटकाने की तय तारीख टल गई. चारों दोषियों को 1 फरवरी को फांसी दी जानी थी. लेकिन पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी. सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा, उनके पास अभी कई कानूनी उपाय मौजूद है. जब तक सभी उपाय इस्तेमाल न हो जाये, तब तक फांसी नहीं दी जा सकती.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया के दोषियों को जल्द फांसी पर लटकाने वाली केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा है कि सभी दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया जाएगा. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि 7 दिन के भीतर सभी दोषी अपनी सारी वैकल्पिक कानूनी उपायों को आजमा लें.

एक बार फिर निर्भया गैंगरेप केस के दोषियों को फांसी दिए जाने के लिए नई तारीख मुकर्र कर दी गई. पटियाला हाउस कोर्ट ने करीब एक घंटे तक चली मामले की सुनवाई के बाद दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए 3 मार्च की तारीख मुकर्रर की गई.

एक बार फिर निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषी अक्षय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से दया याचिका लगाई. फांसी से ठीक 3 दिन पहले अक्षय ने राष्ट्रपति के सामने याचिका दायर की. अब दायर की गई नई याचिका में अक्षय ने दावा किया कि पहले दायर की गई दया याचिका में सभी तथ्य नहीं थे.

फांसी से बचने के लिए दोषी अक्षय का यह नया पैंतरा था. ध्यान हो निर्भया के दोषियों को तीन मार्च सुबह करीब 6 बजे फांसी दी जानी थी. ये आदेश पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने नया डेथ वारंट जारी किए जाने की मांग वाली याचिका पर दिया था.

पवन गुप्ता ने याचिका में फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की. दोषी पवन गुप्ता ने अभी तक ना तो सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेविट याचिका लगाई थी और न ही राष्ट्रपति से दया की गुहार. वहीं वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन गुप्ता की ओर से याचिका में एक बार फिर घटना के वक्त नाबालिग होने की बात को उजागर किया गया है. एपी सिंह का कहना है कि घटना के वक्त पवन की उम्र 18 साल से कम थी और मौत की सजा उसे नहीं दी जानी चाहिए.

निर्भया गैंगरेप मामले में चारों दोषियों की फांसी पर पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी. पुराने डेथ वारंट के अनुसार सभी दोषियों को मंगलवार 3 मार्च सुबह छह बजे फांसी की सजा दी जानी थी. पर कोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल यह भी टल गई.

पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषी पवन ने याचिका दाखिल करके कहा है कि उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है इसलिए उसकी कल होने वाली उसकी फांसी की सजा पर रोक लगाई जाए. वहीं, गृह मंत्रालय ने बताया है कि राष्ट्रपति के पास भेजने जाने के लिए दोषी पवन की याचिका मिल गई है.

पर दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा खारिज कर दिया गया, इसके बाद से दोषियों के पास सभी कानून विकल्प खत्म हो गए.

पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा की अदालत ने दोषियों को अपना-अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. अभियोजन के वकील ने कहा कि अब दोषियों को नोटिस की कोई जरूरत नहीं है. लेकिन वहीं, अदालत ने कहा कि नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हिस्सा है और दूसरे पक्ष को सुने जाने को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

निर्भया की मां ने राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया निर्भया की मां ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज करने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि अब उन्हें इंसाफ मिलने की उम्मीद पूरी होने वाली है. वहीं कोर्ट ने चारों दोषियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच कराने और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को हस्तक्षेप करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया.

अब एक बार फिर इस दोषियों की मौत का दिन मुकरर्र कर दिया गया. दिल्ली की एक अदालत द्वारा जारी डेथ वारंट में 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी का प्रावधान किया गया था. लेकिन कोर्ट के इस फैसले के आगे दोषियों के वकील एपी सिंह खफा दिखे थे.

एपी सिंह ने कहा कि तीन बार दबाव में फांसी दी जा चुकी है और अब चौथी बार फिर फांसी दे रहे हैं. इतना ही नहीं कोर्ट के फैसले से बौखलाए वकील एपी सिंह ने कहा, “संविधान के रहते हुए कितनी बार फांसी दोगे, कितनी बार मारोगे इन लोगों को…ये आतंकवादी नहीं हैं, पढ़े-लिखे हैं और जेल में सुधर रहे हैं”.

निर्भया मामले में दोषी पाए गए अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता ने तलाक मामला हिन्दू विवाह अधिनियम 13.2.2 के अंतर्गत दायर किया. पुनीता ने अदालत में दायर अर्जी में लिखा है कि उसका पति निर्दोष है लेकिन न्यायालय के दृष्टिकोण से वो दोषी है. कानून के अनुसार बलात्कारी की पत्नी तलाक ले सकती है क्योंकि वो विधवा के रूप में जीने के लिए तैयार नहीं हैं.

निर्भया के दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने खरिज कर दिया है. इस बात की जानकारी देते हुए निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन की दूसरी क्यूरेटिव पिटीशन भी खारिज कर दिया है. आशा देवी ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि कल दोषियों को फांसी मिलेगी और निर्भया को इंसाफ मिलेगा.

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