नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी और अन्य सह-आरोपितों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर भी सवाल उठाये. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति की आजादी पर इस प्रकार बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा.
Supreme Court orders Republic TV editor-in-chief Arnab Goswami and other co-accused be released on interim bail. pic.twitter.com/WveX5XglSl
— ANI (@ANI) November 11, 2020
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति आई बनर्जी की पीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकारें अगर लोगों को निशाना बनाती हैं, तो उन्हें एहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जतायी कि कुछ लोगों को विचारधारा और मतभिन्नता को लेकर राज्य सरकारें निशाना बना रही हैं.
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिनमें उच्च न्यायालय जमानत नहीं दे रहे हैं और निजी स्वतंत्रता की रक्षा में विफल हो रहे हैं. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत थी. क्योंकि, यह निजी स्वतंत्रता का मामला है.
अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि विचारधारा कोई भी हो, लेकिन अगर सांविधानिक अदालत ऐसे मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा, तो हम बरबादी की ओर बढ़ रहे होंगे. साथ ही कहा कि प्राथमिकी पूरी तरह सच भी हो, लेकिन यह जांच का विषय है.
पत्रकार अर्नब गोस्वामी की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार उन्हें निशाना बना रही है. उन्होंने कहा कि यह सामान्य मामला नहीं था. सांविधानिक न्यायालय होने के नाते बंबई हाईकोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए था.
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह ऐसा मामला है जिसमे अर्णब गोस्वामी को खतरनाक अपराधिकयों के साथ जेल में रखा जाये. साथ ही कहा कि मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग करते हुए कहा कि अगर वह दोषी हैं, तो उन्हें सजा दीजिये. अगर अंतरिम जमानत दे दी जाये, तो क्या होगा.
मालूम हो कि चार नवंबर को गोस्वामी को मुंबई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में दो अन्य आरोपितों के साथ पत्रकार अर्नब गोस्वामी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया था. इसके बाद अदालत ने तीनों को 18 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.