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Tribal Welfare: जनजाति समाज के विकास के रोडमैप पर विशेषज्ञों ने किया मंथन

जनजाति समुदाय के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने 'आदिवासी संवाद: चुनौतियां और पहल' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में मंत्रालय के अधिकारी के अलावा समाज के दूसरे क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने जनजाति समाज के विकास को लेकर राय रखी.

Tribal Welfare: देश में जनजाति समुदाय की आबादी लगभग 10 करोड़ है. सरकार जनजाति समुदाय के समग्र विकास के लिए कई योजना चला रही है. जनजाति समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी जरूरतों को उपलब्ध कराने पर विशेष फोकस है. इस कड़ी में वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है. जनजाति समुदाय के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने ‘आदिवासी संवाद: चुनौतियां और पहल’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय की अपर सचिव आर जया ने भारत की जनजातियों की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास में संवैधानिक प्रावधानों के महत्व पर जोर दिया और कहा कि वर्ष 2047 तक सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिए मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं.

सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिए  मंत्रालय प्रशिक्षण कार्यशाला, मॉड्यूल, प्रचार अभियान चला रहा है. राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान की विशेष निदेशक और आईआईपीए की चेयर प्रोफेसर प्रोफेसर नूपुर तिवारी ने राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के तहत आयोजित सेमिनार की जानकारी देते हुए कहा कि भारत में जनजातियों को समझने के लिए बुनियादी ज्ञान, स्वतंत्रता के बाद से जनजातियों के विकास और कल्याण के लिए सरकार द्वारा अपनायी गयी नीति और दृष्टिकोण को समझना होगा. 

जनजाति समाज के बीच जागरूकता बढ़ाना जरूरी


पीजीआईसीएच, नोएडा स्थित बाल चिकित्सा हेमाटोलॉजी-ऑन्कोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉक्टर नीता राधाकृष्णन ने सिकल सेल रोग के उन्मूलन पर राष्ट्रीय मिशन के बारे में बात करते हुए कहा कि सिकल सेल रोग, आदिवासी समुदायों में इसकी व्यापकता, लक्षण, जटिलताएं, उपचार, जागरूकता और सरकार द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम की जानकारी मुहैया कराना बेहद जरूरी है. इसके लिए जनजाति समाज को जागरूक करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील डॉक्टर बीएम ज्योतिषी कहा कि अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की जानकारी समाज के बीच होना आवश्यक है. इस दौरान भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति को दिए गए राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों पर एक प्रेजेंटेशन पेश किया. गौरतलब है कि केंद्र और राज्य सरकार जनजाति समाज के कल्याण के लिए कई तरह की योजना चला रही है. 

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