*Aspirants के किरदार, कहानियां सब मेरी किताब से मिलते हैं. बस जगह और नाम बदलने की कोशिश हुई .
* डॉर्क हॉर्स किताब के राइट्स बिक चुके थे. कास्टिंग चल रही थी.
* हिंदी के कई लेखक साथ हैं लेकिन कुछ डर भी रहे हैं क्योंकि यह मुंबईया बहिष्कार है, खतरा तो है
पिछले दिनों TVF पर एक वेब सीरीज आयी Aspirants इसकी कहानी आईएस का सपना लेकर दिल्ली तैयारी करने आये छात्रों पर थी. इस विषय पर अपनी पहली किताब डार्क हॉर्स लिखकर नीलोत्पल मृणाल ने साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2016 अपने नाम किया है.. अब इस विषय पर बनी वेब सीरीज भी खूब सफल रही है.
इस वेब सीरीज पर कॉपीराइट का आरोप लगाते हुए नीलोत्पल मृणाल ने एक पोस्ट सोशल मीडिया पर लिखा, यहां से सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गयी. अब मामला कोर्ट में है, TVF को नोटिस भेजा जा चुका है और उन्होंने सहयोग का भरोसा भी दिया है. इस पूरे मामले पर साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल से प्रभात खबर डॉट कॉम ने बात की और इस पूरे विवाद को समझने की कोशिश की. पढ़ें उनसे बातचीत के प्रमुख अंश
जवाब- बिल्कुल संघर्ष एक जैसा हो सकता है लेकिन एक जैसा कोचिंग हो सकता, एक जैसा कमरा हो सकता है, एक जैसे दोस्तों के साथ होने वाली बैठकी हो सकती है लेकिन बातचीत, किरदारों के पीछे की कहानी उनका अपना संघर्ष तो अलग – अलग होता है, कहानियां सबकी अलग है. दो जुड़वा भाई का संघर्ष एक जैसा नहीं है. यह गणित तो है नहीं कि हर बार जवाब एक ही होगा.
मेरे किताब की कहानी चार किरदारों के आसपास घूमती है. उनकी वेबसीरीज की कहानी में भी वही है. वेबसीरीज और किताब का हर किरदार एक दूसरे से मिलता है, उसका स्वभाव, बनावट, भावनाएं, उनके फैसले. अब संदीप का किरदार ही देखिये, गुरू से बिल्कुल मिलता है. हर किरदार उसी तरह के पेशे में अपना भविष्य बनाता है, जैसा मेरी किताब में है. इन्होंने थोड़ा बहुत प्लॉट बदला है. चार दोस्तों की समूह में क्या जरूरी है कि एक दोस्त का अधूरा प्यार हो, वो भी उसका जो किरादर के लिहाज से सबसे मजबूत है. मेरी किताब में भी गुरू के जीवन में मयूराक्षी थी इस वेब सीरीज में संदीप के जीवन में कुसुम है. ये कैसे हो सकता है ?
मैं कसम खाकर कहता हूं अगर वेब सीरीज के लेखक ने अपनी टेबल पर डार्क हॉर्स रखकर नहीं लिखा होगा तो मैं लिखना छोड़ दूंगा. वेब सीरीज के लेखक पर डॉर्क हॉर्स का इतना असर है कि उसने नाम में भी ज्यादा बदलाव नहीं किये. मेरे कृपा शंकर राय ( केएस ) को यहां एस. के कर दिया.
जवाब – भारत में कॉपीराइट का कानून कमजोर है. अगर आपका मुर्गा चोरी हुआ, तो हमें चिकन चिल्ली पर लड़ाई लड़नी है कि ये हमारी है, अब इसकी शक्ल तो मिलाकर देखी नहीं जा सकती ? इस पर मजबूत कानून होना चाहिए. फिल्म बनानी वाली कंपनियां कोरोड़ों कमाती है, एक लेखक के लिए लड़ना मुश्किल होता है. अगर पाठकों के बीच लेखक थोड़ा लोकप्रिय है, तो उसे समर्थन करने वाले कुछ लोग मिल जाते हैं. जिसके पास संसाधनों की कमी है, पैसे की कमी है वो हार जाता है, लड़ने की सोचता तक नहीं
Also Read: जिन्हें कोरोना नहीं हुआ क्या उन्हें भी है ब्लैक फंगस का खतरा, पढ़ें क्या है एक्सपर्ट की राय
जवाब- मेरी एक समारोह में एस्पिरेंट” के क्रियेटर अरूणाभ जी से मुलाकात हुई थी. वो मुझे जानते हैं. वेब सीरीज के संबंध में उनसे कोई बात नहीं हुई. मैंने फेसबुक पर तस्वीर के साथ इसलिए यह जानकारी दी क्योंकि वो ये ना कहें कि वो मुझे नहीं जानते, वो जानते थे कि मैंने इस विषय पर किताब लिखी है, वेब सीरीज बनाते वक्त, एडटिंग के वक्त एक बार बात कर लेते. अब हमने कानूनी नोटिस TVF को भेजा है इस पर उन्होंने जवाब दिया है.
जवाब- जिस वेब सीरीज को 17 मिलियन से लेकर 25 मिलियन देखा जा रहा है, उसका प्रचार नीलोत्पल मृणाल को करने की क्या जरूरत है, कितना बढ़ जायेगा. लेखक और कंपनी के बीच की लड़ाई में ऐसे लोगों को टिप्पणी ही नहीं करनी चाहिए जो साहित्य नहीं समझते या इस पूरे विवाद का मकसद नहीं समझते . मेरी किताब जितनी बिकी है, वह भी रिकार्ड है. आज भी मेरी किताब तो हर महीने पांच हजार बिकती है, ऐसा तो नहीं है कि इस विवाद के बाद मेरी एक लाख किताब बिक गयी. इससे क्या फायदा होगा मुझे.
जवाब – हां कई लोग साथ हैं लेकिन कई लोग नहीं भी हैं. वो लोग साथ नहीं है जिन्हें लगता है कि इस लड़ाई में मेरे साथ आने से उनकी कहानियों पर फिल्में नहीं बनेगी. मुंबई जगत नाराज हो जायेगा. ये खतरा तो रहता ही है. मेरी किताब डॉर्क हॉर्स के राइट बिक चुके थे. अब इस विवाद के बाद संभव है कि उस पर फिल्म या वेब सीरीज बनने में परेशानी हो. एक लेखक के तौर पर इसमें मेरा सबसे ज्यादा नुकसान है. जिसे लिखने में मैंने वक्त और ऊर्जा खत्म की वो कहानी तो कह दी गयी. अब इस लड़ाई में जो पैसे खर्च होंगे मेरे होंगे, मानसिक परेशानी मेरी होगी, मेरा तो नुकसान ही है इसमें.
Also Read: कोरोना वायरस साजिश या गलती से फैला संक्रमण? कहां से शरू हुआ प्रसार ? खुफिया रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे
जवाब – मैं अपने पाठकों से आर्थिक या साइबर बुलिंग के लिए सहयोग नहीं चाहता. मेरे जो पाठक हैं, जिन्हें यह लगता है कि मेरी कहानी चोरी हुई है, उनसे बस मेरी अपील है कि मेरा नैतिक समर्थन करें. बस वो उस चर्चा को उठायें.
वो TVF को अनुरोध करें को वो इस तरफ ध्यान दे . अगर वैसे लेखक जिनकी किताबें कम बिकी हैं, कल को उनकी कहानी चोरी होती है, तो कैसे वो अपनी लड़ाई लड़ेंगे. कम से कम मैंने कुछ हासिल किया है कि आज मेरी बात उठायी जा रही है, इसकी चर्चा हो रही है. हिंदी जगत को भी यह सोचना चाहिए कि ऐसा किसी के साथ ना हो, सबको एकजुट होना चाहिए क्योंकि आज ये मेरे साथ हुआ कल किसी और के साथ भी हो सकता है.
PANKAJ KUMAR PATHAK