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लद्दाख को चीन का हिस्सा दिखाने को लेकर Twitter ने मांगी लिखित माफी : मीनाक्षी लेखी, कहा- माह के अंत तक हो जायेगा सुधार

सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने लद्दाख को गलत ढंग से चीन के हिस्से के तौर पर दर्शाने को लेकर एक प्रमुख संसदीय समिति से लिखित में माफी मांगी है और यह वादा किया कि इस महीने के आखिर तक वह इस गलती को सुधार लेगी.

सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर (Twitter) ने लद्दाख को गलत ढंग से चीन के हिस्से के तौर पर दर्शाने को लेकर एक प्रमुख संसदीय समिति से लिखित में माफी मांगी है और यह वादा किया कि इस महीने के आखिर तक वह इस गलती को सुधार लेगी. डाटा संरक्षण विधेयक संबंधी संयुक्त समिति की प्रमुख मीनाक्षी लेखी ने बुधवार को यह जानकारी दी.

लेखी ने बताया कि भारत के मानचित्र की गलत ढंग से जियो-टैगिंग करने के मामले में ट्विटर ने मुख्य निजता अधिकारी डेमियन केरेन के हस्ताक्षरवाले एक हलफनामे के तौर पर अपना पक्ष रखा है. पिछले महीने इस समिति ने लद्दाख को गलत ढंग से चीन के हिस्से के तौर पर दर्शाने को लेकर ट्विटर की सख्त लहजे में आलोचना की थी और अमेरिका में मौजूद इस कंपनी से हलफनामे के रूप में स्पष्टीकरण मांगा था.

समिति के समक्ष उपस्थित होने पर ट्विटर इंडिया के प्रतिनिधियों ने माफी मांगी थी, लेकिन समिति के सदस्यों ने उनसे कहा था कि देश की संप्रभुता पर सवाल करनेवाला यह एक आपराधिक कृत्य है और ट्विटर की ओर से हलफनामा देना पड़ेगा. लेखी ने कहा, ”ट्विटर ने लद्दाख को चीन में दर्शाने के लिए अब हलफनामे के रूप में लिखित माफी मांगी है.”

भाजपा सांसद ने कहा, ”उन्होंने भारत की भावनाओं को आहत करने के लिए माफी मांगी है और कहा है कि वे 30 नवंबर तक गलती सुधार लेंगे.” भारत सरकार ने देश का गलत मानचित्र दिखाने को लेकर ट्विटर को सख्त चेतावनी दी थी. सरकार ने कहा था कि देश की संप्रभुता और अखंडता का अनादर करने का ट्विटर का हर प्रयास अस्वीकार्य है.

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के सचिव अजय साहनी ने इस बारे में ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जैक डोर्सी को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा. साहनी ने कहा कि इस तरह का कोई भी प्रयास न सिर्फ ट्विटर की प्रतिष्ठा को कम करता है, बल्कि यह एक माध्यम होने के नाते ट्विटर की निष्पक्षता को भी संदिग्ध बनाता है.

ट्विटर ने उस वक्त कहा था कि यह एक तकनीकी मुद्दा था और तत्काल दूर कर लिया गया था. माना जाता है कि अब उसने संसदीय समिति के समक्ष पेश हलफनामे में कहा है कि सॉफ्टवेयर में दिक्कत के कारण यह मामला हुआ था.

उसने कहा, ”पिछले कुछ हफ्तों के दौरान हमने जियो-टैग के मुद्दे को इस तरह से हल करने की दिशा में काम किया है कि लेह एवं लद्दाख के दूसरे सभी शहरों को उनके संबंधित नाम के साथ ही दर्शाया जाये.” ट्विटर के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के कई दूसरे शहरों के लिए जियो-टैग की भी समीक्षा की जा रही है और आगामी 30 नवंबर तक यह काम पूरा करने का लक्ष्य है.

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