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Udupi Ramachandra Rao : जानिए कौन हैं ‘Satellite man of India’ राव जिनके बर्थ डे पर गूगल ने बनाया ये खास डूडल

Google Doodle, Udupi Ramachandra Rao : यदि आज आपने सुबह से गूगल पर सर्च करने के लिए अपना कंप्यूटर खोला होगा तो आपको एक प्यारा सा डूडल नजर आया होगा. जी हां...यदि आप भारत से संबंध रखते होंगे तो इस डूडल को देखकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो गया होगा. दरअसल यह डूडल भारतीय वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर उडुपी रामचंद्र राव को समर्पित किया गया है जिनका आज 89वां बर्थडे है. भारत के सैटेलाइट प्रोग्राम को नई दिशा देने की वजह से डॉक्टर यूआर राव को 'सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया' के नाम से भी लोग पुकारते हैं.

  • डूडल भारतीय वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर उडुपी रामचंद्र राव को समर्पित किया गया

  • डॉक्टर यूआर राव को ‘सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से भी लोग पुकारते हैं

  • राव के नेतृत्व में ही साल 1975 में अपने पहले उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण करने का काम किया था

Google Doodle, Udupi Ramachandra Rao : यदि आज आपने सुबह से गूगल पर सर्च करने के लिए अपना कंप्यूटर खोला होगा तो आपको एक प्यारा सा डूडल नजर आया होगा. जी हां…यदि आप भारत से संबंध रखते होंगे तो इस डूडल को देखकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो गया होगा. दरअसल यह डूडल भारतीय वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर उडुपी रामचंद्र राव को समर्पित किया गया है जिनका आज 89वां बर्थडे है. भारत के सैटेलाइट प्रोग्राम को नई दिशा देने की वजह से डॉक्टर यूआर राव को ‘सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से भी लोग पुकारते हैं.

यदि आपको याद हो या आपने कहीं पढ़ा होगा तो शायद आप जानते होंगे कि भारत ने उनके नेतृत्व में ही साल 1975 में अपने पहले उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण करने का काम किया था. भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान यदि आज इतनी ऊंचाई पर पहुंच सका है तो इसमें प्रोफ़ेसर राव की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. अंतरिक्ष विज्ञान के अलावा सूचना प्रोद्योगिक के क्षेत्र में भी प्रोफ़ेसर राव ने अपनी अमिट छाप छोड़ने का काम किया है.

साधारण परिवार से ताल्लुक : प्रोफ़ेसर यूडी राव की बात करें तो उनका जन्म 10 मार्च 1932 को कर्नाटक राज्य के उडुपी ज़िले के अडामारू इलाके में हुआ. एक साधारण परिवार से संबंध रखने वाले उडुपी रामचंद्र राव अपनी प्रतिभा और लगन के दम पर सर्वश्रेष्ठ भारतीय वैज्ञानिकों की कतार में सबसे अग्रिम पंक्त‍ि में पहुंचे. प्रोफ़ेसर राव ने भारतीय अनुसंधान संस्थान (इसरो) के अध्यक्ष और भारत के अंतरिक्ष सचिव के तौर पर भी अपनी सेवा दी.

भारत का मान सम्मान बढ़ाया : प्रोफ़ेसर राव ने अंतरराष्‍ट्रीय फलक पर भी भारत का मान सम्मान बढ़ाया. उनकी अगुआई में ही भारत ने साल 1975 में पहले भारतीय उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ से लेकर 20 से अधिक सैटेलाइट डिज़ाइन और तैयार किए साथ ही उन्हें अंतरिक्ष में प्रक्षेपित भी करने का काम किया. साल 2013 की बात करें तो इस वर्ष सोसायटी ऑफ़ सैटेलाइट प्रोफ़ेशनल्स इंटरनेशनल्स ने प्रोफ़ेसर राव को ‘सैटेलाइट हॉल ऑफ़ फ़ेम, वॉशिंगटन’ का हिस्सा बनाने का काम किया था.

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मिले कई सम्मान सम्मान : इन सबके अलावा अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल फ़ेडरेशन ने भी प्रतिष्ठित ‘आईएएफ़ हॉल ऑफ़ फ़ेम’ में उन्हें शामिल किया था. अंतरिक्ष विज्ञान में प्रोफ़ेसर राव के योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें साल 1976 में देश के तीसरे सर्वोचच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित करने का काम किया. इसके बाद साल 2017 में उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के सम्मान से नवाजा गया.

85 वर्ष की उम्र में निधन : 24 जुलाई, 2017 का वह दिन था जब उन्होंने 85 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. वो यदि जीवित होते तो आज अपना 89वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे होते.

Posted By : Amitabh Kumar

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