अमेरिका, भारत में हथियारों की बिक्री बढ़ाने की योजना बना रहा है. मीडिया की एक खबर के अनुसार इन हथियारों में सशस्त्र ड्रोन भी शामिल हैं, जो 1,000 पौंड से अधिक बम और मिसाइल ले जा सकते हैं. भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद यह कदम काफी मायने रखता है. भारतीय सेना के 20 जवान 15 जून को हुई झड़प में शहीद हो गए थे. चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन उसने इसकी आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी है.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के 35 सैनिक हताहत हुए थे. ‘फॉरेन पॉलिसी’ पत्रिका ने अमेरिकी अधिकारियों और संसद के सहयोगियों के साक्षात्कारों के आधार पर एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘ (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड) ट्रम्प का प्रशासन भारत और चीन के बीच सीमा पर हिंसक झड़प के मद्देनजर भारत में हथियारों की बिक्री बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिससे वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव का एक और मुद्दा खड़ा हो गया जाएगा.
पत्रिका ने अधिकारियों के हवाले से कहा कि अमेरिका ने हाल के महीनों में भारत को नए हथियारों की बिक्री की योजना तैयार की है, ‘‘जिसमें सशस्त्र ड्रोन जैसी उच्च स्तर की हथियार प्रणाली और उच्च स्तर की प्रौद्योगिकी शामिल हैं.” ट्रंप ने आधिकारिक रूप से उन नियमों में संशोधन किया है, जो भारत जैसे विदेशी भागीदारों के लिए सैन्य-स्तर ड्रोन की बिक्री को प्रतिबंधित करते थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अमेरिका को सशस्त्र ड्रोन की बिक्री पर विचार करने की अनुमति मिलेगी, जो पहले उनकी गति और पेलोड के कारण प्रतिबंधित था. मामले से अवगत एक सांसद ने ‘फॉरेन पॉलिसी’ से कहा, ‘‘ वे भारत को सशस्त्र (श्रेणी-1) प्रीडेटर्स मुहैया कराने वाले हैं.” उन्होंने बताया कि ‘एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन’ 1,000 पौंड से अधिक बम और मिसाइल ले जा सकता है.
आपको बता दें कि 27 जुलाई को फ्रांस से चले 5 राफेल लड़ाकू विमान करीब 7000 किलोमीटर का सफर करके 29 जुलाई को भारत में अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पहुंचे. अंबाला एयरबेस को देश में भारतीय वायुसेना का सामरिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है. वहीं चीन सीमा की दूरी 300 किलोमीटर है. राफेल के आ जाने से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता और मजबूत हो गई है.
Posted By : Amitabh Kumar