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रूस यूक्रेन युद्ध की आग में घी डाल रहे US-NATO, हाथ सेंक रहे पश्चिमी देश, जानें कहां है चीन-पाकिस्तान?

पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कारगर कदम नहीं उठाए जाने के बाद अमेरिका की ओर से मिलने वाली अरबों डॉलर की सहयोग राशि बंद होने के बाद इमरान खान ने चीन के अपना नया ठिकाना बनाया, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अब पाकिस्तान अपनी नई जमीन तलाश रहे हैं.

नई दिल्ली : रूस यूक्रेन युद्ध का आज 13वां दिन है. रूस ने मानवीय गलियारा बनाकर नागरिकों की निकासी के लिए यूक्रेन के चार शहरों में युद्ध विराम की घोषणा की है. वहीं, शांति के लिए दोनों देश के बीच बेलारूस में हुई तीसरे दौर की समझौता वार्ता में भी सुलह की गुंजाइश नहीं बनी. इन दोनों देशों के संग्राम में अमेरिका और नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) देश आग में घी डालने का काम कर रहे हैं, तो पश्चिमी देश जंग की आग में हाथ सेंक रहे हैं. चीन मध्यस्थता के एशिया का मठाधीश बनने की फिराक में लगा है, तो पाकिस्तान अपनी नई जमीन तलाश रहा है.

रूस-यूक्रेन को उकसा रहे हैं अमेरिका और नाटो देश

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और नाटो देशों का ताजा रवैया युद्धरत रूस और यूक्रेन को उकसाने वाला है. उनके रवैये से शांति के लिए समझौता वार्ता पटरी पर आने की बजाय युद्ध की आग और तेज हो सकती है. वहीं, अमेरिका नाटो देशों द्वारा यूक्रेन में लड़ाकू विमान भेजने के मामले में सहयोग देने की बात कर रहा है. वहीं, इस युद्ध में नाटो की ओर से सहयोग नहीं मिलने की वजह से यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर पुतिन लगातार उसकी खिंचाई कर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं.

युद्ध में यूक्रेन पर भारी रूस

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस युद्ध में रूस यूक्रेन पर हावी होता दिखाई दे रहा है. रूस ने मानवीय गलियारा बनाकर यूक्रेन से नागरिकों की निकासी के लिए चार शहरों में युद्ध विराम की घोषणा की है. यह संघर्ष-विराम राजधानी कीव, दक्षिणी बंदरगाह शहर मारियुपोल, यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव और सूमी से नागरिकों की निकासी के लिए घोषित किया गया है.

नागरिकों की निकासी के लिए सुरक्षित गलियारा

वहीं, रूस-यूक्रेन के बीच सोमवार को तीसरे दौर की वार्ता हुई. वार्ता संपन्न होने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के एक सलाहकार ने कहा कि सुरक्षित गलियारा बनाने के संबंध में मामूली प्रगति हुई है. यूक्रेन ने रूस के उस सुरक्षित गलियारे के प्रस्ताव को खारिज किया, जिसमें से अधिकतर रूट रूस और बेलारूस से होकर जाते हैं.

दक्षिण अफ्रीका ने की शांति की अपील

यूक्रेन पर रूस का हमला जैसे-जैसे तेज हो रहा है, अफ्रीकी देशों का रुख भी अब साफ होने लगा है. कीनिया और घाना जैसे देश यूक्रेन पर रूस के हमलों की निंदा कर चुके हैं, तो दक्षिण अफ्रीका ने दोनों देशों से शांति बहाल करने की अपील की है. सवाल यह भी खड़े किए जा रहे हैं कि दोनों देशों के इस युद्ध में अफ्रीका महाद्वीपीय देशों के रुख क्या होंगे?

भारत का रुख स्पष्ट

यूक्रेन पर रूस के हमले शुरू होने के दिन से ही भारत दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बातकर शांति की अपील कर रहा है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीब तीन बार और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से करीब दो बार बात कर चुके हैं. हर बार उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से कूटनीतिक बातचीत के जरिए समस्या का हल निकालने की बात कही है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठकों में भारत का रुख भले ही तटस्थ रहा है, लेकिन वह वहां भी दोनों देशों के बीच शांति बहाल करने के लिए मजबूती के साथ अपनी बात रखी है.

यूएनजीसी में भारत की दुश्मनी मिटाने की अपील

रूस-यूक्रेन युद्ध के 12वें दिन सोमवार को हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत ने एक बार फिर सूमी में फंसे भारतीय छात्रों की निकासी के लिए सुरक्षित गलियारा बनाने की मांग दोहराई. वहीं, उसने दोनों देशों से हर प्रकार की दुश्मनी मिटाने की अपील की है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थानीय प्रतिनिधि एवं राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद में कहा कि भारत हर प्रकार की दुश्मनी को समाप्त करने का लगातार आह्वान करता रहा है. उन्होंने कहा कि भारत ने सभी निर्दोष नागरिकों, भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के लिए सुरक्षित तथा निर्बाध मार्ग की मांग की है. तिरुमूर्ति ने कहा कि हम बेहद चिंतित हैं कि दोनों पक्षों से हमारे आग्रह के बावजूद सूमी में फंसे हमारे छात्रों के लिए सुरक्षित गलियारा नहीं बन पाया.

एशिया का मठाधीश बनना चाह रहा है चीन

उधर, रूस यूक्रेन युद्ध में चीन का असली चेहरा भी अब दुनिया के सामने उजागर होने लगा है. उसने रूस को अपना कूटनीतिक साझेदार बताते हुए दोनों देशों के युद्ध में मध्यस्थता करने की पेशकश किया है. इसके साथ ही, वह अपनी विस्तारवादी नीति के जरिए ताइवान पर वर्चस्व स्थापित कर एशिया का मठाधीश बनना चाहता है. हालांकि, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को ताइवान के मुद्दे को यूक्रेन से अलग बताया है और इन दोनों की तुलना नहीं करने की बात कही है. उन्होंने ताइवान को चीन का अविभाज्य हिस्सा बताते हुए उस मुद्दे को चीन का आंतरिक मामला भी बताया है. बताते चलें कि चीन स्व-शासित द्वीप ताइवान को एक विद्रोही प्रांत के रूप में देखता है और उस पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है. इसके लिए वह पूरी तरह से अपनी ताकत का इस्तेमाल भी कर रहा है.

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नई जमीन तलाश रहा पाकिस्तान

उधर, पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कारगर कदम नहीं उठाए जाने के बाद अमेरिका की ओर से मिलने वाली अरबों डॉलर की सहयोग राशि बंद होने के बाद इमरान खान ने चीन के अपना नया ठिकाना बनाया, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अब पाकिस्तान अपनी नई जमीन तलाश रहे हैं. हालांकि, कूटनीतिक तौर पर यह आशंका पहले ही जाहिर की जा चुकी थी कि दोनों देशों के बीच युद्ध होने की स्थिति में रूस-चीन-पाकिस्तान का एक अलग गलियारा तैयार हो सकता है, जो अब स्पष्ट तौर पर दिखाई भी दे रहा है. अपनी नई जमीन तलाशने की फिराक में युद्ध शुरू होने के पहले ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने के लिए रूस का दौरा कर चुके हैं. अब देखना यह है कि संकट के इस दौर में पाकिस्तान को रूस अपना साथ देकर नई जमीन देता है या नहीं.

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