नये वीजा कानून को लेकर अमेरिका ने भारत का ख्याल रखने का भरोसा दिया है. अमेरिका ने कहा है कि नए वीजा निमयों के तहत भारतीय छात्रों के हितों का ख्याल रखने का काम किया जाएगा. इससे पहले भारत ने विदेशी छात्रों के वीजा से संबंधित मुद्दे पर अमेरिका से बात की.
दरअसल, अमेरिकी आव्रजन प्राधिकरण ने घोषणा की है कि उन विदेशी छात्रों को देश छोड़ना होगा या निर्वासित होने के खतरे का सामना करना होगा जिनके विश्वविद्यालय कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस सेमेस्टर पूर्ण रूप से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे. इस कदम से सैकड़ों-हजारों भारतीय छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री डेविड हेल के साथ ऑनलाइन बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया. सूत्रों ने कहा कि अमेरिकी पक्ष ने इसपर गौर करते हुए कहा कि वे भारतीयों के हितों को ध्यान में रखेंगे और कोशिश करेंगे कि इस फैसले का उनपर कम प्रभाव पड़े. अमेरिका ने भारत से यह भी कहा कि इस फैसले के कार्यान्वयन से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होने अभी बाकी है.
आव्रजन एजेंसी ने कहा कि मौजूदा समय में जो छात्र अमेरिका में इन पाठ्यक्रमों में पंजीकृत है उन्हें अपने देश लौट जाना चाहिए या वैधता बनाए रखने या आव्रजन नियमों के तहत संभावित कार्रवाई से बचने के लिए अन्य उपाय जैसे उन स्कूलों में स्थानांतरण कराना चाहिए जहां पारंपरिक कक्षाओं में पढ़ाई हो रही है.
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अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर नई नीति नुकसानदायक : अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन द्वारा जारी किए गए उन दिशा-निर्देशों की कई कांग्रेस सदस्यों और शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों ने निंदा की है जिनके तहत एफ-1 वीजा पर अमेरिका में रह रहे विदेशी छात्रों को कम से कम एक पाठ्यक्रम ऐसा करना होगा जिसमें वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रह सकें अन्यथा उन्हें निर्वासित होने के जोखिम का सामना करना होगा. हालांकि विदेश विभाग ने कहा है कि अमेरिका में ही रहकर पढ़ने के इच्छुक कई विदेशी छात्रों के पास अब भी ऐसा करने का अवसर है. आपको बता दें कि जारी किए गए दिशा-निर्देशों ने विदेशी छात्रों के बीच घबराहट की स्थिति बना दी थी.
Posted By : Amitabh Kumar