Explainer: एनडीए की ओर से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद विपक्ष ने पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को अपना उम्मीदवार बनाया है. मार्गरेट अल्वा राजस्थान की पूर्व राज्यपाल रह चुकी हैं. अल्वा अपना नामांकन पत्र 19 जुलाई दाखिल करेंगी, जो छह अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है. बता दें, अल्वा को मैदान में उतारने का फैसला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP, राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के आवास पर 17 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में लिया गया.
19 पार्टियों की संयुक्त उम्मीदवार होंगी मार्गरेट अल्वा: एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने दो घंटे की बैठक के बाद घोषणा करते हुए कहा कि हमने सर्वसम्मति से मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया है. पवार ने कहा कि कुल 17 दलों ने सर्वसम्मति से अल्वा को मैदान में उतारने का फैसला किया है और तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के समर्थन से वह कुल 19 पार्टियों की संयुक्त उम्मीदवार होंगी.
4 राज्यों की रह चुकी हैं राज्यपाल: विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को राजनीति का लंबा अनुभव है. कई राज्यों की वो राज्यपाल रह चुकी हैं. आल्वा राजस्थान, गुजरात, गोवा और उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. राजस्थान में राज्यपाल रहते उन्हें गुजरात और गोवा के राज्यपाल का भी प्रभार मिला था. इसके अलावा वो उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं.
केन्द्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं मार्गरेट आल्वा: राजीव गांधी सरकार में मार्गरेट आल्वा ने केंद्रीय मंत्री का भी पद संभाला था. आल्वा को संसदीय मामलों में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था. यहीं नहीं उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले व खेल, महिला एवं बाल विकास का भी प्रभारी मंत्री बनाया गया था. 1974 से लगातार वो चार बार 6 साल के लिए राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुई थी. 1999 में वो लोक सभा के लिए निर्वाचित हुई थीं. बता दें, मार्गरेट आल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को कर्नाटक के मैंगलों शहर में हुआ था.
धनखड़ से आल्वा का होगा मुकाबला: उपराष्ट्रपति पद के लिए मार्गरेट आल्वा का मुकाबला धनखड़ से होगा. दोनों का राजस्थान से जुड़ाव रहा है. जहां जगदीश धनखड़ का जन्म राजस्थान में हुआ है. वहीं आल्वा राजस्थान की राज्यपाल रह चुकी है. दोनों वकालत के पेशे से ताल्लुक रखते हैं. दोनों राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और दोनों की पृष्ठभूमि कांग्रेस से जुड़ी रही है. भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार धनखड़ राजस्थान के मूल निवासी हैं, जबकि विपक्ष की उम्मीदवार अल्वा राजस्थान की राज्यपाल रही हैं.
भाजपा में शामिल होने से पहले जनता दल और कांग्रेस में रहे धनखड़ ने राजस्थान उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय में वकालत की, जबकि अल्वा के पास व्यापक विधायी अनुभव है. अल्वा चार बार राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं और केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए के शासनकाल में वह उत्तराखंड और राजस्थान की राज्यपाल रहीं. वह राजीव गांधी और पी वी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी रही थीं. धनखड़ अल्पकालिक चंद्रशेखर सरकार में मंत्री रहे थे. वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिर से सत्ता में आने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था.
भाषा इनपुट के साथ