Vidhan Sabha Election: जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में एक अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी सभी दलों की ओर से शुरू हो चुकी है. कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिलकर तो हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. दोनों राज्यों के लिए पार्टी की ओर से प्रत्याशियों के चयन का काम शुरू हो चुका है. शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में दोनों राज्यों के नेताओं की शीर्ष नेतृत्व के साथ अहम बैठक हुई. इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के लिए 8-10 सीटों पर और हरियाणा में लगभग 20 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप देने की बात सामने आ रही है. अगले हफ्ते कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद नामों का ऐलान किए जाने की संभावना है. जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को उम्मीद है कि नेशनल कांफ्रेंस के समझौते से पार्टी को सियासी लाभ मिल सकता है. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस ने महंगाई और बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी की है. हरियाणा में किसानों की समस्या और अग्निवीर योजना को भी पार्टी जोर-शोर से उठा रही है.
हरियाणा में जातिगत जनगणना को बड़ा मुद्दा बनायेगी कांग्रेस
कांग्रेस नेता राहुल गांधी जातिगत जनगणना को लेकर आक्रामक हैं. लोकसभा चुनाव में जातिगत जनगणना और संविधान को बदलने पर कांग्रेस काफी मुखर रही. पार्टी को चुनावों में इसका फायदा भी मिला. इस सफलता से उत्साहित कांग्रेस हरियाणा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है. लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति का विरोध कर कांग्रेस यह बताने की कोशिश में है कि आरक्षण के मसले पर वह संवेदनशील है. राहुल गांधी संसद से लेकर सड़क तक आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात कह रहे हैं. पार्टी आरक्षण के मुद्दे पर दलितों और पिछड़ों के बड़े तबके को भाजपा से दूर करने की रणनीति पर काम कर रही है. हरियाणा में पहले ही जाट वोटर भाजपा से नाराज है. ऐसे में पार्टी का मानना है कि यदि दलित और पिछड़े मतदाताओं का भी साथ मिल जाये, तो पार्टी 10 साल बाद हरियाणा की सत्ता पर आसानी से काबिज हो सकती है.