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महाकुंभ में कांटे वाले बाबा के साथ लड़की का बदतमीजी करने का वीडियो वायरल

Viral Video: वायरल वीडियो में एक यूट्यूबर लड़की बाबा के साथ अभद्रता करती दिख रही है.

Viral Video: प्रयागराज में 144 साल बाद आयोजित महाकुंभ में कई साधु-संतों की उपस्थिति सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है. इनमें से कुछ, जैसे IITian बाबा, एयरफोर्स बाबा, और गोल्डन बाबा, इंटरनेट पर सुर्खियां बटोर रहे हैं. इसी बीच, कांटे वाले बाबा का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्हें फर्जी बताया जा रहा है. यह वीडियो लोगों के बीच आक्रोश का कारण बन गया है.

वायरल वीडियो में एक यूट्यूबर लड़की बाबा के साथ अभद्रता करती दिख रही है. वह बाबा से उनके पास मौजूद पैसे मांग रही है, जो उन्हें श्रद्धालुओं ने दान में दिए थे. लड़की का तर्क है कि चूंकि बाबा एक साधु हैं और दुनियावी मोह-माया से दूर हैं, उन्हें इन पैसों की जरूरत नहीं होनी चाहिए. वह इन पैसों से भंडारा कराने की बात कहकर उन्हें देने का दबाव बना रही है.

वीडियो में देखा जा सकता है कि लड़की बाबा पर लगातार दबाव डाल रही है और उनके आस-पास लोग भी खड़े हैं. बाबा, जो वृद्ध हैं, सहमे हुए नजर आ रहे हैं और पैसे देने से मना कर रहे हैं. उनकी आंखों में आंसू हैं, और वे यह कह रहे हैं कि उनके घर में बेटियां हैं, इसलिए वे पैसे नहीं देंगे. लड़की उनकी यह बात नहीं मानती और उन्हें फर्जी करार देती है.

इस वीडियो को देखकर सोशल मीडिया पर लोग नाराज हो गए हैं. वे लड़की की इस हरकत की कड़ी आलोचना कर रहे हैं और प्रशासन से उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि कांटे वाले बाबा को महाकुंभ में श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से दान देते हैं, और बाबा खुद किसी से कुछ नहीं मांगते.

कांटे वाले बाबा के पहले वायरल वीडियो में उन्हें कांटों की जाल पर लेटे हुए डमरू बजाते देखा गया था. उनके पास श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए कुछ सौ-पचास के नोट और सिक्के बिखरे हुए थे, जिन्हें बाबा ने अपने पास रखा था. यही पैसे लड़की ने मुद्दा बनाकर विवाद खड़ा कर दिया.

वीडियो पर एक यूजर ने कमेंट किया, “हम बतौर समाज – सभ्यता से खोखले हो चुके हैं. धार्मिक स्थानों पर और धार्मिक व्यक्तियों के साथ व्यवहार का सही तरीका हमें नहीं पता. स्वअनुशासन भी जरूरी है.” वहीं, एक अन्य ने लिखा, “शर्मनाक! बाबा के आंसू हमारी संवेदनाओं का आइना हैं. समाज में संतों का विशेष स्थान होता है; वे हमारे अनुशासन, नैतिकता, और सहानुभूति के प्रतीक हैं.”

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