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गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में फोड़ा ‘बम’, पढ़ें पांच पन्नों वाले पत्र का प्रमुख अंश

गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में 1970 के दशक में पार्टी में शामिल होने के बाद से कांग्रेस के साथ अपने लंबे जुड़ाव का जिक्र किया. उन्होंने इस चिट्ठी में मौजूदा सलाकारों के समूह को ध्वस्त करने के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी आलोचना भी की है.

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जी-23 के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर नाता तोड़ लिया है. इस संबंध में उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्ने का पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पार्टी को ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ करनी चाहिए. इसके साथ ही, उन्होंने इस चिट्ठी में मौजूदा सलाकारों के समूह को ध्वस्त करने के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी आलोचना भी की है. उन्होंने सोनिया गांधी स्पष्ट तौर पर लिखा है कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की एक नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी. पढ़ें, पूरी चिट्ठी का प्रमुख अंश…

राहुल गांधी ने परामर्श तंत्र को किया खत्म

गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में 1970 के दशक में पार्टी में शामिल होने के बाद से कांग्रेस के साथ अपने लंबे जुड़ाव का जिक्र किया. उन्होंने अपने पत्र में राहुल गांधी पर पार्टी के भीतर परामर्श तंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया. सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन ‘चापलूसों’ की नई मंडली पार्टी के मामलों में दखल देने लगी.

सरकारी अध्यादेश को फाड़ना राहुल की अपरिपक्वता

आजाद ने राहुल गांधी द्वारा सरकारी अध्यादेश को पूरे मीडिया के सामने फाड़ने को ‘अपरिपक्वता’ का ‘उदाहरण’ बताया. यह हरकत भी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की 2014 में हुई हार का एक कारण रही. आजाद ने कहा कि पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वह पंचमढ़ी (1998), शिमला (2003) और जयपुर (2013) में हुए पार्टी के मंथन में शामिल रहे हैं, लेकिन तीनों मौकों पर पेश किये गये सलाह-मशवरों पर कभी गौर नहीं किया गया और न ही अनुशंसाओं को लागू किया गया.

स्टोररूम में पड़ी है पार्टी को पुनर्जीवित करने की कार्य योजना

2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत कार्य योजना ‘पिछले नौ वर्षों से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के ‘स्टोररूम’ में पड़ी है. वर्ष 2014 से सोनिया गांधी के नेतृत्व में और उसके बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ‘शर्मनाक तरीके’ से दो लोकसभा चुनाव हार गई है. पार्टी 2014 और 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से 39 में भी हार गई. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी की स्थिति खराब हुई है. चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने आवेग में आकर अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

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‘रिमोट कंट्रोल मॉडल’ ने सबकुछ किया चौपट

यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को खत्म करने वाला ‘रिमोट कंट्रोल मॉडल’ अब कांग्रेस पर लागू होता है. आपके (सोनिया गांधी) पास सिर्फ नाम का नेतृत्व है, सभी महत्वपूर्ण फैसले या तो राहुल गांधी लेते हैं, या ‘फिर इससे भी बदतर स्थिति में उनके सुरक्षाकर्मी और निजी सहायक लेते हैं.’ आजाद ने आरोप लगाया कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया, नीचा दिखाया गया. उन्होंने नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर ‘धोखा’ करने का आरोप लगाया. पार्टी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी.

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