16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्या है पूसा डीकंपोजर? जिससे किसानों को नहीं जलानी पड़ेगी पराली, मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति

नयी दिल्ली : दिल्ली के आसपास के राज्यों में किसानों ने पराली जलानी शुरू कर दी है. इससे निकलने वाले धुएं के कारण पूरी दिल्ली के आसमान पर धुंध एक परत जम जाती है. हर साल दिल्ली वालों को इस दम घुटने वाले वातावरण में रहने का बाध्य होना पड़ता है. पिछले कई सालों से दिल्ली और केंद्र की सरकार इससे निजात पाने का उपाय तलाश रही है. इस बार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 'पूसा डीकंपोजर' की बात की है, जिससे किसानों को परानी जलाने से निजात मिलने की उम्मीद है.

नयी दिल्ली : दिल्ली के आसपास के राज्यों में किसानों ने पराली जलानी शुरू कर दी है. इससे निकलने वाले धुएं के कारण पूरी दिल्ली के आसमान पर धुंध एक परत जम जाती है. हर साल दिल्ली वालों को इस दम घुटने वाले वातावरण में रहने का बाध्य होना पड़ता है. पिछले कई सालों से दिल्ली और केंद्र की सरकार इससे निजात पाने का उपाय तलाश रही है. इस बार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘पूसा डीकंपोजर’ की बात की है, जिससे किसानों को परानी जलाने से निजात मिलने की उम्मीद है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से पराली के निपटारे के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा विकसित किफायती तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्देश पड़ोसी राज्यों को देने का अनुरोध करेंगे. पूसा के वैज्ञानिकों ने ‘पूसा डीकंपोजर कैप्सूल’ विकसित किया है.

चार कैप्सूल, थोड़ा गुड़ और चने का आटा मिलाकर 25 लीटर घोल तैयार किया जा सकता है. घोल की इतनी मात्रा एक हेक्टेयर भूमि के लिए पर्याप्त है. केजरीवाल ने कहा कि इस घोल को पराली पर डाला जा सकता है. इसके बाद पराली मुलायम हो जाती है तथा करीब 20 दिन में गल जाती है. इसका इस्तेमाल खेत में खाद के रूप में किया जा सकता है. इससे किसानों को पराली जलाने से छुटकारा मिल जायेगा और मुफ्त में खाद भी मिल जायेगा.

Also Read: केजरीवाल की चिंता बढ़ी, दिल्ली पर मंडराने लगा धुंध का खतरा, केंद्रीय मंत्री से मांगेंगे मदद

केजरीवाल ने कहा, “मैं इस बारे में चर्चा करने के लिए एक-दो दिन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मिलूंगा और मैं उनसे कम समय होने के बावजूद इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के वास्ते सभी उपाय करने के लिए पड़ोसी राज्यों से बात करने का आग्रह करूंगा. हम निश्चित रूप से दिल्ली में इस तकनीक को बहुत कुशल और प्रभावी तरीके से लागू करेंगे.”

केजरीवाल ने कहा, ‘यह कई साल की कड़ी मेहनत और हमारे वैज्ञानिकों के प्रयासों का नतीजा है तथा पायलट आधार पर परीक्षण के बाद उन्हें प्रमाण मिले हैं. उन्होंने अपनी तकनीक के वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए लाइसेंस भी दिया है.’

यह पूछे जाने पर कि पूरे साल पराली जलाने की समस्या पर क्यों कोई कार्रवाई नहीं की गयी, इस पर केजरीवाल ने कहा, ‘मैं सहमत हूं कि पूरे साल कोई बड़ा प्रयास नहीं किया गया, लेकिन किसी पर भी दोषारोपण नहीं करना चाहता हूं. केंद्र सरकार भी अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश कर रही है. उसने बैठकें की हैं, नयी योजनाएं शुरू की हैं और नयी मशीनों पर सब्सिडी दी है.’

पराली जलाने से बढ़ जाता है प्रदूषण का लेवल

किसान गेहूं और आलू के लिए भूमि को जोतने से पहले फसल के अवशेष को जल्दी से साफ करने के लिए उसमें आग लगा देते हैं. यह दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के चिंताजनक रूप से बढ़ जाने का एक मुख्य कारण है. पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर पाबंदी के बावजूद किसान फसल के अवशेष में आग लगा देते हैं, क्योंकि धान की कटाई और गेहूं की बुआई के बीच कम समय होता है.

Posted by: Amlesh Nandan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें