Parliament Security Breach: संसद पर आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को सुरक्षा में सेंधमारी की बड़ी घटना सामने आई जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. जानकारी के अनुसार, लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग सदन के भीतर कूद गए, नारेबाजी की और ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया. इसके बाद संसद भवन की सुरक्षा गुरुवार को और चौकस कर दी गई. संसद के गेट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम आज किये गये. जूते और टोपी निकलवाकर तलाशी ली गई. इस बीच संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर लोकसभा सचिवालय ने आठ कर्मचारियों को निलंबित किया है. आपको बता दें कि संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वाले गिरफ्तार लोगों में से एक, नीलम वर्मा है जो 37 साल की है. विभिन्न आंदोलनों में नीलम की भागीदारी देखी जा चुकी है. लंबे समय से बांगर क्षेत्र में एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है. इस संबंध में अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर प्रकाशित की है.
अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान है नीलम वर्मा
नीलम वर्मा को लेकर जो खबर प्रकाशित की गई है उसमें कहा गया है कि, वह अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान है. जब केंद्र सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई थी, उस वक्त भी इन कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में वह सक्रिय नजर आई थी. उसने 26 नवंबर, 2020 और उसके बाद हरियाणा में प्रवेश करने पर उचाना कलां शहर में पंजाब के किसानों का स्वागत भी किया था. इस साल 28 मई को एक बीजेपी सांसद द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का समर्थन करने भी वह पहुंची थी. उन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में भी लिया था. नीलम वर्मा के माता-पिता से बातचीत के आधार पर खबर प्रकाशित की गई है. आरोपी के माता-पिता ने कहा कि मेरी बेटी 2015 में अपने कमरे की सीढ़ियां चढ़ते समय दूसरी मंजिल से पहली मंजिल पर गिर गई, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आईं. इसके बाद, वह हमारे घर में अपनी खाट पर तीन साल तक बिस्तर पर पड़ी रही, जिससे उसके सपने पूरी तरह से चकनाचूर हो गए.
चोट लगने के बाद शादी से किया इनकार
आगे नीलम के माता-पिता ने कहा कि चोट लगने के बाद उसने शादी से भी इनकार कर दिया था. आमतौर पर वह अपनी कमर पर बेल्ट पहनकर रहती थी. हालांकि, उन्होंने मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले दलित लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने का फैसला किया. उन्होंने मनरेगा योजना के घोटाले का पर्दाफाश किया क्योंकि जो लोग इस योजना के तहत काम पाने के हकदार नहीं थे, वे बिना कोई काम किए लाभ ले रहे थे. इसके बाद, नीलम ने अधिकारियों से संपर्क किया और उनसे मुलाकात की और क्षेत्र के वास्तविक लाभार्थियों के लिए काम सुनिश्चित कराया.
दिल्ली योजना का खुलासा नहीं किया नीलम ने
उसकी मां सरस्वती देवी जो 57 साल की हैं, उन्होंने भरे दिल से कहा कि नीलम ने गांव के युवाओं से बातचीत की और दो साल पहले शहर में रहने वाले एक ग्रामीण के खाली घर में उनके लिए एक पुस्तकालय खोलने का काम किया, लेकिन मनरेगा घोटाले का पर्दाफाश करने के बाद उन्हें पुस्तकालय खाली करना पड़ा. पुस्तकालय को बगल के गांव में शिफ्ट कर दिया गया. जब से उसने अपने पैरों पर चलना शुरू किया है तब से वह सभी बाधाओं और व्यवस्था से संघर्ष करने में लग गई. उन्होंने आगे कहा कि मैंने बुधवार को उससे बात की लेकिन उन्होंने अपनी दिल्ली योजना का खुलासा नहीं किया.
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मर जाना ही बेहतर…
नीलम की मां ने आगे कहा कि जब हमने देखा कि लोग उससे दुश्मनी बढ़ाने लगे हैं, तो हमने उसे पांच महीने पहले आगे की पढ़ाई के लिए हिसार जिले में भेज दिया, जहां वह एक पेइंग गेस्ट (पीजी) में रह रही थी. हमें उसके कदम और बुधवार को उठाए गए कदम के बारे में जानकारी नहीं थी. उन्होंने आगे कहा कि नीलम इस साल अपनी एचटीईटी परीक्षा (हरियाणा में शिक्षण पद के लिए आवेदन करने के लिए योग्यता परीक्षा) समाप्त होने के बाद से रोजगार को लेकर चिंतित थी. वह कहती थी कि वह बहुत योग्य थी लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल रही थी, इसलिए मर जाना ही बेहतर है.