नयी दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन ही है. पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. वहीं, नोजल वैक्सीन को लेकर परीक्षण जारी है. इसे कोरोना वायरस के खिलाफ गेमचेंजर माना जा रहा है.
BBV154 is an intranasal COVID-19 vaccine that may overcome the shortfalls of intramuscular vaccines.
Perhaps the ideal mode of protection (against disease and infection) might require IgA (mucosal) + IgG (systemic) + Memory B/T cells.
If achieved, we may limit transmission. pic.twitter.com/TfR72lAVuw
— Dr. Raches Ella (@RachesElla) July 26, 2021
नोजल वैक्सीन वर्तमान में दिये जा रहे इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन की तुलना में कोरोना वायरस के खिलाफ क्या अधिक सुरक्षा प्रदान करेंगे? लोगों में उत्सुकता का विषय बना हुआ है. भारत में भी नोजल वैक्सीन के परीक्षण की अनुमति दी जा चुकी है. नोजल वैक्सीन का संयोजन होने को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में गेमचेंजर माना जा रहा है.
Can mucosal (intranasal) vaccine be a gamechanger for #SARSCoV2
Given their remarkable allure to block #COVID19 transmission we do need on priority an all hands on deck approach to manufacturing
The case very well explained below https://t.co/tf6n7bWyNQ@WHO @ICMRDELHI pic.twitter.com/4gTgYx5paW
— Dr. Sangita Reddy (@drsangitareddy) July 27, 2021
इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन को नोजल यानी इंट्रानैसल वैक्सीन को अधिक प्रभावी माना जा रहा है. क्योंकि, सार्स कोव-2 वायरस का प्रवेश बिंदु नाक है. इंट्रानैसल वैक्सीन नाक में दिये जाने से म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रदान करनेवाले होते हैं.
वर्तमान में दिये जानेवाले इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन इसकी गारंटी नहीं देते कि वायरस शरीर में प्रवेश नहीं करेगा. ये सिर्फ इतना ही आश्वासन देते हैं कि वैक्सीनेशन के बाद रोग गंभीर नहीं होगा. वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि इंट्रानैसल वैक्सीन से कोरोना वायरस को प्रवेश बिंदु नाक में ही प्रतिरक्षा की जा सकती है.
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की विषय विशेषज्ञ समिति ने भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और इंट्रानैसल वैक्सीन के संयोजन के परीक्षण की सिफारिश की है. इसमें कोवैक्सिन की पहली खुराक दी जायेगी और दूसरा शॉट इंट्रानैसल वैक्सीन की दी जायेगी.
दुनियाभर में अभी सात इंट्रानैसल वैक्सीन परीक्षण के क्रम में हैं. भारत बायोटेक की इंट्रानैसल वैक्सीन भी इनमें से एक है. क्लिनिकल ट्रायल के तहत इंट्रानैसल वैक्सीन के एक अध्ययन को साझा करते हुए भारत बायोटेक के डॉ रैचेस एला ने हाल ही में कहा था कि नाक के वैक्सीन इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन की कमी को दूर कर सकते हैं.
डॉ एला ने ट्वीट कर कहा है कि ”बीमारी और संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा के आदर्श तरीके में म्यूकोसल, सिस्टमिक और मेमोरी बी/टी कोशिकाओं की जरूरत हो सकती है. अगर इन्हें हासिल किया जाये, तो हम संचरण को सीमित कर सकते हैं.” इंट्रानैसल वैक्सीन मानव शरीर में इन तीनों की प्रतिक्रियाओं का कारण बनता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.