लोकसभा में मंगलवार को पेश किये गये महिला आरक्षण विधेयक यानी ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मूर्त रूप लेने से पहले कई अवरोध पार करने होंगे. इसके लिए सभी राजनीतिक दलों का समर्थन पाने के साथ जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया जल्द पूरी करनी होगी. महिला आरक्षण से संबंधित ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक’ के प्रावधानों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इसके कानून बनने के बाद होने वाली जनगणना के आंकड़ों को पूरा करने के बाद परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने या निर्वाचन क्षेत्रों का पुन: सीमांकन होने के बाद ही यह प्रभाव में आयेगा.
संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा विधेयक को पारित किये जाने के बाद इसे कानून का रूप देने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं की मंजूरी जरूरी होगी. संविधान में अनुच्छेद 334 के बाद जोड़ने के लिए प्रस्तावित नये अनुच्छेद 334ए के अनुसार, पहली जनगणना के संगत आंकड़े प्रकाशित होने और परिसीमन की कवायद पूरी होने पर ही यह विधेयक प्रभाव में आयेगा.
संविधान के अनुच्छेद 82 (2002 में यथासंशोधित) के अनुसार, 2026 के बाद की गयी पहली जनगणना के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया की जा सकती है. इस लिहाज से 2026 के बाद पहली जनगणना 2031 में होगी, जिसके बाद परिसीमन किया जायेगा. सरकार ने 2021 में जनगणना की प्रक्रिया पर कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रोक लगा दी थी. 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण को वास्तविक रूप देने के लिए सरकार को इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा कराना होगा.
महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान नहीं है. इस पर भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने निराशा जतायी है. कहा कि मुझे खुशी है कि महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन मुझे कुछ निराशा भी हो रही है, क्योंकि यह ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण के बिना आया है. अगर हम ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित नहीं करते हैं, तो भाजपा में उनका विश्वास टूट जायेगा.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने महिला आरक्षण विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ बताने पर विपक्षी दलों पर पलटवार किया. उन्होंने आरोप लगाया कि वे इस कदम को पचा नहीं पा रहे हैं. शाह ने कहा कि विधेयक महिलाओं को सशक्त करने के प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है, वहीं इसे लेकर कांग्रेस कभी गंभीर नहीं रही और उसके कदम प्रतीकात्मक रहे हैं.
विपक्षी दलों ने महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ बताया और कहा कि ओबीसी की महिलाओं को भी भागीदारी देकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है. केंद्र सरकार जो विधेयक लायी है, उसे जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किया जायेगा. इसका मतलब, सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाजे बंद कर दिये हैं.
पार्टी उम्मीदवार महिला प्रतिशत
भाजपा 412 51 12.4
कांग्रेस 386 47 12.2
तृणमूल 42 17 40.5
बीजद 20 07 35
राजद 17 03 17.6
जदयू 17 01 5.9
सपा 29 05 17.2
बसपा 38 04 10.5
द्रमुक 20 02 10
अन्नाद्रमुक 20 01 4.8