सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ (Women’s Reservation Bill) को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया. इस विधेयक को पूरक सूची के माध्यम से सूचीबद्ध किया गया था. नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है. बिल को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिाकार्जुन खरगे और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच तीखी बहस हुई.
खरगे ने कहा- राजनीतिक दलों को कमजोर महिलाओं को चुनने की आदत
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, अनुसूचित जाति की महिलाओं की साक्षरता दर कम है और यही कारण है कि राजनीतिक दलों को कमजोर महिलाओं को चुनने की आदत है और वे उन लोगों को नहीं चुनते जो शिक्षित हैं और लड़ सकती हैं.
खरगे के बयान पर सीतारमण ने किया पलटवार
मल्लिाकार्जुन खरगे के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, हम विपक्ष के नेता का सम्मान करते हैं लेकिन यह व्यापक बयान देना कि सभी पार्टियां ऐसी महिलाओं को चुनती हैं जो प्रभावी नहीं हैं, बिल्कुल अस्वीकार्य है. हम सभी को हमारी पार्टी, पीएम ने सशक्त बनाया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक सशक्त महिला हैं. इसपर सीतारमण को जवाब देते हुए खरगे ने कहा, पिछड़े, एसटी की महिलाओं को ऐसे मौके नहीं मिलते जो उन्हें मिल रहे हैं, यही हम कह रहे हैं.
महिला आरक्षण विधेयक 2010 में पहले ही पारित हो चुका था : खरगे
मल्लिकार्जुन खरगे ने नए संसद भवन में राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान कहा, वे हमें श्रेय नहीं देते लेकिन मैं उनके ध्यान में लाना चाहता हूं कि महिला आरक्षण विधेयक 2010 में पहले ही पारित हो चुका था लेकिन इसे रोक दिया गया था.
मेघवाल ने मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर उठाया सवाल
मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पारित होने के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं कराया जा सका, यह तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की नाकामी को दर्शाता है. मेघवाल ने कहा, राज्यसभा में 2010 में यह विधेयक पारित हुआ था और इसे लोकसभा को भेज दिया गया था. उसके बाद यह विधेयक निम्न सदन की ‘प्रोपर्टी’ हो गया, लेकिन इसे पेश नहीं किया जा सका. पंद्रहवीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही संबंधित विधेयक निष्प्रभावी हो गया.
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कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या बढ़कर हो जाएगी 181
अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी.
फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा. केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि महिलाओं की आरक्षित सीट में भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण होगा.