World Food Safety Day 2022: आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस है. यह दिवस कई मायनों में हमारे लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 201 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GLOBAL HUNGER INDEX ) के अनुसार भारत 116 लोगों की सूची में 101वें स्थान पर है. इस मामले में वह अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे है. वर्ष 2020 में भारत 94वें स्थान पर था. सुप्रीम कोर्ट में देश में भुखमरी से हो रही मौत के मामले में याचिका लंबित है.
खाद्य सुरक्षा से तात्पर्य यह है कि हर व्यक्ति को भोजन उपलब्ध हो. इसके लिए यह सुनिश्चित किया गया है कि हर व्यक्ति को सही मात्रा और पोषण के अनुसार भोजन मिले, जो कई देशों में संभव नहीं हो पाता है. हर व्यक्ति को संतुलित भोजन उपलब्ध हो इसी मिशन के साथ वर्ष 2018 में विश्व खाद्य दिवस की शुरुआत की गयी थी.
लेकिन सच्चाई आज भी यह है कि सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद देश में सबको खाद्य सुरक्षा उपलब्ध नहीं है. सरकार ने कोरोना काल में जब हजारों लोगों की नौकरी छूट गयी लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के लिए योजना शुरू की जो अभी भी जारी है. बावजूद इसके भूख से हमारी जंग जारी है.
एनएफएचएस -5 के अनुसार 6 महीने से पांच साल तक के 67.1 प्रतिशत एनीमिया के शिकार हैं. जिनमें से 64.2 प्रतिशत शहरी और 68.3 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में एनीमिया के शिकार हैं. वहीं 15 से 49 साल की वैसी महिलाएं जो गर्भवती नहीं हैं, उनमें से 57.2 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक हैं, जिनमें से 54.1 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में है और 58.7 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में. वहीं 15 से 49 साल की गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का स्तर 52.2 प्रतिशत है, जिनमें से शहरी क्षेत्रों में 45.7 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 54.3 प्रतिशत है.
वहीं अगर सभी महिलाओं की बात करें तो देश में 15 से 49 साल की 57 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक हैं, जिनमें से शहरी क्षेत्रों में 53.8 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 58.5 प्रतिशत है. जबकि 15 से 19 साल की महिलाओं में यह आंकड़ा कुल 59.1 प्रतिशत है. शहरी क्षेत्रों की 56.5 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों की 60.2 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं. बात अगर पुरुषों की करें तो देश में 15 से 49 साल के कुल 25 प्रतिशत एनीमिक हैं, जिनमें शहरी क्षेत्र के 20.4 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र के 27. 4 प्रतिशत लोग शामिल हैं. वहीं 15 से 19 साल के युवकों में एनीमिया 31.1 प्रतिशत है. जबकि शहरी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 33.9 प्रतिशत युवक एनीमिक हैं.
बात अगर बीएमआई की करें तो देश में सामान्य से नीचे रहने वाली महिलाओं की संख्या कुल 18.7 प्रतिशत है, जिनमें से 13.2 शहरी क्षेत्रों में हैं और 21.2 ग्रामीण इलाकों में. वहीं अगर बात पुरुषों की करें तो कुल 16.2 पुरुष बीएमआई में सामान्य से नीचे हैं. जिनमें से 13 प्रतिशत शहरी इलाकों में हैं और 17.8 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं.