सुशांत सरीन
रक्षा विशेषज्ञ
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पुलवामा हमले के बाद भारत सदमे में आ गया था और हमले का जवाब देने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही था. दूसरी बात यह भी है कि भारत की एक तरह से राजनीतिक मजबूरी भी थी कि वह हमले का जवाब दे.
लेकिन, उससे भी ज्यादा मजबूरी हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की यह जरूरत थी कि भारत की तरफ से कोई सख्त प्रतिक्रिया हो. इसीलिए माना भी जा रहा था कि प्रतिक्रिया होगी ही. और यह भी स्पष्ट था कि वह प्रतिक्रिया छोटी-मोटी नहीं होगी, बल्कि जबरदस्त होगी. भारतीय वायुसेना ने जो आतंकी ट्रेनिंग कैंपों पर हवाई हमले किये हैं, उसमें हमारे जहाज न सिर्फ नियंत्रण रेखा के पार चले गये, बल्कि पाकिस्तान की अपनी सीमा को भी लांघ गये. यानी यह कार्रवाई पाकिस्तान खास में हुआ है, सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर में नहीं हुआ है.
इसका मतलब यह है कि भारत ने पिछले चालीस साल से जो अंकुश अपने ऊपर लगाये रखा था, वह अंकुश अब हट गया है. इतने अरसे से हम सिर्फ जवाबी कार्रवाई की ही बात सुनते आ रहे थे, पाकिस्तान के भीतर घुसकर हमले नहीं करते थे. दरअसल, भारत को यह कहकर डरा दिया जाता था कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार है, घुसकर हमले करेंगे तो नुकसान उठाना पड़ सकता है, यह डर अब खत्म गया है. यानी पाकिस्तान की गीदड़भभकी पर अब सवालिया निशान लग गया है.
इस कार्रवाई का एक मतलब तो यह है कि आज भारत ने खैबर-पख्तूनख्वा में हमला किया, तो कल अगर पाकिस्तान की तरफ से कोई हिमाकत होती है, तब पंजाब, सिंध या जहां कहीं पर भी मौका दिखेगा, भारतीय सेना घुसकर हमला कर सकती है.
पाकिस्तान को अब यह सोचना पड़ेगा कि वह इस हमले का जवाब कैसे देगा. वैसे, जवाब देने के लिए पाकिस्तान के पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है.
एक तो वह यह कर सकता है कि चुप करके बैठ जाये, जैसे पहले भारत करता था. भारत की तरफ से निंदा होती थी और थोड़ी-बहुत जवाबी कार्रवाई के बाद बात वहीं खत्म हो जाती थी. इस कार्रवाई के बाद अब ऐसी स्थिति नहीं रहेगी और पाकिस्तान खुद भी सीमा पर कुछ करने के लिए सोचेगा. दूसरी बात यह भी है कि अगर पाकिस्तान की तरफ से भारत पर हमला होता है, तो भारत उसका कितना करारा जवाब देगा, इस बारे में भी कुछ कहना मुश्किल है.
इसलिए अब पाकिस्तान को अपने विकल्प के बारे में सोचना है कि वह क्या करेगा. वह निंदा करेगा, शोर मचायेगा, छाती पीटेगा या फिर जवाबी कार्रवाई करेगा, यह सब देखना बाकी है. हालांकि, पाकिस्तान की तरफ से आयी कुछ प्रतिक्रियाओं को देखकर यह भी लगता है कि वह यह भी कहे कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है, भारत के जहाज आये और घूमकर चले गये, बस. लेकिन, यह कहानी पाकिस्तान में बेची नहीं जा सकती, क्योंकि जिस तरह का हमला भारत ने किया है, वह सबके सामने है.
यहां पाकिस्तान के पास दूसरा विकल्प है कि वह खुद कुछ करे. यहां सवाल यह है कि भारत ने तो पुलवामा हमले के जवाब में पाकिस्तान में घुसकर आतंकी कैंप को उड़ाया. लेकिन, पाकिस्तान अगर इसका जवाब देने के लिए कुछ करता है, तो वह किस आधार पर हमला करेगा. यह एक बड़ा सवाल है.
अगर पाकिस्तान हमारे नागरिकों पर हमले करता है, तो फिर उसका जवाब भारत बहुत सख्त कदम उठाकर देगा, यह तय है. मुझे उम्मीद है कि यह पहले से भारतीय सेना ने सोच लिया होगा कि उसे क्या करना होगा. वहीं पाकिस्तान को यह देखना होगा कि वह हमारे हमले को कितना झेल पाता है. क्योंकि, जब भारत हमले पर उतर आयेगा, तो भारत यह नहीं देखेगा कि उसके पास कितने हथियार हैं, युद्ध लड़ने के लिए कितने पैसे हैं. बल्कि भारत यह देखेगा कि वह किस तरह से इस युद्ध को जीते और वह जीतेगा ही. इसलिए पाकिस्तान के पास विकल्प कम हैं.
एक सवाल यह खड़ा होता है कि अगर भारतीय सेना ने आतंकी कैंप पर हमला किया है, तो संभवत: इसका बदला भी आतंकी ही लें या फिर पाकिस्तान सेना खुद आतंकियों से हमले करवाये. यहां कुछ समस्याएं हैं.
पहली समस्या यह है कि अगर पाकिस्तान अपने यहां के आतंकियों से भारत पर हमले करवाता है, तो फिर उसका श्रेय पाक सेना नहीं ले सकती, क्योंकि पाकिस्तान की जनता भी यही चाहेगी कि उसकी सेना ही कुछ करे, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तानी जनता की रक्षा करना है. ऐसे में अगर पाकिस्तानी आतंकियों की तरफ से हमला होता है, तो पाकिस्तान बाहरी-भीतरी कई तरह से आरोपों का शिकार होगा.
अब अगर पाकिस्तानी दहशतगर्द हम पर हमला करते हैं, तो इसका श्रेय वहां की जेहादी संगठनों को जायेगा. ऐसे में पाकिस्तान के जेहादी संगठनों का रुतबा पाक सेना से कहीं अधिक हो जायेगा, जो पाक सेना के लिए नागवार होगा. क्योंकि पाक सेना मानती है कि वहां वही सब कुछ है. एक बात और, अगर पाकिस्तान की तरफ से कोई हमला होगा, तो इस बात को समझते हुए होगा कि भारत इस बार इससे भी ज्यादा खतरनाक तरीके से मारेगा. इस स्थिति से पाकिस्तान गुजर रहा होगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों एक अंदेशा जताया था कि भारत कुछ बड़ा करनेवाला है. भारत के इस हमले को कुछ लोग इस अंदेशे से जोड़कर देख रहे हैं. हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई है यह किसी को नहीं पता.
हो सकता है कि यह सिर्फ ट्रंप का एक आकलन हो या फिर यह भी संभव है कि उन्हें यह बता दिया गया हो कि हम कुछ करेंगे, लेकिन आप बीच में मत आना. ये सारी बातें कयास भर हैं, इनमें कोई ठोस सच्चाई नहीं है. अब जहां तक पाकिस्तान की तरफ से किसी बड़े जवाबी प्रतिक्रिया की बात है, तो इसकी संभावना से इनकार बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि पुलवामा के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि भारत कुछ करता है, तो वह जवाब देंगे.
हम भारतवासियों को चाहिए कि सरकार और सेना का स्वागत करें कि इन दोनों ने मिलकर एक अच्छी रणनीति बनायी और फिर कार्रवाई को अंजाम दिया.
देश की आंतरिक सुरक्षा जितनी तेजी से मजबूत होती है, उससे लोगों में उत्साह आता है और देश की ही तरक्की होती है. यह कार्रवाई कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और न ही इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना चाहिए. बेशक सरकार को भी इसका श्रेय जाता है, लेकिन उसे भी चाहिए कि वह इसको राजनीतिक मुद्दा बनाने से गुरेज करे.
(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)