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आतंकवाद के एक अध्याय का अंत

अवधेश कुमार वरिष्ठ पत्रकार awadheshkum@gmail.com अमेरिका अब यह शान से दावा करने की स्थिति में है कि उसने दुनिया के दो सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन तथा अबुबक्र अल-बगदादी को तलाश कर मार डाला. उसने अन्य नामी आतंकवादियों को भी मौत के घाट उतारा, जिसमें मुल्ला उमर से लेकर ओसामा का बेटा हमजा बिन […]

अवधेश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार
awadheshkum@gmail.com
अमेरिका अब यह शान से दावा करने की स्थिति में है कि उसने दुनिया के दो सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन तथा अबुबक्र अल-बगदादी को तलाश कर मार डाला. उसने अन्य नामी आतंकवादियों को भी मौत के घाट उतारा, जिसमें मुल्ला उमर से लेकर ओसामा का बेटा हमजा बिन लादेन भी है. किंतु दो मई, 2011 को ओसामा और अब 27 अक्तूबर को बगदादी को मार डालना इतिहास का ऐसा अध्याय है, जिसे आतंकवाद विरोधी युद्ध की सबसे बड़ी सफलता के रूप में याद किया जायेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टीवी पर लाइव प्रसारण के दौरान बगदादी की मौत की घोषणा की गयी.
ट्रंप ने कहा कि बगदादी अमेरिकी ताकत के डर से चीखते-चिल्लाते हुए कुत्ते की मौत मारा गया. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी ओसामा के मारे जाने के बाद घोषणा की थी कि न्याय किया जा चुका है. यहां दोनों की शब्दावलियों में अंतर है. ट्रंप ने बताया कि बगदादी को मारने के लिए सीरिया के इदलिब प्रांत में हेलिकॉप्टर, विमानों और ड्रोन्स के कवर में स्पेशल फोर्सेज को जमीन पर उतारा गया था.
अमेरिका के एक भी सैनिक को क्षति न पहुंचने का अर्थ था कि विरोध बड़ा नहीं था. ओसामा को जब पाकिस्तान के एबटाबाद में नेवी सील के जवानों ने उसके सुरक्षित तीन मंजिले घर में उतरकर मारा था, तो वहां भी विरोध के लिए कोई नहीं था. अमेरिका ने बगदादी पर 2.5 करोड़ डॉलर (177 करोड़ रुपये) का इनाम रखा था.
हालांकि, इसके पहले भी ऐसे कम-से-कम आठ बार उसे मारे जाने की बात की गयी थी. हर बार का दावा गलत निकला. अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने 22 जुलाई, 2017 को उसके मारे जाने के दावों को खारिज करते हुए कहा था- ‘मेरा मानना है कि बगदादी जिंदा है और मैं तभी मानूंगा कि उसकी मौत हो गयी है, जब हमें पता चलेगा कि हमने उसे मार दिया है.’
सबसे अंतिम दावा रूसी मीडिया में जून 2017 में किया गया था कि सीरिया के रक्का के नजदीक 28 मई को बगदादी की एक बैठक पर किये गये हमले में संभवतः बगदादी मारा गया था. मैटिस की बात सच निकली, जब 28 सितंबर, 2017 को आइएस ने अल-बगदादी का 45 मिनट का ऑडियो जारी किया.
लेकिन इस बार संदेह की गुंजाइश नहीं है. इसी वर्ष श्रीलंका के क्राइस्टचर्च में 21 अप्रैल को हुए धमाकों के बाद बगदादी का एक वीडियो जारी हुआ था. अब बगदादी मर चुका है. यह आतंकवाद विरोधी युद्ध की सबसे बड़ी सफलता है.
अल-बगदादी के पैर 2017 से ही उखड़ने लगे थे. साल 2017 में ही 28 जून को इस्लामिक स्टेट ने मोसुल की प्रसिद्ध झुकी हुई मीनार और उससे जुड़ी नूरी मस्जिद को विस्फोट कर उड़ा दिया, जिसमें वर्ष 2014 में पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आये अल-बगदादी ने खुद को खलीफा घोषित किया था.
नौ दिसंबर, 2017 को इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने इस्लामिक स्टेट को इराक से पूरी तरह खदेड़ने का दावा किया था और यह सच था. उसके बाद 23 मार्च को सीरिया में अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सेना ने, जिसे अमेरिकी समर्थक बल भी कहा जाता है, घोषणा कर दी कि आइएस के कब्जे से अंतिम क्षेत्र को मुक्त करा लिया गया है. लेकिन, जब तक अल-बगदादी जिंदा था, इसे पूर्ण विजय नहीं माना जा सकता था.
अल-बगदादी इराक में अमेरिकी विजय के खिलाफ संघर्ष कर रहे अल-कायदा का ही प्रमख था. अल-कायदा से अलग उसने 2006 में आइएसआई यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक नाम से संगठन बनाकर अकेले कब्जा करने पर काम शुरू किया. इसमें वह सफल नहीं हुआ. हालांकि, उसने जिस तरह पुलिस, सेना से जुड़े ठिकानों पर हमला करना शुरू किया और उसकी खबरें फैलने लगीं, मुस्लिम युवाओं का उसकी ओर आकर्षण व झुकाव हुआ और भारी संख्या में लड़ाके शामिल होने लगे.
उसकी कल्पना बड़ी थी- मध्यकालीन इस्लामी साम्राज्य की स्थापना, जिसका प्रमुख खलीफा हो. सीरिया में गृहयुद्ध आरंभ हो चुका था. उसने संगठन का नाम आइएसआइएस यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया कर दिया. वहां फ्री सीरियन आर्मी या एफएसए को अमेरिका और उसके साथी देशों की सहानुभूति तथा हल्का सहयोग प्राप्त था. जून 2013 में एफएसए ने अपनी पराजय देख अपील की कि उसे हथियार और अन्य संसाधन दिया जाये.
उसके बाद अमेरिका, इस्राइल, जॉर्डन, तुर्की, सऊदी अरब और कतर ने उसे हथियार, धन और सैन्य प्रशिक्षण की सहायता दी. इन देशों को पता ही नहीं चला कि आइएसआइएस एफएसए के साथ है. इन्हीं हथियारों, संसाधनों और प्रशिक्षणों की बदौलत बगदादी ने सीरिया और इराक के बड़े हिस्से को कब्जे में ले लिया.
अल-बगदादी के नेतृत्व वाला आइएस पहला आतंकवादी संगठन था, जिसने इराक और सीरिया में 88 हजार वर्ग किमी तक के इलाके को नियंत्रित किया था. इराक के 40 प्रतिशत हिस्से पर इसका कब्जा था. बगदादी इसीलिए अल-कायदा से अलग हुआ, क्योंकि उसकी कल्पना जल्दी से खिलाफत का लक्ष्य हासिल करना था.
बगदादी ने कब्जे के दौरान बड़े पैमाने पर नरसंहार करवाया और इनका वीडियो दहशत के लिए सोशल मीडिया पर फैलाया. साल 2014 में इराक के सिंजार क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद उसका वहशीपन दुनिया के सामने आया, जब उसने यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की हजारों महिलाओं और लड़कियों को बंधक बनाया और उन्हें यौन गुलाम बनने के लिए मजबूर किया. बाजार लगाकर उन्हें बेचते हुए वीडियो जारी किया.
इराक और सीरिया से आइएस की पराजय एवं अब अल-बगदादी के अंत के साथ आधुनिक दुनिया में क्रूरता के एक अध्याय का अंत हो गया है. इसे जेहादी आतंकवाद को अब तक का सबसे बड़ा धक्का कह सकते हैं. किंतु आतंकवाद का खतरा खत्म हो गया, ऐसा मानना गलत होगा. अब भी नाइजीरिया से लेकर फिलीपींस तक आइएस सक्रिय है.
जैसे ओसामा मरने के बावजूद आतंकवादियों के लिए प्रेरणास्रोत है, बगदादी का प्रभाव उससे ज्यादा है. बगदादी ने संघर्ष में अपने प्रवक्ता से लोन वूल्फ यानी अकेले जो भी संसाधन मिले, उसी से हमला करने का जो बयान दिलवाया, वह दुनिया में फैल चुका है. आइएस के सहयोगी संगठन मिस्र और लीबिया में भी हमले करते रहे हैं. इस तरह खतरा अभी है. हां, बगदादी के मारे जाने के बाद उस तरह का आकर्षण और हिंसा की प्रेरणा का जिंदा स्रोत अवश्य खत्म हो गया है.

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