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ज्ञान की आराधना होती है चहुंओर, सिर्फ भारत तक नहीं सिमटी है सरस्वती पूजा
राजीव चौबे वसंत पंचमी के कई रंग हैं. यह प्रकृति के नये सिंगार का पर्व है. प्रेम और उल्लास का उत्सव है. रंगों के त्योहार होली का आगाज है. लेकिन इन सबके साथ ही यह ज्ञान और बुद्धि की आराधना का भी अवसर है. सीधे-सीधे कहें तो सरस्वती पूजा का. सरस्वती पूजा हिंदू बहुल भारत […]
राजीव चौबे
वसंत पंचमी के कई रंग हैं. यह प्रकृति के नये सिंगार का पर्व है. प्रेम और उल्लास का उत्सव है. रंगों के त्योहार होली का आगाज है. लेकिन इन सबके साथ ही यह ज्ञान और बुद्धि की आराधना का भी अवसर है. सीधे-सीधे कहें तो सरस्वती पूजा का. सरस्वती पूजा हिंदू बहुल भारत और नेपाल तक ही सीमित नहीं है. ज्ञान की देवी के रूप में मां सरस्वती की प्रतिष्ठा पड़ोसी बांग्लादेश से लेकर सुदूर दक्षिण-पूर्व में स्थित इंडोनेशिया तक में है. ये दोनों भले मुसलिम बहुल देश हैं, लेकिन यहां भारतीयता की जड़ें काफी गहरी हैं.
बांग्लादेश और इंडोनेशिया के लिए यह उत्सव धार्मिक से ज्यादा एक सांस्कृतिक प्रतीक है. एक देश किसी दूसरे देश को जब कोई तोहफा देता है, तब यह ख्याल रखता है कि यह तोहफा उसकी सांस्कृतिक धरोहर को सामने लाये. ऐसा ही करते हुए, इंडोनेशिया ने सन 2013 में अमेरिका को 16 फुट लंबी सरस्वती प्रतिमा भेंट की, जो वाशिंगटन डीसी में लगी हुई है. इस प्रतिमा में भारतीयता और इंडोनेशियाई सौंदर्यबोध का अद्भुत समन्वय है.
बांग्लादेश के सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान, ढाका विश्वविद्यालय में हर साल सरस्वती पूजा का भव्य आयोजन ‘बानी अर्चना’ (वाणी अर्चना) के नाम से होता है. सरस्वती सुर, संगीत, वाणी की भी देवी हैं, इसलिए उन्हें वाग्देवी भी कहा जाता है. विश्वविद्यालय के जगन्नाथ हॉल स्थित तालाब में हर साल बानी अर्चना के दौरान मां सरस्वती की विशाल प्रतिमा लगायी जाती है.
दुनिया के कई और देश हैं, जहां अब सरस्वती की पूजा तो नहीं होती, लेकिन उनका सांस्कृतिक महत्व बरकरार है. अनाहिता को ईरान में ज्ञान और कला के अलावा, समानता व हरियाली का प्रतीक माना जाता है. इनके प्रतीकों में हरे रंग की शाखाएं और बहता हुआ जल रहे हैं. स्नोत्र को जर्मनी में ज्ञान, विवेक और आत्मनियंत्रण की देवी माना जाता है. नॉर्स पौराणिक कथाओं के अनुसार यह देवी मनुष्यों को सदाचार की सीख देती हैं. जिस तरह एक गृहिणी घर के पुरुषों को यह समझाती है कि किस समय व्यक्ति का व्यवहार कैसा होना चाहिए, वही सीख यह देवी भी देती हैं और यही वजह है कि यह हर गृहिणी में बसती हैं.
मिनर्वा को फ्रांस, स्पेन, इंगलैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया सहित कई यूरोपीय देशों में ज्ञान और शिल्प की देवी माना जाता है. रोमन मिथकों के अनुसार, वह कताई-बुनाई, संगीत, चिकित्सा शास्त्र और गणित सहित रोजमर्रा के कार्यो में निपुणता की भी देवी हैं. उन्हें ‘हजार कामों की देवी’ कहा जाता है. मिस्र में लेखन कला का आविष्कार करनेवाली देवी सेशात को माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि उन्होंने प्राचीन फराओ की उपलब्धियों के दस्तावेज तैयार किये. खगोल विज्ञान, ज्योतिष, ज्यामिति, वास्तुकला और लेखा भी इन्हीं देवी की रचनाएं मानी जाती हैं.
एथेना को यूनानी सभ्यता में ज्ञान, कला, साहस, प्रेरणा, सभ्यता, कानून-न्याय, गणित, सैन्य जीत की देवी माना जाता है. वह बुनाई और शिल्पकला की भी देवी मानी जाती हैं. इसके साथ ही उन्हें एथेंस शहर की संरक्षक देव भी माना जाता है. वह हरक्यूलिस की बहन थीं. वह बुद्धि, विनम्रता, चेतना, ब्रह्मांडीय ज्ञान, रचनात्मकता, शिक्षा, वाक्पटुता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं.
बेंजाइतेन हिंदू देवी सरस्वती का जापानी संस्करण हैं. जापान की सबसे ज्यादा पूजी जानेवाली इन देवी के नाम पर हर बड़े शहर में मंदिर या तीर्थस्थल पर हैं, जो अधिकांशत: समुद्र, झील, तालाब या नदी जैसे जलस्नेतों के निकट स्थित हैं. यह देवी ड्रैगन पर सवार रहती हैं. इनके आठ हाथ होते हैं और यह इनमें तलवार, रत्न, धनुष, बाण, चक्र और चाबी धारण किये रहती हैं. शुभता के लिए जापान में पूजे जानेवाले सात देवी-देवताओं में यह एकमात्र देवी हैं.
दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां ज्ञान की देवी की जगह देवता की परिकल्पना है. ओरुनमिला को नाइजीरिया समेत कई अफ्रीकी देशों में ज्ञान, बुद्धिमता और सूझबूझ के देवता के रूप में पूजा जाता है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति के समय भी वह मौजूद थे और उन्होंने ही पुजारियों, पुरोहितों और संतों को आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिकता की सीख दी. जार एडो वेन्स को ऑस्ट्रेलिया के मूलवासियों में आत्म संयम, सांसारिक ज्ञान और शारीरिक ताकत के देवता के रूप में जाना जाता है. लग को आयरलैंड और स्कॉटलैंड सहित आसपास के क्षेत्रों में जीवन के हर कौशल का देवता माना जाता है. वह विद्या, ज्ञान और अध्यात्म से लेकर खेती-बाड़ी और शिल्पकला तक का प्रतिनिधित्व करते हैं. वेनचैंग वैंग को प्राचीन चीनी सभ्यता में ऐसे देवता के रूप में जाना जाता है जो ज्ञान, भाषा और संस्कृति की प्रतिमूर्ति हैं.
ज्ञान की पूजा का महत्व सदियों से है और निस्संदेह आगे भी रहेगा. आज वसंत पंचमी के दिन हम जो सरस्वती पूजा का आयोजन करते हैं, वह ज्ञान की देवी की आराधना के लिए ही है. भारत ही नहीं, दुनिया के लगभग अनेक देशों में ज्ञान की अधिष्ठात्री देवियों की पूजा होती रही है. आइए डालें एक नजर..
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