।। आशुतोष चतुर्वेदी ।।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के चयन में एक बार फिर सबको चौंकाया है. महाराष्ट्र, हरियाणा से लेकर उत्तराखंड तक मुख्यमंत्री के चयन में इस जोड़ी ने हमेशा सबको हतप्रभ किया है. मीडिया में जिस नाम की चर्चा चली है, अक्सर वह शख्स मुख्यमंत्री नहीं हो पाया है. सुबह से मनोज सिन्हा, केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा का नाम चर्चा में था. लेकिन, शाम आते-आते योगी आदित्यनाथ का नाम आगे आ गया. योगी की छवि कट्टर हिंदुत्व की रही है.
इसी छवि के कारण पार्टी नेता और मीडिया योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की दौड़ में नहीं मान रहा था. लेकिन, शाम आते-आते यही छवि योगी की धरोहर बन गयी. योगी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि पार्टी हिंदुत्व के रास्ते पर अब और आगे बढ़ना चाहती है. अभी तक भाजपा कब्रिस्तान-श्मशान, ईद-दिवाली और कसाब जैसे जुमलों के जरिये संदेश दे रही थी. लेकिन, योगी को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने खुला संदेश दे दिया है और यह संदेश केवल यूपी तक सीमित नहीं है.
ऐसा भी नहीं है कि भाजपा ने किसी साधु-संन्यासी को पहली बार मुख्यमंत्री बनाया हो. साध्वी उमा भारती को पार्टी मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बना चुकी है और वाजपेयी सरकार से लेकर मोदी सरकार तक में अनेक साधु-संन्यासी केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे हैं. सन् 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाते समय पार्टी के सामने ऐसी ही दुविधा थी. बताते हैं कि योगी के चयन में भी पार्टी की सामने ऐसी ही दुविधा थी. लेकिन अंत में फैसला योगी के पक्ष में हुआ.
योगी आदित्यनाथ के पास कोई भी प्रशासनिक अनुभव नहीं है और उनकी छवि कट्टर हिंदूवादी की रही है. उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती भी इसी छवि से पार पाने की है. जिस पूर्वांचल से योगी आते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा बेहद पिछड़ा है, साथ ही यूपी जैसे विशालकाय राज्य का प्रशासन अपने आपमें चुनौती है. देखना होगा जिस दबंगई से वह पूर्वांचल में अपना साम्राज्य चलाते हैं, क्या उससे यूपी जैसे बड़े सूबे का राजकाज चल पायेगा. दूसरे, समर्थकों और अन्य हिंदूवादी संगठनों को नियंत्रित करना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी.
नरेंद्र मोदी ने यूपी के विकास का नारा दिया है और विधायक दल की बैठक में भी यह दोहराया गया कि योगी सरकार विकास के रास्ते पर चलेगी. दरअसल पार्टी जानती है कि केवल हिंदुत्व की छवि से 2019 की नैया पार नहीं होने वाली, उसमें विकास की बल्ली लगानी ही पड़ेगी. इसके बिना काम नहीं चलने वाला.