14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्वर्ण पदक जीत के लिए उचित माहौल

नये भारत में सफलता पाने की ललक है, खेलों में उत्कृष्टता हासिल करने के हमारे खेल जगत के प्रयासों को सरकार और प्रधानमंत्री का पूरा समर्थन है.

अनुराग सिंह ठाकुर

सूचना एवं प्रसारण और

युवा कार्य एवं खेल मंत्री

हमारे प्रधानमंत्री द्वारा नीरज चोपड़ा को चूरमा तथा पीवी सिंधु को आइसक्रीम पेश करना, बजरंग पुनिया के साथ हंसते हुए रवि दहिया को और हंसने के लिए कहना तथा मीराबाई चानू के अनुभव सुनना – इस दृश्य को देखकर प्रत्येक भारतीय के चेहरे पर मुस्कान आयी होगी. यह बात भी प्रोत्साहित करनेवाली थी कि उन्होंने तोक्यो में भाग लेनेवाले प्रत्येक एथलीट के साथ समय बिताया. अगले दिन उन्होंने पैराओलिंपिक दल के साथ बातचीत की तथा उनकी प्रेरक जीवन यात्रा पर चर्चा की.

ये दृश्य नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के एक अलग पक्ष का संकेत देते हैं- एक व्यक्ति, जो खेल के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा है और वह भारतीय एथलीटों के लिए कुछ अलग, कुछ अतिरिक्त भी करने के लिए तैयार है. तोक्यो खेलों के शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी तैयारियों का जायजा लेने के लिए एक व्यापक समीक्षा बैठक की थी. जिन लोगों ने उन्हें करीब से देखा है, वे पुष्टि कर सकते हैं कि युवाओं के बीच खेल की संस्कृति का समर्थन करने में प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत स्तर पर रुचि लेते हैं.

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने खेल महाकुंभ पहल की शुरूआत की, जिससे एक ऐसे राज्य में जमीनी स्तर पर खेल-भागीदारी को बढ़ावा मिला, जो ऐतिहासिक रूप से खेल उत्कृष्टता के लिए नहीं जाना जाता है. इस आधार पर मेरे तर्क को समर्थन मिलता है कि वे भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें ‘खिलाड़ियों का प्रधानमंत्री’ कहा जा सकता है.

कुछ दिनों पहले 2013 का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी पुणे में छात्रों के एक समूह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने अफसोस जताया कि भारत में एक बड़ी और प्रतिभाशाली आबादी रहती है तथा देश में खेल उत्कृष्टता का इतिहास भी है, लेकिन एक ओलिंपिक के बाद अगले ओलिंपिक के बीतने के बाद भी हम पदकों की संख्या बढ़ाने के लिए संघर्ष करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि भारत जैसा देश ओलिंपिक की सफलता से वंचित रहे.

उनका कहना है कि मुद्दा खिलाड़ियों का नहीं, बल्कि उचित सहायक माहौल बनाने में हमारी अक्षमता का है. महिला और पुरुष हॉकी टीम का कहना है कि हार के बाद प्रधानमंत्री के फोन कॉल ने उनका मनोबल बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. साल 2019 में जब नीरज चोपड़ा को गंभीर चोट लगी, तो प्रधानमंत्री मोदी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की थी. प्रधानमंत्री ने यह भलीभांति समझ लिया है कि असली समस्‍या क्‍या है.

उनका स्‍पष्‍ट मानना है कि लोग खेलों में रुचि तो बहुत दिखाते हैं, लेकिन जब इसे अभिभावकों द्वारा प्रोत्साहन देने और इसमें बच्‍चों के भाग लेने की बात आती है, तो भारी अंतर देखने को मिलता है. पदक विजेताओं से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, ‘खेलकूद में हाल ही में मिली अद्भुत सफलताओं को देखकर मुझे पक्‍का विश्वास है कि खेलकूद के प्रति माता-पिता के नजरिये में व्‍यापक बदलाव आयेगा.’ इस टिप्पणी में सच्‍चाई और उम्‍मीदें दोनों ही थीं.

जब अभिभावक जीते गये पदकों की संख्या बढ़ते हुए देखते हैं, उन्हें भी हौसला मिलता है कि वे भी खेलकूद के प्रति अपने बच्‍चों की रुचि को बढ़ावा देंगे. जब वे यह देखते हैं कि सरकारी प्रतिष्‍ठान और कॉरपोरेट सेक्‍टर हमारे खिलाड़ियों के साथ हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि खेल भी एक आकर्षक और सम्मानजनक करियर बन सकता है.

शानदार सफलता को हम विभिन्न तरीकों से आगे बढ़ा सकते हैं. एक तो यह है कि राज्य ‘एक राज्य-एक खेल’ दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करें, सभी राज्‍य उपलब्ध प्रतिभाओं, बच्‍चों की स्‍वाभाविक रुचि, जलवायु और उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं के आधार पर किसी एक विशेष खेल या कुछ खेलों को (दूसरों खेलों की अनदेखी न करते हुए) प्राथमिकता दे सकते हैं. हमें इस मुहिम में कॉरपोरेट इंडिया को भी अवश्‍य शामिल करना होगा, ताकि ‘वन स्पोर्ट-वन कॉरपोरेट’ नजरिया अपनाया जा सके.

पूरी दुनिया में उभरती प्रतिभाओं को समर्थन देने, लीग बनाने, प्रशंसकों को अद्भुत अनुभव कराने और खिलाड़ियों की वित्तीय स्थिति बेहतर करने में कंपनियां ही सबसे आगे होती हैं. क्रिकेट के साथ कंपनियों के जुड़ाव की सफलता की गाथाएं इसकी मिसाल हैं. एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति का निर्माण करना है. इसके लिए स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न खेलों के कैलेंडर का विस्तार करना अनिवार्य है.

भारत में प्रत्येक खेल में ‘क्षेत्रीय लीग’ की नितांत आवश्यकता है, जिससे युवा एथलीटों को विभिन्न स्तरों पर पूरे वर्ष के दौरान अपने कौशल को सुधारने का अवसर मिलेगा, स्‍वस्‍थ प्रतिस्पर्धी भावना उत्‍पन्‍न होगी और इसके साथ ही देशभर में खेलकूद के समग्र परिेवेश और बुनियादी ढांचांगत सुविधाओं का व्‍यापक विस्‍तार होगा. मेरा यह भी मानना है कि हमारी विश्वविद्यालय प्रणाली को ओलिंपिक खेलों में उत्कृष्टता के लिए एक अद्भुत स्रोत में परिवर्तित किया जा सकता है.

एक चीज, जिसने भारतीय खेलों की मदद की है, वह है – गुणवत्ता और वैश्विक मानकों पर जोर. पारंपरिक रास्ता नौकरशाही से जुड़ा और थकाऊ था. मोदी सरकार में यह सब बदल गया है. प्रधानमंत्री भी सीधे खिलाड़ियों से जानकारी लेना पसंद करते हैं. तोक्यो ओलिंपिक में भाग लेनेवाले दल से मुलाकात के दौरान उन्होंने खिलाड़ियों से अपने विचार साझा करते रहने को कहा. आधुनिक तकनीक का उदय (विडंबना के रूप में) भारतीय खेलों को प्रभावित करने वाले कई अन्य मुद्दों में से एक है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को अपनी पुस्तक ‘एग्जाम वॉरियर्स’ में और अपने ‘परीक्षा पे चर्चा’ से जुड़े कार्यक्रमों में भी रेखांकित किया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी ऐसी प्रक्रियाओं का समावेश किया गया है, जो खेल से जुड़ी शिक्षा को एक आकर्षक विकल्प बनायेंगे. आनेवाले सालों में मणिपुर को भारत का पहला खेल विश्वविद्यालय मिलेगा, जो एथलीटों के लिए वरदान साबित होगा और विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में खेलों की समृद्ध विरासत का दोहन करेगा.

तोक्यो 2020 कई मायनों में भारत के लिए पहला ओलंपिक साबित हुआ. हमने एथलेटिक्स में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता, हॉकी टीम ने चमत्कारिक प्रदर्शन किया और डिस्कस थ्रो, गोल्फ, तलवारबाजी आदि अन्य खेलों में भी सफलता मिली. टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना, खेलो इंडिया एवं फिट इंडिया अभियान ने और अधिक बड़ी सफलता की नींव रखी है. नये भारत में सफलता पाने की ललक है, खेलों में उत्कृष्टता हासिल करने के हमारे खेल जगत के प्रयासों को सरकार और प्रधानमंत्री का पूरा समर्थन है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें