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राहत पैकेज से मिलेगी संजीवनी

कोरोना की दूसरी लहर से सुधारात्मक कार्यों और आर्थिक गतिविधियों में फिर से गतिरोध आ गया. बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर कम हुए. दूसरी लहर से स्वास्थ्य, पर्यटन, एमएसएमई, किसान प्रभावित हुए.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना महामारी से राहत देने के लिए अनेक घोषणाएं की हैं, जिन्हें अमल में लाने में बैंकों की अहम भूमिका होगी. पैकेज में कुछ पुरानी योजनाओं का विस्तार किया गया है और कुछ नयी योजनाओं की बात कही गयी है. राहत की कुल राशि 6,28,993 करोड़ रुपये है. रिजर्व बैंक ने 5 मई को 50,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी. इसके तहत बैंकों द्वारा आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा ऋण दिये जायेंगे. इसके तहत टीका विनिर्माताओं, चिकित्सा उपकरणों, ऑक्सीजन एवं वेंटिलेटर के आयातकों व आपूर्तिकर्ताओं, अस्पतालों तथा कोविड की दवाओं के लिए ऋण दिये जा सकते हैं.

यह राशि देश के कुल छह लाख करोड़ रुपये के स्वास्थ्य व्यय का लगभग नौ प्रतिशत है. इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में तकरीबन 80,000 करोड़ रुपये की मांग पैदा होने की उम्मीद है. सरकार ने स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपये में से 50 हजार करोड़ रुपये की गारंटी कवर की घोषणा की है. दूसरे क्षेत्रों के लिए 60 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान है. सरकार 23,220 करोड़ रुपये बच्चों से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करेगी.

जांच क्षमता और टेलीकंसल्टेशन जैसी सुविधाओं में बढ़ोतरी की जायेगी, ताकि कोरोना महामारी पर नियंत्रण रखा जा सके. आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत तीन लाख करोड़ रुपये तक की ऋण राशि का प्रावधान किया गया था. अब तक 2.69 लाख करोड़ रुपये ऋण के रूप में 1.1 करोड़ एमएसएमई इकाइयों के बीच वितरित किया जा चुका है.

देश में लगभग 6.3 करोड़ एमएसएमई इकाई हैं. अभी बहुत सारे इकाई इससे वंचित हैं. इसलिए ईसीएलजीएस के तहत 1.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण एमएसएमई को देने की घोषणा की गयी है. पूर्व में रिजर्व बैंक लघु वित्त बैंकों के लिए एक स्पेशल लॉन्ग टर्म रेपो के तहत तरलता बढ़ाने का काम कर चुका है. हालांकि, एसएफबी को यह सुनिश्चित करना होगा कि केंद्रीय बैंक से उधार ली जाने वाली रकम का इस्तेमाल महामारी से प्रभावित हुए असंगठित क्षेत्र के लिए किया जाये.

छोटे कारोबारी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी), माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट (एमएफआई) को 1.25 लाख करोड़ रुपये तक की सहायता ऋण के रूप में दी जायेगी. इस पर 75 प्रतिशत की गारंटी सरकार देगी. वैसे ऋणी, जिन्होंने 89 दिनों तक अपने ऋण की किस्त एवं ब्याज का भुगतान नहीं किया है वे भी इस योजना के पात्र होंगे. इससे 25 लाख लोगों को फायदा मिलने की उम्मीद है.

वर्ल्ड ट्रेवल और टूरिज्म के आंकड़ों के अनुसार, जीडीपी में ट्रेवल और टूरिज्म का योगदान वर्ष 2019 में 6.9 प्रतिशत था, जो वर्ष 2020 में कम होकर 4.7 प्रतिशत रह गया. इस क्षेत्र में रोजगार 4.01 करोड़ से घटकर 3.18 करोड़ रह गया. सरकार 904 पंजीकृत टूरिस्ट गाइड और ट्रेवल टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स को दिये जानेवाले 10 लाख रुपये तक के ऋण पर 100 प्रतिशत की गारंटी देगी.

साथ ही 10,700 लाइसेंसशुदा टूरिस्ट गाइड को एक लाख रुपये तक के ऋण पर भी 100 प्रतिशत की गारंटी देगी. विदेशी पर्यटकों में शुरुआती पांच लाख को मुफ्त में वीजा जारी किये जायेंगे. वर्ष 2019 में 1.93 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत आये थे. साथ ही आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 कर दिया गया है. अब तक करीब 21.42 लाख लाभार्थियों के लिए 902 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं, जिससे 79,577 इकाइयों को फायदा हुआ है. इसके अंतर्गत सरकार 15 हजार से कम वेतन वाले कर्मचारियों और कंपनियों के भविष्य निधि का भुगतान करती है.

सरकार ने 22,810 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है, जिससे 58.50 लाख लोगों को लाभ मिलेगा. सरकार ने किसानों को 14,775 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी दी है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर वित्त वर्ष 2020-21 में 1,33,972 करोड़ रुपये खर्च किये गये. मई, 2021 में इसे फिर से शुरू किया गया. इसके तहत 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अनाज नवंबर, 2021 तक मुफ्त दिया जायेगा, जिस पर इस साल लगभग 93,869 करोड़ रुपये खर्च होंगे. कुल मिलाकर इस योजना पर लगभग 2,27,841 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.

निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. वर्ष 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है. सरकार नेशनल एक्सपोर्ट इंश्योरेंस अकाउंट (एनईआइए) के जरिये निर्यातकों को 33,000 करोड़ रुपये की सहायता देगी और 88 हजार करोड़ रुपये का निर्यात बीमा कवर भी देगी. इससे 30 प्रतिशत निर्यातकों को लाभ मिलेगा. भारतनेट के तहत प्रत्येक गांव तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए 19,041 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. 31 मई, 2021 तक 2.50 लाख ग्राम पंचायतों में से 1,56,223 गांवों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध करायी जा चुकी है.

बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए 3.03 लाख करोड़ रुपये दिये जायेंगे. इससे अवसंरचना को सशक्त बनाया जायेगा. पीपीपी परियोजनाओं और परिसंपत्ति मॉनेटाइजेशन के लिए सरकार एक नयी नीति लायेगी. मौजूदा प्रक्रिया काफी लंबी है. कोरोना की दूसरी लहर से सुधारात्मक कार्यों और आर्थिक गतिविधियों में फिर से गतिरोध आ गया. बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर कम हुए. दूसरी लहर से स्वास्थ्य, पर्यटन, एमएसएमई, किसान प्रभावित हुए. इन पहलुओं को दृष्टिगत रखकर सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा की है, ताकि प्रभावित संस्थानों एवं आम लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार आये.

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