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बेहतर शासन पर जोर

कार्यपालिका की सामूहिक जिम्मेदारी और जवाबदेही मंत्रिपरिषद में निहित होती है. इसलिए मंत्रियों के बीच आपसी संयोजन बहुत महत्वपूर्ण है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रालयों के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए अनेक नयी पहल करते रहे हैं. शासन को पारदर्शिता के साथ सुचारु रूप से चलाना तथा सरकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों को तय समय में अमल में लाना उनकी प्राथमिकता रही है. इसी कड़ी में अब केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 77 सदस्यों को आठ विभिन्न समूहों में बांटा गया है. इन समूहों के गठन से पहले प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में मंत्रियों की पांच लंबी बैठकें हुईं, जिनमें शासन को अधिक सक्षम बनाने के उपायों पर चर्चा की गयी.

प्रधानमंत्री मोदी नियमित रूप से विभिन्न मंत्रालयों के मंत्रियों के साथ मिलकर कामकाज की समीक्षा तो करते ही रहते हैं, साथ ही, वे सचिवों के साथ भी विचार-विमर्श करते रहते हैं. इस नयी व्यवस्था में मंत्रियों के समूह युवा पेशेवर व दक्ष लोगों की सेवा लेने के साथ सेवानिवृत्त हो रहे अनुभवी अधिकारियों से सलाह लेंगे तथा तकनीकी संसाधनों का समुचित उपयोग करेंगे. ऐसी ही कोशिशें मंत्रालयों के स्तर पर भी होंगी.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी अक्सर मंत्रिपरिषद के सहयोगी मंत्रियों को मीडिया के साथ बात करने से कहीं अधिक ध्यान अपने काम पर देने की सलाह देते रहते हैं. पिछले माॅनसून सत्र में उन्होंने नये मंत्रियों से संसद में उपस्थित रहकर बहस करना सीखने का निर्देश दिया था. वर्तमान मंत्रिपरिषद में पहली बार मंत्री बने नेताओं की बड़ी संख्या है. अलग-अलग विषय पर आधारित आठ समूहों के गठन से ऐसे मंत्रियों को ठीक से अपनी जिम्मेदारी निभाने में बहुत मदद मिलेगी.

अंतिम चिंतन शिविर में विशेष रूप से उपराष्ट्रपति तथा लोकसभा के अध्यक्ष को भी आमंत्रित किया गया था. माना जा रहा है कि संसद के दोनों सदनों के प्रमुखों ने मंत्रियों से संसदीय व्यवस्था और उत्तरदायित्व के महत्व पर बातचीत की है. केंद्र सरकार की अहम योजनाओं और कार्यक्रमों की स्थिति की जानकारी हर नागरिक आसानी से पा सके, इसके लिए सभी मंत्रालयों की वेबसाइटों पर प्राथमिकता से सूचना मुहैया कराने को इस नयी व्यवस्था में प्रमुखता दी गयी है.

मंत्रियों और विभागों के बीच सूचना का आदान-प्रदान सरल हो तथा परस्पर बैठकों व पत्राचार में कोई मुश्किल न आये, इस पर भी विशेष ध्यान दिया जायेगा. अनेक सरकारी योजनाओं में एक से अधिक मंत्रालयों और विभागों की भूमिका होती है. आपस में ठीक से सामंजस्य और समन्वय न होने से उनके पूरा होने में अक्सर देरी हो जाती है. मंत्री समूहों के बनने तथा तकनीक के अधिकाधिक उपयोग से इस समस्या का समाधान होने की उम्मीद है.

युवा प्रतिभाओं को शासन व्यवस्था से जोड़ना एक सराहनीय पहल है. इससे नयी दृष्टि और नयी ऊर्जा का संचार होगा. कार्यपालिका की सामूहिक जिम्मेदारी और जवाबदेही मंत्रिपरिषद में निहित होती है. इसलिए मंत्रियों के बीच आपसी संयोजन बहुत महत्वपूर्ण है. सब अपनी क्षमता से एक साथ कार्यशील होंगे, तभी प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ संकल्प को सही मायनों में साकार किया जा सकता है.

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