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अर्थव्यवस्था में बढ़त

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि के अलावा घरेलू उड़ान, बाजारों में आवाजाही, यातायात आदि में भी बढ़त दर्ज की गयी है.

महामारी की दूसरी लहर थमने के साथ औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के रूझान हैं. जून में आठ प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों- कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, शोधित उत्पाद, फर्टिलाइजर, स्टील, सीमेंट और बिजली- में 8.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल जून में इन क्षेत्रों में 12.4 प्रतिशत का संकुचन हुआ था. चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि आगे के लिए अच्छा संकेत है.

इनके अलावा, घरेलू उड़ान, बाजारों में आवाजाही, यातायात आदि अहम कारोबारों में ठोस बढ़त दर्ज की गयी है. मई की तुलना में जून में उड़ानों में 47 फीसदी की बड़ी बढ़ोतरी हुई है. शहरी इलाकों में लोग बाजारों में जा रहे हैं और राजमार्गों पर यातायात भी बढ़ता जा रहा है. गूगल मोबिलिटी इंडेक्स के अनुसार, 26 जुलाई को खुदरा बाजारों- रेस्तरां, दुकान आदि, में जानेवालों की संख्या कोरोना महामारी से पहले के स्तर से 20 फीसदी ही कम है.

दूसरी लहर के सबसे भयावह दिनों से ठीक पहले 23 अप्रैल को यह आंकड़ा 46 फीसदी कम रहा था. अब कई शहरों में सिनेमाघरों और अन्य प्रतिष्ठानों के खुलने से इसमें और सुधार आने की उम्मीद है. अनेक राज्यों में अब शिक्षण संस्थाओं को खोलने की प्रक्रिया भी शुरू हो रही है. वाहनों समेत विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद-बिक्री में भी इजाफा हो रहा है.

इन सूचकों से स्पष्ट है कि महामारी के कारण मंदी की चपेट में आयी अर्थव्यवस्था में सुधार अपेक्षित गति से हो रहा है तथा सरकार के राहत पैकेज का सकारात्मक लाभ भी व्यवसायों को मिल रहा है. लेकिन पूंजी निर्माण में यानी बचत अभी भी गति धीमी है तथा अनेक कारोबारी गतिविधियां धीरे-धीरे अग्रसर हो रही हैं. निश्चित रूप से इसका एक असर आमदनी पर पड़ा है.

जानकारों का मानना है कि महामारी, लॉकडाउन, मुद्रास्फीति आदि से परिवारों की आय कम हुई, पर खर्च बढ़ गया. स्थिति पटरी पर आ तो रही है और लोगों में भविष्य के लिए आशा व अपेक्षा भी है, किंतु उपभोग एवं व्यय को लेकर लोग सतर्कता बरत रहे हैं. इस कारण उपभोग का स्तर नीचे है और मांग में अपेक्षित उछाल नहीं है.

लेकिन संकट की किसी भी स्थिति में ऐसा होना स्वाभाविक है. इसके अलावा एक बड़ा कारक कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका भी है. आधिकारिक आकलनों की मानें, तो 40 करोड़ लोग संक्रमण के खतरे के दायरे में हैं. इस माह से टीकाकरण अभियान में तेजी आने की उम्मीद है.

जैसे-जैसे लोगों को टीके की खुराक मिलती जायेगी, वैसे वैसे संक्रमण का जोखिम कम होता जायेगा. इसके बावजूद हर किसी को सतर्क रहते हुए कामकाज करना है क्योंकि अभी भी हर दिन संक्रमित होनेवाले लोगों की संख्या 40 हजार से ऊपर है और मौतें भी हो रही हैं. सावधानी से ही हम तीसरी लहर को टाल सकते हैं तथा अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को इस वित्त वर्ष में दो अंकों तक ले जा सकते हैं.

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