11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बर्ड फ्लू का कहर

बर्ड फ्लू का कहर

देश के दस राज्यों- उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तराखंड- में फैले बर्ड फ्लू (एवियन इंफ्लूएंजा) महामारी से लाखों पक्षियों की मौत हो चुकी है. कई जगहों पर पॉल्ट्री फॉर्मों, पार्कों, तालाबों आदि को बंद कर दिया गया है तथा बड़ी तादाद में मुर्गियों और बतखों को मारने की योजना बन रही हैं. हमारे देश में पहली बार यह महामारी 2006 में फैली थी. बर्ड फ्लू के वायरस दुनिया में सदियों से मौजूद हैं, लेकिन बीती सदी में चार बड़े प्रकोपों के मामले सामने आये थे.

वायरस के चिड़ियों से मनुष्यों में फैलने का कोई मामला अभी तक प्रकाश में नहीं आया है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर समुचित निगरानी रखी जा रही है. अन्य राज्य भी सतर्क हैं. पाबंदियों और लोगों में डर के कारण पॉल्ट्री उत्पादों की खपत में गिरावट से आर्थिक नुकसान का सिलसिला भी शुरू हो गया है. अभी कोरोना संकट टला भी नहीं है कि यह नयी मुसीबत आ गयी है. बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत पर्यावरण, जैव विविधता और पारिस्थितिकी के लिए भी चिंताजनक है.

भारत समेत समूची दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही है. ऐसे में मनुष्य और पशु-पक्षियों में किसी भी महामारी का फैलना एक गंभीर समस्या है. बर्ड फ्लू के बढ़ते कहर को देखते हुए कृषि से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने पशुपालन मंत्रालय को जानवरों के टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि पक्षियों को मारने के दौरान समुचित सुरक्षा व्यवस्था रहनी चाहिए.

उल्लेखनीय है कि इस फ्लू का वायरस मुख्य रूप से सितंबर से मार्च के बीच आनेवाले प्रवासी पक्षियों के जरिये देश में आता है. इन पक्षियों से स्थानीय पंक्षी संक्रमित होते हैं. जानकारों के मुताबिक, इस वायरस के मनुष्यों के संपर्क में आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस कारण समुचित सतर्कता बरतना जरूरी है. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि पक्षियों की इस महामारी से हम बहुत अधिक भयभीत हो जाएं.

अफवाहों और अपुष्ट सूचनाओं से भी हमें सावधान रहना चाहिए. हमें विशेषज्ञों और सरकारी निर्देशों के अनुसार इस स्थिति का सामना करना चाहिए. सरकार ने कहा है कि पॉल्ट्री बंद करने या चिकेन खाने से परहेज की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मांस व अंडा ठीक से पकाया जाये क्योंकि अधिक तापमान पर वायरस खत्म हो जाता है.

कच्चा या अधपका अंडा व मांस नहीं खाना चाहिए. इस संक्रमण के लक्षणों, जैसे गले में खरास, बुखार, दर्द, खांसी आदि, के बारे में जागरुकता का प्रसार होना चाहिए. यह वायरस शिशुओं, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं तथा गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को निशाना बना सकता है. संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में ऐसे लोग सचेत रहें. बेचैन होने की जगह हमें बचाव पर ध्यान देना चाहिए.

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें