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स्मार्ट सिटी की परिकल्पना

स्मार्ट सिटी की परिकल्पना विदेशों से आयी है, लेकिन स्मार्ट सिटी की कोई एक परिभाषा है ही नहीं. उसके मायने हर देश, हर शहर और हर नागरिक के लिए अलग हो सकते हैं.

पिछले कई सालों से रह-रह कर स्मार्ट सिटी का नाम सुनायी देता है. एक बार फिर इसकी खबर आयी है. पिछले सप्ताह वर्ष 2022 के लिए स्मार्ट सिटी पुरस्कारों की घोषणा की गयी. इंदौर सर्वश्रेष्ठ स्मार्ट सिटी चुना गया. प्रदेशों में मध्य प्रदेश शीर्ष पर रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले कार्यकाल में सत्ता संभालने के एक साल बाद स्मार्ट सिटी योजना की शुरुआत की थी.

उन्होंने 25 जून, 2015 को योजना की शुरुआत करते हुए कहा था कि ये ऐसे शहर होंगे, जिन्हें सरकार नहीं, बल्कि वहीं के लोग बनायेंगे. स्मार्ट सिटी योजना में देश भर के 100 शहरों को चुना गया था. इसके बाद से ही आम जनों के बीच स्मार्ट सिटी को लेकर कौतूहल रहा है कि स्मार्ट सिटी में क्या होगा और वह कैसी दिखेगी. जिन शहरों के नाम इनमें शामिल नहीं हुए वहां के लोगों को लगने लगा कि शायद वे विकास की दौड़ में पिछड़ जायेंगे और स्मार्ट शहर महानगरों की तरह चमक-दमक जायेंगे, लेकिन योजना लागू होने के आठ वर्ष बाद भी स्मार्ट शहरों की काया में ऐसा कोई क्रांतिकारी परिवर्तन नहीं दिखाई देता.

दरअसल, स्मार्ट सिटी योजना का यह लक्ष्य है भी नहीं. केंद्रीय शहरी आवास और विकास मंत्रालय के अनुसार योजना का उद्देश्य शहरों का पुनर्विकास करना है, ताकि वहां के लोग एक बेहतर गुणवत्ता का जीवन बिता सकें. स्मार्ट सिटी की परिकल्पना विदेशों से आयी है, लेकिन, स्मार्ट सिटी की कोई एक परिभाषा है ही नहीं. उसके मायने हर देश, हर शहर और हर नागरिक के लिए अलग हो सकते हैं. मोटे तौर पर स्मार्ट सिटी योजना का मुख्य लक्ष्य सूचना प्रौद्योगिकी की स्मार्ट तकनीक का सहारा लेते हुए शहरों की बुनियादी व्यवस्था को मजबूत बनाना है. इन शहरों की व्यवस्था को ऐसा ढालने की भी कोशिश होगी, जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो.

दरअसल, शहर किसी भी देश के विकास की धुरी बनते जा रहे हैं. भारत में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 31 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है और देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में उसका योगदान 63 प्रतिशत था. ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2030 तक शहरों में 40 प्रतिशत लोग रहने लगेंगे और जीडीपी में उसका योगदान बढ़कर 75 प्रतिशत हो जायेगा.

शहरों में लोग बेहतर जीवन जीने की आस में बसते हैं. शहर में सुविधाएं होंगी, तो लोग भी आयेंगे और वहां काम-धंधे से लेकर निवेश भी बढ़ेगा. विकास का एक चक्र चल पड़ेगा, पर स्मार्ट सिटी गाहे-बगाहे सुनाई देने वाला सरकारी शब्द भर बन कर न रह जाए, इसके लिए इस योजना में जन-भागीदारी को बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए.

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