13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

COP29: जलवायु परिवर्तन की मार

COP29 : ट्रंप ने 2016 में अमेरिका को पेरिस समझौते से अलग कर लिया था. हालांकि इस बार चुनाव अभियान में ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन पर वैसी आक्रामकता का परिचय नहीं दिया, पर आशंका यह है कि वह अमेरिका को कहीं यूएन फ्रेमवर्क से भी बाहर न कर लें.

COP29: अजरबैजान की राजधानी बाकू में कल से शुरू हुई 29वीं संयुक्त राष्ट्र जलवायु बैठक (कॉप 29) इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि इसमें जलवायु वित्त जवाबदेही पर फैसला लिया जाना है. जलवायु संकट के बिगड़ते असर से जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए खरबों डॉलर की जरूरत है. अमेरिका समेत विकसित देशों को सबसे ज्यादा पैसे देने हैं, क्योंकि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वे आगे हैं. परंतु विकसित देश चाहते हैं कि अमीर दानदाता देशों की सूची में सऊदी अरब, कतर, चीन, सिंगापुर आदि का भी नाम जुड़े. यह सम्मेलन डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने की पृष्ठभूमि में हो रहा है, जो जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं लेते.

ट्रंप ने 2016 में अमेरिका को पेरिस समझौते से अलग कर लिया था. हालांकि इस बार चुनाव अभियान में ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन पर वैसी आक्रामकता का परिचय नहीं दिया, पर आशंका यह है कि वह अमेरिका को कहीं यूएन फ्रेमवर्क से भी बाहर न कर लें. जलवायु परिवर्तन का असर भारत समेत दुनियाभर में देखा जा रहा है. अपने यहां मानसून की विदाई देर से हो रही है और उत्तर भारत के कई इलाकों में अब भी गर्मी है. यागी जैसे तूफान जलवायु परिवर्तन के कारण ही मारक स्वरूप ले रहे हैं, जिसे पर्यावरणविद इस साल एशिया का सबसे भीषण तूफान बता रहे हैं और जिसने म्यांमार, वियतनाम, लाओस और फिलिपींस में भारी तबाही मचायी.

यूनिसेफ का कहना है कि मूसलाधार बारिश और बाढ़ से दक्षिण एशिया के 60 लाख से अधिक बच्चों पर अस्तित्व का खतरा है. अफ्रीका के कई देश अतिवृष्टि और बाढ़ का सामना कर रहे हैं. विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में अफ्रीका की हिस्सेदारी भले कम हो, पर अफ्रीका के लोग जलवायु परिवर्तन का भीषण नतीजा भुगत रहे हैं. दक्षिण पूर्व स्पेन में आयी भीषण बाढ़ को भी जलवायु परिवर्तन का नतीजा बताया जा रहा है. वहां आठ घंटे में उतनी बारिश हुई, जितनी अमूमन पूरे साल होती है, और यह भीषण बारिश वर्षों तक व्याप्त सूखे के बाद हुई.

बाकू में पेरिस समझौते को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने के साथ विकासशील देशों के लिए समर्थन जुटाने पर भी बात की जायेगी. इस सम्मेलन में भारत की तीन मुख्य प्राथमिकताएं हैं-जलवायु वित्त की जवाबदेही तय करना, कमजोर समुदायों की सुरक्षा और न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन. गरीब देशों को फंड देने के मामले में भारत समेत कई देश इस सम्मेलन में आवाज उठाने वाले हैं. कॉप 28 में कई वादे हुए थे, लेकिन उसमें विकसित देशों को छूट दे दी गयी थी. लिहाजा इस सम्मेलन में जवाबदेही तय होनी ही चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें