25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्लास्टिक-मुक्त भारत का सपना

प्लास्टिक नदियों, मिट्टी और महासागरों में प्रवेश कर हमारी खाद्य शृंखला और अंततः हमारे शरीर में प्रवेश कर हमें धीमी मौत मार रहा है.

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर की गयी एक अनोखी पहल ने दुनिया का ध्यान खींचा है. अबुधाबी में प्लास्टिक की खाली बोतलें जमा करने पर मुफ्त में बस यात्राएं की जा सकती हैं. इस पहल के तहत शहर के हर बस स्टॉप पर एक मशीन लगायी जा रही है, जिसमें खाली बोतलें जमा करने पर अंक दिये जायेंगे. इनका इस्तेमाल सार्वजनिक परिवहन की बसों में किराये के रूप में किया जा सकेगा.

आमतौर पर यात्रा के दौरान ज्यादातर लोग पानी की बोतलें खरीदते हैं और अमूमन उसे फेंक भी देते हैं, लेकिन अब उसे फेंकने के बजाय थोड़ी समझदारी दिखाकर उन बोतलों से अपनी यात्रा-व्यय बचायी जा सकती है. यूएई की इस पहल के कई फायदे होंगे. पहला, लोग सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देंगे. दूसरा, लोग स्वच्छ पर्यावरण के प्रति संजीदा होंगे. तीसरा, पानी पीने के बाद बोतल फेंकने की आदत से बाज आयेंगे. चौथा, इससे नागरिकों की आर्थिक बचत होगी. प्लास्टिक पर नियंत्रण और सही निस्तारण पर जोर देती इस पहल ने दुनिया को नयी राह दिखायी है.

प्लास्टिक प्रदूषण के पर्यावरणीय तथा स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों को देखते हुए पूरी दुनिया प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के निमित्त संजीदा होती दिख रही है. गौरतलब है कि भारत सरकार आगामी एक जुलाई से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) के उत्पादन, भंडारण, विक्रय और इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने जा रही है.

दुनियाभर में प्लास्टिक प्रदूषण का संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, 1950 में वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण का आकार 20 लाख टन था, जो 2017 में बढ़कर 35 करोड़ टन हो गया, जबकि अगले दो दशक में इसकी क्षमता बढ़कर दोगुनी होने का अनुमान जताया गया है.

आश्चर्य की बात है कि जिस प्लास्टिक का आविष्कार मानव जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया था, वही प्लास्टिक आज पृथ्वी के लिए आपदा तथा मनुष्यों और वन्य एवं जलीय जीवों, पक्षियों और वनस्पतियों के लिए काल बनता जा रहा है. प्लास्टिक एक ऐसा प्रदूषक है, जो भूमि, वायु और जल- तीनों तरह के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है.

हैरत की बात है कि प्लास्टिक कचरे के रूप में पर्वतों और पहाड़ों से लेकर महासागरों की गहराइयों तक अपनी गहरी पैठ बना चुका है. लगभग हर शहर की त्याज्य भूमि पर कचरे का पहाड़ दिखना भी आम बात है. चूंकि प्लास्टिक कभी नष्ट नहीं होता, इसलिए उत्पादित हो जाने के बाद वह धरती पर किसी न किसी रूप में मौजूद ही रहता है.

प्लास्टिक नदियों, मिट्टी और महासागरों में प्रवेश कर हमारी खाद्य शृंखला और अंततः हमारे शरीर में प्रवेश कर हमें धीमी मौत मार रहा है. जिस प्लास्टिक को हम अपने आस-पास फेंक देते हैं, वही प्लास्टिक मृदा की उर्वरता और जल धारण की क्षमता को कम करता है. साथ ही, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक सूक्ष्म जीवों के विकास को बाधित कर खाद्यान्न उत्पादन को प्रभावित करता है. प्लास्टिक उत्पादित खाद्य पदार्थों को विषाक्त भी बनाता है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कृषि भूमि में प्लास्टिक का सूक्ष्म कण समाये हुए हैं, जिसके कारण खाद्य सुरक्षा, जन स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए जोखिम उत्पन्न हो रहा है. प्लास्टिक प्रदूषण यकीनन मनुष्यों, पौधों और जानवरों के लिए बड़ा खतरा बन गया है. प्लास्टिक हजारों साल तक नष्ट नहीं होता, जिससे उसमें उपस्थित जहरीले रसायन मिट्टी और जल में घुल कर मिलने लगते हैं.

प्लास्टिक जब नदी या समुद्र में प्रवेश करता है, तो जल की गुणवत्ता को प्रभावित कर जलीय पारितंत्र के लिए भी खतरे उत्पन्न करता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्लास्टिक प्रदूषण से 800 से भी ज्यादा समुद्री व तटीय क्षेत्रों में रहने वाली प्रजातियां प्रभावित होती हैं क्योंकि वे प्लास्टिक के सेवन, उसमें उलझ जाने और अन्य तरह के खतरों का सामना करती है.

उल्लेखनीय है दुनियाभर में हर साल लगभग एक करोड़ दस लाख टन प्लास्टिक कूड़ा-कचरा समुद्र में बहा दिया जाता है. अगर इसे रोका नहीं गया, तो 2040 तक इसके तिगुने होने का अनुमान जताया गया है. युनोमिया रिसर्च एंड कंसल्टिंग की एक रिपोर्ट की मानें, तो समुद्र तल के प्रत्येक एक वर्ग किलोमीटर में अब औसतन 70 किलोग्राम प्लास्टिक की मौजूदगी है.

भूमि और जल के अलावा वायु के जरिये यही प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक (पांच मिलीमीटर से छोटे अंश) के रूप में हमारे श्वसन तंत्र तक पहुंच जाते हैं और फेफड़ों की कार्यक्षमता को कमजोर करते हैं. दूसरी तरफ, प्लास्टिक के असंख्य टुकड़े पृथ्वी का औसत ताप बढ़ा रहे हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग पर रोक लगाने में कामयाबी नहीं मिल रही है.

बहरहाल, प्लास्टिक प्रदूषण एक ऐसी गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जिसे केवल जागरूकता से ही खत्म किया जा सकता है. प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगानी इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि आज अगर हम यह कदम नहीं उठायेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन अत्यंत कष्टकर हो जायेगा. जरूरत केवल दृढ़ संकल्प लेने और अपनी आदतों में थोड़े बदलाव करने की है. देश का हर परिवार अगर प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने का संकल्प ले ले, तो प्लास्टिक-मुक्त भारत की स्थापना की दिशा में यह पहल मील का पत्थर साबित हो सकती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें