नरेंद्र मोदी के 2014, 2019 और अब 2024 में प्रधानमंत्री बनने के बाद विकास के मोर्चे पर और बेहतरी आने की उम्मीदें हैं. क्योंकि 2014 और 2019 की अवधि में स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत संरचना, ऊर्जा, सेवा आदि क्षेत्रों को विकसित करने एवं सुधार लाने के लिए उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं. इस क्रम में सबसे कारगर और समीचीन कदम आर्थिक और बैंकिंग क्षेत्र में उठाये गये हैं. वर्ष 2014 से 2023 के दौरान भारत आर्थिक रूप से विश्व में एक मजबूत देश बनकर उभरा है. इसलिए, देशवासियों को लग रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत 2027 में पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था, 2030 में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 में विकसित देश बन सकता है.
वर्ष 1947 से ठीक 60 वर्षों के बाद भारत की जीडीपी 2007 में एक ट्रिलियन डॉलर की हुई और 2014 में दो ट्रिलियन डॉलर की हो गयी तथा 2019 में तीन ट्रिलियन डॉलर की. वर्ष 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी थी, जबकि 2019 में यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी. वित्त वर्ष 2023-24 की मार्च तिमाही में 7.8 प्रतिशत की दर से जीडीपी में वृद्धि दर्ज हुई और समग्र रूप से वित्त वर्ष 2023-24 में विकास दर 8.2 प्रतिशत रही, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह सात प्रतिशत रही. ‘द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू’ रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में लगातार चौथे वर्ष भारत की जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रह सकती है. वर्ष 2023 में भारत में बेरोजगारी दर 8.7 प्रतिशत रही थी, जबकि 2022 में 7.3 प्रतिशत. चूंकि अभी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है. इसलिए, 2024 से 2027 तक बेरोजगारी दर के आठ प्रतिशत से कम रहने का अनुमान है. भारत में मुद्रास्फीति दर 2023 में 5.5 प्रतिशत रही है, जबकि 2022 में यह 6.7 प्रतिशत रही थी.
मई 2024 में खुदरा महंगाई 4.75 प्रतिशत रही, जो 12 महीने का निचला स्तर था. वर्ष 2024 से 2027 के दौरान इसके क्रमशः 4.6, 4.1, 4.1 और 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इस आधार पर कहा जा सकता है, भारतीय अर्थव्यवस्था आसानी से 2027 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की बन सकती है. ‘द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू’ रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा किये जा रहे आर्थिक सुधारों के चलते ही भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकी है. इस रिपोर्ट में यह संभावना भी जतायी गयी है कि भारत की जीडीपी 2030 तक सात प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने भी भारत के वित्तीय क्षेत्र में आयी मजबूती और सरकार द्वारा किये गये हालिया संरचनात्मक सुधारों के कारण इस दावे की पुष्टि की है. एसएंडपी ग्लोबल ने अपनी ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024 की रिपोर्ट ‘न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक’ में कहा है कि भारत की नॉमिनल जीडीपी 2022 में 3.5 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर की हो जायेगी.
हाल के महीनों में भारतीय बैंकों का प्रदर्शन एशिया में अपने समकक्ष बैंकों की तुलना में सबसे अच्छा रहा है. देश के तीन बड़े बैंकों- भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक- ने 2023 में दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों की सूची में अपनी जगह बनायी है. एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय स्थिति में सुधार, मजबूत आर्थिक स्थिति, कर्ज में तेज वृद्धि, एनपीए में कमी और मुनाफे में इजाफे से भारतीय बैंक मजबूत हुए हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बैंकों की संपत्ति 50.5 प्रतिशत बढ़कर 1.51 लाख करोड़ डॉलर हो गयी है. हाल के महीनों में भारतीय बैंकों द्वारा दिये जा रहे कर्ज में तेज वृद्धि हुई है. उनतीस दिसंबर, 2023 तक यह 15.6 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गयी थी, जो एक वर्ष पहले 14.9 प्रतिशत थी.
वित्त वर्ष 2023-24 में बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक ने 10,000 करोड़ से अधिक मुनाफा कमाया है. भारतीय स्टेट बैंक ने तो इस अवधि में 61,077 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है, जो सरकारी बैंकों की कुल कमाई के 40 प्रतिशत से अधिक है. बारह सरकारी बैंकों में से केवल पंजाब एंड सिंध बैंक के मुनाफे में कमी आयी है. इकत्तीस मार्च, 2024 को सरकारी बैंकों का संचयी लाभ 1.4 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है. वित्त वर्ष 2023-24 में सभी बैंकों का एनपीए भी घटकर 1.70 प्रतिशत के स्तर से नीचे आ गया.
विकसित देश बनने के कुछ मानक हैं. इस क्रम में भारत में औद्योगीकरण, शिक्षा, आधारभूत संरचना, यंत्रीकरण, डिजिटलाइजेशन, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. लोगों की जीवन प्रत्याशा और शिक्षा में सुधार आ रहा है. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, पीएम स्वनिधि, सेल्फ हेल्प ग्रुप आदि की मदद से देश में समावेशी विकास को बल मिल रहा है. बड़ी संख्या में लोग आत्मनिर्भर हुए हैं. विगत वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकलने में सफल रहे हैं. इस तरह, प्रति व्यक्ति आय के मानदंड को छोड़कर भारत अन्य मानकों पर खरा उतरकर विकसित देश की श्रेणी में जरूर खड़ा हो सकता है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)