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आर्थिकी और टीकाकरण

जिन देशों में संक्रमण नियंत्रित है और टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है, वहां आर्थिक और कारोबारी गतिविधियां धीरे-धीरे सामान्य होने लगी हैं

रोना महामारी की दूसरी लहर के कहर का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है. हालांकि पिछले साल की तरह बड़े पैमाने पर संकुचन की संभावना नहीं है, लेकिन चालू वित्त वर्ष के पूर्ववर्ती आकलनों के अनुरूप बेहतरी की गुंजाइश कुछ कम जरूर हुई है. यह स्पष्ट हो गया है कि व्यापक स्तर पर टीकाकरण के साथ ही अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ने लगेगी. इस बात को रेखांकित करते हुए प्रख्यात अर्थशास्त्री आशिमा गोयल ने कहा है कि आबादी के बड़े हिस्से को टीके की खुराक मिलने के बाद बाजार में मांग बढ़ेगी, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी सुधार आयेगा और वित्तीय स्थितियां सुगम हो जायेंगी. गोयल रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की सदस्य भी हैं. उन्होंने यह भी भरोसा जताया है कि दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिए लगी पाबंदियों का असर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) तक ही सीमित रहेगा. इसकी वजह यह है कि स्थानीय स्तर पर ही पाबंदियां लगायी जा रही हैं तथा पूरी तरह लॉकडाउन लगने की संभावना नहीं है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर के बाद से इस साल फरवरी तक संक्रमण की दर बहुत कम हो जाने तथा पाबंदियों को हटाने से हमारी अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर होने लगा था. तब यह उम्मीद जतायी जा रही थी कि 2021-22 के वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि की दर दो अंकों में रहेगी.

लेकिन दूसरी लहर की आक्रामकता को देखते हुए अब माना जा रहा है कि यह दर 10 फीसदी से नीचे रह सकती है. भारत समेत दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं महामारी से प्रभावित हुई हैं. जिन देशों में संक्रमण पर नियंत्रण पा लिया गया है और टीकाकरण अभियान तेजी से चलाया जा रहा है, वहां आर्थिक और कारोबारी गतिविधियां धीरे-धीरे सामान्य होने लगी हैं. उन उदाहरणों को देखते हुए हमारे देश में भी आर्थिकी के भविष्य को लेकर आश्वस्त हुआ जा सकता है. दीर्घकालिक दृष्टि से देखें, तो भारतीय अर्थव्यवस्था के आधार मजबूत हैं. ऐसे में हमारा ध्यान महामारी को काबू करने पर केंद्रित होना चाहिए. विभिन्न कारणों से कुछ सप्ताह से टीकाकरण अभियान की गति बाधित हुई है,

पर उत्पादन बढ़ाने की कोशिशों तथा दूसरे देशों से टीकों की आमद से जल्दी ही आपूर्ति से जुड़ी मुश्किलें दूर हो सकती हैं. बड़ी आबादी और संसाधनों की कमी को देखते हुए भारत में बहुत कम समय में समूची वयस्क आबादी को टीका मुहैया करा पाना आसान काम नहीं है. बीते एक साल में सरकार ने अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने के लिए अनेक वित्तीय और कल्याणकारी कार्यक्रमों की शुरुआत की है. ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार देने के साथ गरीब आबादी को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के प्रयास भी हो रहे हैं. अब टीकाकरण का दायरा बढ़ाना है, ताकि निकट भविष्य में महामारी के प्रकोप की गुंजाइश कम-से-कम रहे. इसके साथ ही हमें संभावित तीसरी लहर का सामना करने के लिए भी तैयार रहना होगा.

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