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घटे व्यापार घाटा

घटे व्यापार घाटा

अर्थव्यवस्था को मंदी से निकाल कर गतिशील बनाने के लिए व्यापार घाटा कम करने की कोशिश जरूरी है. इसके लिए निर्यात बढ़ाने और आयात घटाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी उचित ही कहा है कि उन आयातित वस्तुओं की पहचान की जानी चाहिए, जिनका उत्पादन देश में किया जा सकता है. उन्होंने औद्योगिक जगत का आह्वान किया है कि वे इस दिशा में शोध करें.

दिसंबर में देश का व्यापार घाटा 25 महीनों में सबसे अधिक रहा है. कोरोना संकट के दौरान अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा था. ऐसे में आयात, निर्यात या किसी भी आर्थिक गतिविधि में बड़ी उछाल या गिरावट स्वाभाविक है. लॉकडाउन के दौरान जून में तो आयात में बड़ी कमी के कारण व्यापार अधिशेष 18 सालों में पहली बार बढ़ गया था. आयात में हालिया बढ़ोतरी से यह इंगित होता है कि घरेलू मांग में वृद्धि हो रही है.

अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के अनेक सकारात्मक संकेतों में यह भी एक है, किंतु दीर्घकालिक आर्थिक व वित्तीय स्थायित्व की राह में आयात की अधिकता बड़ा अवरोध बन सकती है. इससे आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय संकल्प को साकार करने में भी दिक्कत होगी. अधिक आयात से विदेशी मुद्रा भंडार भी प्रभावित होता है. जिन वस्तुओं को अन्य देशों से मंगाया जाता है, उनके घरेलू उत्पादन में कमी आ जाती है या फिर उन्हें देश में बनाने के लिए कोशिश नहीं की जाती है.

कई चीजों के लिए भारत समेत अनेक देशों की चीन पर निर्भरता के प्रतिगामी परिणामों से सभी परिचित हैं. कुछ देश अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए शुल्कों में छूट जैसे उपायों से वस्तुओं के दाम कम कर देते हैं. इस वजह से घरेलू निर्माता उनसे प्रतिद्वंद्विता नहीं कर पाते और बाजार पर आयातित उत्पादों का वर्चस्व स्थापित हो जाता है. कई आयातित उत्पाद या उनमें प्रयुक्त सामग्री पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी तात्कालिक तौर पर या कालांतर में खतरा बन सकते हैं. ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें निर्यात बढ़ाने की क्षमता देश में है.

दिसंबर में तैयार कपड़ों और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में बड़ी कमी आयी है. सबसे अधिक आयातित वस्तुओं में वनस्पति तेल, इस्पात, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं. इन वस्तुओं पर अगर अधिक ध्यान दिया जाए, तो इनका निर्यात भी हो सकेगा और घरेलू बाजार की मांग भी पूरी की जा सकेगी. जैसा कि गडकरी ने रेखांकित किया है, देश के भीतर बने सामानों की कीमत कुछ समय के लिए अधिक हो सकती है, लेकिन उनका उत्पादन बड़े पैमाने पर होने से बाद में दाम कम हो जायेंगे.

हमारे देश में ही बड़ा बाजार मौजूद है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लगातार इस बात पर जोर दिया है कि हमें स्थानीय उत्पादों को अपनाना चाहिए और उन्हें बढ़ावा देना चाहिए. यदि अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद भारत बना सकता है, तो दुनिया भी उन्हें इस्तेमाल करेगी. ऐसा कर हम व्यापार घाटा कम कर आत्मनिर्भर हो सकेंगे.

Posted By : Sameer Oraon

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