15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रोजगार की चुनौती

विकास के इस मोड़ पर युवाओं में कौशल का अभाव भारी नुकसान का कारण बन सकता है.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) की गणना देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं में होती है. कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद छात्रों को इन संस्थानों में प्रवेश मिलता है, जहां पढ़ाई एवं प्रशिक्षण का स्तर बहुत कठिन होता है. इसके बावजूद इस वर्ष वहां के 30-35 प्रतिशत स्नातकों को कैंपस प्लेसमेंट से नौकरी नहीं मिल सकी है. पिछले साल की तुलना में भर्ती की प्रक्रिया धीमी है. उल्लेखनीय है कि सूचना तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कम नौकरियां उपलब्ध हैं और हमारे देश में भी उसका असर दिख रहा है. करियर की सुरक्षा के कारण कुछ छात्र सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों में भी नौकरी करना चाहते हैं.

जिन छात्रों को प्लेसमेंट नहीं मिली है, उनमें से अनेक कोचिंग संस्थाओं में पढ़ाने का काम कर रहे हैं. तकनीक, इंजीनियरिंग और प्रबंधन के अच्छे संस्थानों के बहुत से छात्र अपेक्षा से कम वेतन पर भी काम कर रहे हैं. यह चिंताजनक स्थिति है और उद्योग जगत को आगे आकर प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करना चाहिए. इसके बरक्स दूसरी समस्या हमारे देश में यह है कि विभिन्न शिक्षण संस्थानों के स्नातकों के बड़ा हिस्सा रोजगार के योग्य ही नहीं है. हाल में जारी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन एवं इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट की रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि कौशल और प्रशिक्षण का अभाव शिक्षित युवाओं में बड़ी बेरोजगारी की मुख्य वजह है. हमारे देश का शिक्षा उद्योग 117 अरब डॉलर से अधिक है और तेजी से नये-नये कॉलेज खुल रहे हैं.

हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा युवा है और अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाये रखने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. विकास के इस मोड़ पर युवाओं में कौशल का अभाव भारी नुकसान का कारण बन सकता है. एक ओर कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों से निकले लोग वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व के स्तर पर हैं, तो दूसरी ओर स्नातकों की बड़ी संख्या के पास सामान्य रोजगार तक के लिए क्षमता की कमी है. पिछले साल के एक अध्ययन में पाया गया था कि देश में केवल 3.8 प्रतिशत इंजीनियर हैं, जिनके पास स्टार्टअप में सॉफ्टवेयर संबंधी नौकरी के लिए जरूरी कौशल है. हमारे देश में शिक्षा की जरूरत और मांग को देखते हुए निजी क्षेत्र का योगदान अहम है. लेकिन कई संस्थान ऐसे हैं, जहां शिक्षकों की कमी है, प्रयोगशालाएं नहीं है और पढ़ाई का स्तर निम्न है. हालांकि सरकारी और निजी संस्थाओं की निगरानी के लिए केंद्रीय और राज्य-स्तरीय संस्थान एवं विभाग हैं, फिर भी अगर गुणवत्ता का अभाव है, तो यह बेहद चिंता की बात है. आइआइटी के स्नातकों को आज नहीं, तो कल नौकरी मिल जायेगी, लेकिन बाकी के कौशल एवं प्रशिक्षण के बारे में सोचना बहुत जरूरी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें