23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समानता व बंधुत्व आवश्यक

किसी भी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक तो है ही, ऐसा करना अमानवीय भी है.

भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ ने आह्वान किया है कि हमें संविधान की भावना के अनुरूप एक-दूसरे के प्रति सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए. उन्होंने रेखांकित किया है कि हमारे संविधान निर्माताओं के मस्तिष्क में मानव सम्मान सर्वोच्च महत्व का विषय था. हमारा संविधान न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों के साथ-साथ बंधुत्व की भावना एवं व्यक्ति के सम्मान को भी प्रतिष्ठित करता है. यदि हम आपस में परस्पर सम्मान का आचरण नहीं करेंगे और हमारे व्यवहार में बंधुत्व नहीं होगा, तो स्वाभाविक रूप से समाज में तनाव एवं संघर्ष का वातावरण बनेगा. ऐसा वातावरण विकास, व्यवस्था एवं समृद्धि के प्रयासों के लिए बड़ा अवरोध होगा. यह अक्सर देखा जाता है कि विभिन्न श्रेणियों में बंटे हमारे समाज में लोग अपने पेशेवर या व्यक्तिगत जीवन में कनिष्ठों, सहायकों और कमजोरों के साथ उचित व्यवहार नहीं करते हैं. प्रधान न्यायाधीश ने वाहन चालकों, सफाई कर्मियों और चपरासियों के साथ होने वाले व्यवहार का उदाहरण भी दिया. आये दिन हम खबरों में देखते हैं कि आलीशान अपार्टमेंटों में रहने वाले लोग सोसाइटी के सुरक्षाकर्मियों या ठेले पर सामान बेचने वालों के साथ मारपीट या गाली-गलौज करते हैं. कार्यस्थल हो, आवास हो या बाजार, पीड़ित आम तौर पर इस तरह के अपमानजनक बर्ताव को बर्दाश्त कर लेते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे कथित रूप से ‘बड़े लोगों’ का मुकाबला नहीं कर पायेंगे.

यह सभी को पता है कि हर व्यक्ति अपने स्तर पर समाज और देश की उन्नति में योगदान देता है तथा वह योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है. जाति, लिंग, कार्य, क्षेत्र, धर्म या धन के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक तो है ही, ऐसा करना अमानवीय भी है. हम भारत के लोग तभी आगे बढ़ सकते हैं, जब हम एक-दूसरे का हाथ थामे चलेंगे. प्रधान न्यायाधीश ने उचित ही कहा है कि हमें अपने संवैधानिक अधिकारों का अहसास भी होना चाहिए तथा हमें अपने कर्तव्यों को भी समुचित ढंग से निभाना चाहिए. संविधान और उसके मूल्यों के बारे में व्यापक जागरूकता के प्रसार में शासन की भूमिका महत्वपूर्ण है. साथ ही, सरकार, प्रशासन और अदालतों को भी आम लोगों के अधिकारों के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए. कई बार तो उच्च शिक्षित और पेशेवर तौर पर सफल लोग अमानवीय और अन्यायपूर्ण बर्ताव करते देखे जाते हैं, जिनमें नेता, अफसर और जज भी शामिल हैं. ऐसे लोगों को अच्छा आचरण कर अपने पेशे और समाज में आदर्श बनना चाहिए. इसी प्रकार, घर-परिवार में बच्चे अपने माता-पिता और बड़ों के आचार-व्यवहार से सीखते हैं. प्रगति के लिए हमें प्रगतिशील मूल्यों को अपने आचरण का हिस्सा बनाना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें