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स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान

डिजिटल तकनीक पर आधारित होने से यह व्यवस्था पारदर्शी भी होगी तथा इसमें समय एवं अन्य संसाधनों का व्यय भी कम होगा.

देश में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति बेहतर करने के प्रयासों को प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने तीन महत्वपूर्ण पहलों की घोषणा की है. आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के आकलन के लिए एक वर्चुअल नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड की स्थापना, सार्वजनिक स्वास्थ्य स्तर में सुधार एवं निगरानी के लिए नया डैशबोर्ड तथा खाद्य पदार्थ बेचने वाले वेंडरों के लिए त्वरित लाइसेंस और पंजीकरण की व्यवस्था इन पहलों में शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि सरकार 1.73 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को स्थापित कर चुकी है. एम्स संस्थानों तथा मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या में हाल के वर्षों में उत्साहजनक बढ़ोतरी हुई है. साथ ही, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगों को गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उचित मूल्य पर उपलब्ध करायी जा रही हैं. ऐसे प्रयासों के लाभ सही ढंग से लोगों को मिलें, इसके लिए निगरानी और आकलन की व्यवस्था आवश्यक है.

डिजिटल तकनीक पर आधारित होने से यह व्यवस्था पारदर्शी भी होगी तथा इसमें समय एवं अन्य संसाधनों का व्यय भी कम होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसे हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि स्वास्थ्य पर खर्च बढ़े और स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती दरों पर पूरी आबादी को उपलब्ध हों. इस संबंध में आवंटन में उत्तरोत्तर वृद्धि तथा अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों, बीमा सुविधा आदि के विस्तार से उम्मीदें बंधी हैं. लेकिन चुनौती बहुत बड़ी है. हाल में सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का एक व्यापक सर्वेक्षण कराया है. इसमें स्वास्थ्य केंद्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर, डॉक्टरों एवं नर्सों की उपलब्धता, साजो-सामान की स्थिति आदि के बारे में जानकारी जुटायी गयी है.

इस सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग 80 प्रतिशत केंद्र निर्धारित मानकों एवं स्तरों पर खरे नहीं उतरे हैं. सरकार ने अपने पहले 100 दिन के कार्यकाल के लिए जो प्राथमिकताएं तय की है, उसमें एक यह भी है कि 70 हजार स्वास्थ्य केंद्रों को सार्वजनिक स्वास्थ्य स्तर के अनुरूप बनाया जायेगा. इस लक्ष्य को पूरा करने में प्रस्तावित डैशबोर्ड बहुत सहायक होगा. भारत में दो लाख से अधिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र हैं, जिनमें जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और आयुष्मान आरोग्य मंदिर मंदिर शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि इस सर्वेक्षण में 40 हजार से कुछ अधिक केंद्रों ने ही अपनी जानकारी मुहैया करायी है. आशा है कि शेष केंद्र भी जल्दी संबंधित सूचना मुहैया करा देंगे. देश की आबादी का बड़ा हिस्सा अपनी चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्भर है. इनकी दशा में सुधार होने से बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिलेगी.

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