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गेहूं निर्यात का ऐतिहासिक परिदृश्य

कृषि निर्यात नीति-2018 का सकारात्मक परिणाम मिलने लगा है. इस नीति में निर्यात के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर पूरा जोर है.

डॉ जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री

article@jlbhandari.com

हाल ही में अमेरिका के प्रमुख न्यूज पेपर द इकोनॉमिस्ट में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पूरे विश्व में खाद्यान्न की आपूर्ति बाधित हुई है. पहले विश्व युद्ध के बाद इस समय गेहूं की आपूर्ति सबसे अधिक प्रभावित हुई है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद गेहूं के मूल्य 30 फीसदी से अधिक बढ़ गये हैं. दुनिया की रोटी की टोकरी के रूप में चर्चित यूक्रेन से गेहूं के निर्यात रुक जाने से भारत गेहूं समेत खाद्यान्न निर्यात की बढ़ी हुई मांग को पूरा कर सकता है. साथ ही भारतीय किसान खेती के स्वरूप को बदल कर और गेहूं उत्पादन बढ़ा कर इस मौके का फायदा उठा सकते हैं.

रूस और यूक्रेन मिल कर वैश्विक गेहूं आपूर्ति के लगभग एक चौथाई हिस्से का निर्यात करते हैं, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इन देशों से गेहूं की वैश्विक आपूर्ति रुक गयी है. ऐसे में भारत सहित अन्य देशों से गेहूं और अन्य कृषि उत्पादों की निर्यात मांग में तेज इजाफा हुआ है. भारत ने फरवरी, 2022 के अंत तक करीब 66 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है, जो अब तक का सर्वाधिक है. अनुमान है कि मार्च 2022 के अंत तक कुल 70 लाख टन से अधिक गेहूं का निर्यात हो सकता है. चूंकि, वैश्विक स्तर पर गेहूं के दाम दस साल के उच्चतम स्तर पर हैं और भारत के गेहूं के दाम भी करीब 320 डॉलर से बढ़ कर 360 डॉलर प्रति टन हो गये हैं.

यह परिदृश्य भारतीय गेहूं निर्यातकों के लिए एक अवसर है. देश में गेहूं की नयी फसल मार्च से उपलब्ध हो जायेगी. इसलिए, वैश्विक बाजार में गेहूं की कमी को भारत तेजी से भर सकता है. इस समय भारत के करीब 2.5 करोड़ टन से अधिक के विशाल गेहूं भंडार से अधिक निर्यात की संभावनाओं को मुठ्ठियों में लिया जा सकता है. यदि खाद्यान्न के वैश्विक बाजार की स्थिति इसी तरह बनी रहती है, तो भारत का गेहूं निर्यात 2022-23 में एक करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है.

कोविड-19 की आपदा के बीच भारत ने जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभायी थी. दुनियाभर में कृषि उत्पादों के निर्यात बढ़ाने का अवसर भी मुठ्ठियों में लिया गया, उसी तरह एक बार फिर रूस और यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न हालातों के बीच गेहूं समेत अन्य खाद्यान्नों की मांग कर रहे जरूरतमंद देशों को भारत खाद्यान्नों की आपूर्ति कर सकता है. ज्ञातव्य है कि देश में गेहूं सहित खाद्यान्नों के रिकॉर्ड उत्पादन के मद्देनजर भी कृषि निर्यात की नयी संभावनाएं बढ़ गयी हैं.

कृषि मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत खाद्यान्न उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2021-22 में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 31.60 करोड़ टन पर पहुंच जाने का अनुमान है. पिछले फसल वर्ष में यह 31.07 करोड़ टन रहा था. इस वर्ष गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 11.13 करोड़ टन रहने का अनुमान है. गेहूं का उत्पादन पिछले वर्ष 10.95 करोड़ टन रहा था. साल 2021-22 के दौरान चावल का कुल उत्पादन 12.79 करोड़ टन रिकॉर्ड अनुमानित है. साथ ही इस साल तिलहन उत्पादन 3.71 करोड़ टन रह सकता है, जो पिछले साल 3.59 करोड़ टन से ज्यादा है.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, सभी प्रमुख फसलों के एमएसपी में उत्साहजनक वृद्धि, पीएम किसान के मार्फत जनवरी 2022 तक 11.30 करोड़ से अधिक किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपयों की सराहनीय आर्थिक मदद कृषि क्षेत्र में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा और विभिन्न कृषि विकास की योजनाओं से कृषि क्षेत्र में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. ऐसे विभिन्न प्रयासों का ही परिणाम है कि वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट 2021 के तहत दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है. देश के कुल निर्यात में कृषि की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत से अधिक हो गयी है और जीडीपी में कृषि निर्यात का योगदान करीब 1.6 प्रतिशत हो गया है.

नि:संदेह भारत कृषि निर्यात के क्षेत्र में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. देश से कृषि निर्यात बढ़ने के कई कारण दिखायी दे रहे हैं. कृषि निर्यात नीति-2018 का सकारात्मक परिणाम मिलने लगा है. इस नीति में निर्यात के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर पूरा जोर है. सरकार ने नयी कृषि निर्यात नीति के तहत ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया है. निर्यात किये जाने वाले कृषि जिंसों के उत्पादन व घरेलू दाम में उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए रणनीतिक कदम उठाये हैं. कृषि निर्यात की प्रक्रिया के मध्य खराब होने वाले सामान और कृषि पदार्थों की साफ-सफाई के मसले पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है.

साथ ही राज्यों की कृषि निर्यात में ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार और नये कृषि उत्पादों के विकास में शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया है. कृषि निर्यात संबंधी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने विशिष्ट वर्चुअल वैश्विक कृषि व्यापार मेलों और देश के कृषि पदार्थों के निर्यातकों के साथ वैश्विक खरीदारों की अलग-अलग इंटरैक्शन मीट आयोजित की है. इतना ही नहीं, एपीडा ने कृषि निर्यात से विभिन्न विभागों के साथ निकट समन्वय स्थापित किया है और निर्यात को बढ़ाने के लिए दिन-प्रतिदिन के आधार पर कृषि निर्यातकों के साथ संपर्क बनाये रखा है.

रूस-यूक्रेन संकट से भारतीय खाद्यान्न निर्यातकों के लिए निर्मित खाद्यान्न निर्यात की नयी मांग के कारण 31 मार्च तक चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि निर्यात के 43 अरब डॉलर के लक्ष्य को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है. साथ ही, आगामी वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात के 60 अरब डॉलर के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को भी हासिल करने के लिए तेजी से आगे बढ़ा जा सकेगा. उम्मीद है कि आगामी वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन को लगातार ऊंचाई पर ले जाते हुए खाद्यान्न निर्यात को कच्चे तेल की तरह विदेशी मुद्रा की कमाई का चमकीला स्रोत बनाये जाने के लिए रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ा जायेगा.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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