भारत में 640 से अधिक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज है, पर प्रत्यारोपण की सुविधाएं बड़े शहरों के कुछ अस्पतालों तक ही सीमित हैं.देश में अंग प्रत्यारोपण में बढ़ोतरी होना संतोषजनक है. वर्ष 2022 में 15 हजार से अधिक प्रत्यारोपण हुए. पहली बार इतनी बड़ी संख्या में किसी अन्य व्यक्ति के अंग को दूसरे व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया गया है. यह जानकारी देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि इस संख्या में सालाना 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
भारत में राष्ट्रीय, राज्य और क्षेत्रीय स्तरों पर प्रत्यारोपण संगठन हैं, लेकिन इसे बढ़ावा देने के लिए वर्तमान संरचना एवं दिशानिर्देशों में परिवर्तन की आवश्यकता है. हाल के समय में कुछ संशोधन हुए भी हैं, जैसे- अब आयु-संबंधी और स्थान विशेष का निवासी होने की बाध्यता समाप्त कर दी गयी. यह भी आवश्यक है कि सभी संबंधित संगठन बेहतर समन्वय से कार्य करें.
लोग प्रत्यारोपण के लिए प्रोत्साहित हों, इसके लिए जागरुकता प्रसार भी किया जाना चाहिए. हालांकि हमारे देश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा कामकाजी आयु वर्ग से है और युवा है, लेकिन बुजुर्गों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. उनके जीवन अच्छा हो, इसके लिए जागरुकता के साथ संचार को भी बेहतर किया जाना चाहिए. ऐसा करने से अंगदान करने के इच्छुक लोग आगे आ सकेंगे. इस पूरी प्रक्रिया में मीडिया और विभिन्न संस्थाओं का सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है.
स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं. इसमें अंग प्रत्यारोपण से जुड़े पाठ्यक्रमों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और संसाधनों का विस्तार भी किया जाना चाहिए. भारत में 640 से अधिक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज है, पर प्रत्यारोपण की सुविधाएं बड़े शहरों के कुछ अस्पतालों तक ही सीमित हैं. इस कारण बड़ी संख्या में लोग न तो अंगदान कर पाते हैं और न ही अधिकतर लोगों का प्रत्यारोपण हो पाता है. निश्चित ही अंगदान एक महादान है तथा इससे किसी के जीवन को नया अर्थ मिल जाता है.
साथ ही, अंगदान करने वाले व्यक्ति और उसके परिजनों को भी यह संतोष मिलता है कि उन्होंने किसी को जीवनदान दिया या उसके जीवन में रंग भर दिया. अगर संबंधित सुविधाएं बढ़ेंगी, तो हर साल लाखों लोगों के जीवन को बेहतर किया जा सकेगा और कई जिंदगियां बचायी जा सकेंगी. विशेषज्ञों और अस्पतालों की क्षमता बढ़ने से प्रत्यारोपण के मौजूदा खर्च में भी कमी आयेगी. लोगों को अंगदान के लिए उत्साहित करने के साथ मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रमों में भी इसे शामिल किया जाना चाहिए.
कुछ मेडिकल कॉलेजों में अंगदान के विभाग भी होने चाहिए. अस्पतालों में इच्छुक लोगों की सूची बने और उसे व्यापक नेटवर्क के साथ जोड़ा जाना चाहिए. हालांकि दान देने वाले व्यक्ति और उसके परिजनों को आदर दिया जाता है, पर उन्हें सार्वजनिक सम्मान देने की व्यवस्था भी होनी चाहिए.