12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कर संग्रहण में वृद्धि

कर संग्रहण में तकनीक के बढ़ते उपयोग से करदाताओं को भी सुविधा हुई है तथा पारदर्शिता भी बढ़ी है.

वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल और दिसंबर के बीच अग्रिम कर संग्रहण में पिछले साल इसी अवधि से 19.8 प्रतिशत की बड़ी बढ़ोतरी हुई है. पंद्रह दिसंबर तक कर संग्रहण का आंकड़ा 6.24 लाख करोड़ रुपये रहा है. इस राशि में 4.81 लाख करोड़ रुपये कॉरपोरेट टैक्स के तथा 1.42 लाख करोड़ रुपये व्यक्तिगत आयकर के शामिल हैं. इस आंकड़े में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि बैंकों से अतिरिक्त आंकड़े अभी इसमें समायोजित किये जाने हैं. कर संग्रह में बढ़ोतरी आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण संकेतक है. वर्तमान वित्त वर्ष की दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में उत्साहजनक बढ़त से यह स्पष्ट हो गया है कि इस वर्ष सकल घरेलू उत्पादन में वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रहेगी. इस वृद्धि के साथ भारत विश्व की उन कुछ अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है, जिनकी विकास दर सर्वाधिक है. अच्छा कर संग्रहण और उसमें उल्लेखनीय बढ़त से दो बातें इंगित होती हैं. एक, आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों में तेजी आ रही है तथा दो, कल्याण योजनाओं और विकास परियोजनाओं के व्यय के लिए सरकार के पास उतना राजस्व उपलब्ध है, जो उसका अनुमानित लक्ष्य है.

इस वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष करों के संग्रहण का लक्ष्य 18.20 लाख करोड़ रुपये रखा गया है, जो पिछले वित्त वर्ष के उपलब्ध आकलन से 9.6 प्रतिशत अधिक है. उल्लेखनीय है कि बजट प्रस्ताव में यह लक्ष्य 14.2 लाख करोड़ रुपये रखा गया था, जिसे बाद में संशोधित कर 16.5 और 16.61 लाख करोड़ रुपये किया गया. अब जो 18.20 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य है, वह कर संग्रहण के मामले में सरकार बढ़ते आत्मविश्वास का परिचायक है. उल्लेखनीय है कि चाहे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे अप्रत्यक्ष कर हों या आयकर जैसे प्रत्यक्ष कर, कराधान प्रणाली में बीते वर्षों में अनेक महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं. कर संग्रहण में तकनीक के बढ़ते उपयोग से करदाताओं को भी सुविधा हुई है तथा पारदर्शिता भी बढ़ी है. इससे टैक्स रिटर्न की प्रक्रिया बहुत बेहतर हुई है. इस कारण लोग अग्रिम कर जमा करने में हिचकते नहीं हैं. अर्थव्यवस्था के संबंध में यह रेखांकित जाना चाहिए कि महामारी का साया उतरने के बाद भू-राजनीतिक संकटों, आपूर्ति शृंखला में अवरोध तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार की अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि उल्लेखनीय गति से हो रही है. इसी कारण कर संग्रहण भी निरंतर बढ़ता जा रहा है. यदि निजी उद्योग अपने निवेश को बढ़ायें, तो कॉरपोरेट कर का संग्रहण भी बढ़ेगा. बढ़ते निवेश से रोजगार के अवसर भी बढ़ते जायेंगे और लोगों की आमदनी भी बेहतर होगी. उस स्थिति में अधिक लोग आयकर के दायरे में आ सकेंगे और राजस्व में प्रत्यक्ष योगदान कर पायेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें