विश्व आर्थिक मंच की 2023 की वार्षिक बैठक में बोलते हुए, देश के संचार मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में सृजित होते बड़े अवसर को भांपते हुए, भारत दुनिया के लिए एक प्रमुख सेमीकंडक्टर आपूर्तिकर्ता बनने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है. सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक कारों से लेकर बैलिस्टिक मिसाइलों और नई कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीकों तक हर चीज के महत्वपूर्ण घटक बन चुके हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार सेमीकंडक्टर उद्योग के अगले 6-7 वर्षों में एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जिससे विकास दर में बड़े पैमाने पर तेजी आएगी. अनुकूल परिदृश्य को भांपते हुए भारत सरकार ने पिछले कुछ महीनों में सेमीकंडक्टर उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये दीर्घावधि कार्यक्रम तैयार कर 76000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है.
सेमीकंडक्टर व्यवसाय पर नीदरलैंड, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ताइवान इत्यादि देशों का प्रभुत्व है. हाल में जर्मनी भी आइसीटी के उत्पादक के तौर पर तेजी से उभर रहा है. तेज तकनीकी विकास के कारण सेमीकंडक्टर अपरिहार्य बनता जा रहा है. वर्तमान में चिप की वैश्विक स्तर पर काफी कमी हो गई है, क्यूंकि मांग आपूर्ति से कई गुना ज्यादा बढ़ गयी है.
जुलाई 2022 में, अमेरिकी सीनेट ने 52 अरब डॉलर की उद्योग सब्सिडी के साथ घरेलू सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक विधेयक पारित किया. फ्रांस में, 5.7 अरब डॉलर के चिप व्यवसाय को पर्याप्त सरकारी समर्थन प्राप्त होने की उम्मीद है. प्रसिद्ध चिप निर्माता कंपनी इंटेल की अगले दशक में पूरे यूरोप में 80 अरब यूरो से अधिक निवेश की योजना है. अमेरिका सेमीकंडक्टर व्यवसाय को लेकर गंभीर होता जा रहा है.
पिछले वर्ष के अक्टूबर महीने में अमेरिकी प्रशासन ने चीन के साथ उच्च गुणवत्ता वाले सेमीकंडक्टर चिप्स के आयात, निर्यात, वितरण सहित अनुसंधान और विकास पर प्रतिबंध लगा दिया है. जाहिर है प्रतिबंध का उद्देश्य 5जी, रक्षा, आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स इत्यादि क्षेत्रों में चीन के प्रभाव को कम करना है.
सेमीकंडक्टर सिलिकॉन या जर्मेनियम जैसे शुद्ध तत्वों अथवा गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड जैसे यौगिक से बने होते हैं और सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों के संचालक के रूप में उपयोग में लाये जाते हैं. ये चिप्स वर्तमान में टीवी, फ्रिज, इसीजी मशीन जैसे सामान्य घरेलू उपकरणों से लेकर उड्डयन एवम वैमानिकी के अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा तक में उपयोग किये जाते हैं.
सेमीकंडक्टर चिप्स आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी युग के संवाहक है और एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल, संचार, स्वच्छ ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी एवम चिकित्सा उपकरणों सहित अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों के लिए आवश्यक बन चुके हैं. देश में सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिये, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन की स्थापना की गयी है. इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन के क्षेत्र में भारत को एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है.
भारत में सेमीकंडक्टर का वर्तमान बाजार 24 अरब डॉलर का है, जो विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2026 तक 80 अरब डॉलर के पार पहुंच जायेगा. वर्तमान में सेमीकंडक्टर की आवश्यक आपूर्ति शत प्रतिशत आयात से हो रही है. ‘सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम’ के विकास का समर्थन के लिए 10 अरब डॉलर के आवंटन के अलावा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वर्ष 2021 में डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव योजना की शुरुआत की,
जिसके अंतर्गत सेमीकंडक्टर डिजाइन में शामिल देश की न्यूनतम 20 घरेलू कंपनियों का पोषण कर अगले 5 वर्षों में 1500 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हासिल करने की सुविधा प्रदान की जायेगी. पिछले साल, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सेमीकंडक्टर निर्माण योजना की शर्तों को संशोधित कर सभी आवेदकों को निवेश या चिप के आकार पर ध्यान दिये बिना 50 प्रतिशत प्रोत्साहन की पेशकश की है. केंद्र सरकार,
भारत में बने सेमीकंडक्टर चिप की बिक्री के लिए अन्य देशों की सरकारों से बातचीत की योजना बना रही है. ये चर्चा वैसे देशों के साथ होगी, जिनके पास व्यापक सेमीकंडक्टर निर्माण की क्षमता नहीं है और जो वर्तमान में चीन और ताइवान जैसे देशों से चिप खरीद रहे हैं. विचार यह है कि उन देशों के उद्योग या तो भारत निर्मित सेमीकंडक्टर खरीदें या वरीयता दें.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 76,000 करोड़ रुपये के सेमीकंडक्टर निर्माण प्रोत्साहन योजना के तहत प्रोत्साहन के लिए आवेदन करने वाली संस्थाओं से भी पूछा गया है कि उनके उत्पादों की मांग कहां से आ सकती है.
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कई चुनौतियां भी हैं. सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले निर्माण एक बहुत ही जटिल और गूढ़ प्रौद्योगिकी क्षेत्र है. इसमें अत्यधिक पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, निवेश वापसी की लंबी अवधि और प्रौद्योगिकी में तेज बदलाव शामिल हैं. देश में चिप निर्माण के लिये आवश्यक चिप डिजाइन में प्रचुर मानव संसाधन उपलब्ध है लेकिन चिप निर्माण के लिए आवश्यक अभियंत्रण और अनुभव की कमी है.
डीआरडीओ और इसरो के पास अपने-अपने सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र हैं, लेकिन वे मुख्य रूप से संस्था की आंतरिक आवश्यकताओं के लिए हैं और दुनिया के नवीनतम सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्रों की तुलना में निम्न मानक वाले हैं. चिप निर्माण इकाइयों को कई अन्य संसाधनों जैसे लाखो लीटर स्वच्छ पानी, अत्यंत स्थिर बिजली आपूर्ति, बड़ा भूभाग और अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता नियमित तौर पर होती है.
बहरहाल भारत को बदलते वैश्विक परिदृश्य में सेमीकंडक्टर से संबंधित तीन चीजों पर विशेष ध्यान देना होगा. पहला, सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना तैयार कर मानव संसाधन को दक्ष बनाना. दूसरा बदलते भूमंडलीय समीकरण में विकसित देशों के साथ मिलकर देश में आधुनिक चिप निर्माण का शुरुआत करना. तीसरा, जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर सेमीकंडक्टर व्यवसाय को विश्व और मानव सभ्यता के हित में नियमित और नियंत्रित करना.