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पड़ोसियों को संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पड़ोसी पहले' की अपनी नीति को व्यापक संदर्भ देते हुए उन देशों को भी भारत का पड़ोसी माना है, जिनके साथ सुरक्षा, विकास और विश्वास का संबंध है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन और पाकिस्तान की आक्रामक गतिविधियों की ओर संकेत करते हुए फिर रेखांकित किया है कि राष्ट्र की संप्रभुता का सम्मान सर्वोच्च प्राथमिकता है. हमारे बहादुर सैनिकों ने पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा तथा चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा के उल्लंघन की कोशिशों का करारा जवाब दिया है. वर्ष 2017 में डोकलाम में 73 दिनों की तनातनी के बाद चीनी सैनिकों को वापस जाना पड़ा था, किंतु उनकी ओर से अतिक्रमण कर वास्तविक नियंत्रण रेखा की वर्तमान स्थिति को बदलने के प्रयास लगातार हो रहे हैं.

इसी वजह से कुछ महीने पहले लद्दाख में हिंसक झड़प की नौबत आ गयी. पिछले साल सरकार की ओर से संसद को जानकारी दी गयी थी कि 2016 और 2018 के बीच चीनी सेना ने 1025 बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की थी. बीते साल और इस साल भी उसका यह रवैया बरकरार रहा है. इसी तरह पाकिस्तान ने अकेले इस साल 10 जून तक नियंत्रण रेखा पर 2027 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है. पिछले साल यह संख्या 3168 रही थी. इन तथ्यों से जाहिर है कि हमारे ये दोनों पड़ोसी भारत को अस्थिर करने तथा उसकी संप्रभुता को चुनौती देने की नीति पर चल रहे हैं.

नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलाबारी कर पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों की कश्मीर में घुसपैठ कराने की कोशिश करता है. हालिया दिनों में इन हरकतों में बढ़ोतरी की एक वजह यह है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों एवं अलगावादियों पर लगाम लगने से पाकिस्तान बौखला गया है. दूसरी तरफ चीन नहीं चाहता है कि भारत इस क्षेत्र में और एशिया में उसके बरक्स बड़ी राजनीतिक, सामरिक और आर्थिक ताकत बनकर उभरे. इसलिए वह अपनी वर्चस्ववादी नीति के तहत भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाना चाहता है.

कोविड महामारी, पड़ोसियों के इलाकों में दखल तथा निवेश व निर्यात से देशों को दबाव में लाने की उसकी रणनीति ने आज विश्व समुदाय में उसकी साख पर बट्टा लगा दिया है. उसके यहां से पूंजी और उद्योग का पलायन हो रहा है तथा दुनिया उसकी नीतियों का हिसाब मांग रही है. पड़ोसियों के इस व्यवहार को देखते हुए भारत ने भी अपनी नीति में समुचित संशोधन किया है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में की है.

दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों के साथ हमारी समुद्री सीमाएं लगती हैं तथा उनके साथ हमारे संबंध भी अच्छे हैं. इसी तरह से अन्य कई देशों के साथ सुरक्षा, विकास और विश्वास में हमारा गहरा सहयोग है. प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पड़ोसी पहले’ की अपनी नीति को व्यापक संदर्भ देते हुए इन सभी देशों को भारत का पड़ोसी माना है. भारत ने हमेशा ही पड़ोसी देशों तथा विश्व के अन्य भागों से शांति और सहयोग की आकांक्षा की है ताकि क्षेत्रीय विकास को सुनिश्चित किया जा सके. आशा है कि इस संदेश के निहितार्थों को चीन और पाकिस्तान भी समझेंगे.

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