25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बजट से मध्यम वर्ग को उम्मीद, पढ़ें डॉ जयंतीलाल का खास लेख

Budget : उम्मीद यह भी है कि वित्त मंत्री नये टैक्स रिजीम के तहत 10 लाख रुपये तक की कमाई को टैक्स फ्री कर सकती हैं. मध्यवर्ग के खर्च और निजी उपभोग का देश की विकास दर से सीधा संबंध है. कोरोना के बाद से मध्यवर्ग के पास अपने उपभोग खर्च के बाद निवेश में लगातार कमी आ रही है.

Budget : इन दिनों पूरे देश के साथ मध्यवर्ग की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को पेश किये जाने वाले केंद्रीय बजट 2025-26 की ओर लगी हुई है. यह दिखाई दे रहा है कि देश के विकास का इंजन कहे जाने मध्यवर्ग की मुट्ठियों में धन की कमी के कारण उनके निजी उपभोग पर होने वाले खर्च में गिरावट से विकास दर प्रभावित हो रही है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री बजट के माध्यम से टैक्स में कटौती और वित्तीय प्रोत्साहनों से आयकरदाताओं और मध्यवर्ग की क्रयशक्ति बढ़ा कर, मांग में वृद्धि कर अर्थव्यवस्था को गतिशील करने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए दिखाई देंगी.

उम्मीद यह भी है कि वित्त मंत्री नये टैक्स रिजीम के तहत 10 लाख रुपये तक की कमाई को टैक्स फ्री कर सकती हैं. मध्यवर्ग के खर्च और निजी उपभोग का देश की विकास दर से सीधा संबंध है. कोरोना के बाद से मध्यवर्ग के पास अपने उपभोग खर्च के बाद निवेश में लगातार कमी आ रही है. जीवनशैली को बनाये रखने की लागत में तेज वृद्धि ने इस वर्ग की वित्तीय मजबूती कम की है. बढ़ती हुई खुदरा महंगाई ने भी इन पर वित्तीय दबाव बढ़ा दिया है. पिछले वर्ष में खाद्य पदार्थों की खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के निर्धारित मानक से अधिक रही. निजी उपभोग में कमी ने निजी पूंजीगत व्यय के चक्र की रफ्तार घटा दी है. कोविड के बाद मध्यवर्ग की कमाई में कमी आयी है. साथ ही बढ़ती वित्तीय देनदारी और कर्ज की किस्त अदायगी का बोझ भी इस वर्ग पर बढ़ा है.

बेशक कोरोना के बाद मध्यवर्ग को राहत देने की मांग लगातार तेज हुई है. विगत वर्षों में सरकार ने जहां गरीब लोगों के लिए राहतों का एलान किया, वहीं कॉरपोरेट जगत पर भी ध्यान दिया, लेकिन सबसे अधिक टैक्स देने वाला मध्यम वर्ग पीछे छूट गया. इस वर्ग पर लगाये गये टैक्स की तुलना में इन्हें सार्वजनिक सेवाओं के जरिये लाभ कम ही दिया गया. इन्हें उपयुक्त कर राहत देने से एक आर्थिक चक्र बन सकता है. ऐसे में अपेक्षा की जा रही है कि आगामी बजट सरकार के लिए लक्षित कर सुधारों को आगे बढ़ाने, शहरी उपभोग मांग बढ़ाने और मध्यम वर्ग को सीधे लाभ पहुंचाने वाली सेवाओं को बढ़ाने वाला होगा. कर राहत से मध्यम वर्ग में खपत बढ़ेगी, इससे जीएसटी संग्रह में वृद्धि होगी और कर योग्य आय वालों का आधार बढ़ेगा.


गौरतलब है कि आगामी बजट के मद्देनजर वित्त मंत्री के पास मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए कर संग्रहण संबंधी मजबूत परिदृश्य मौजूद है. पिछले 10 साल में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या और आयकर की प्राप्ति में भारी वृद्धि हुई है. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर तक आयकर सहित प्रत्यक्ष कर संग्रहण करीब 16 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 16 फीसदी से भी ज्यादा है. आगामी वित्त वर्ष के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह में 12 प्रतिशत की, अप्रत्यक्ष करों में नौ फीसदी की, जीएसटी संग्रह में 10.5 प्रतिशत की और सीमा शुल्क में पांच फीसदी की वृद्धि का अनुमान है.

ऐसे में मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में कटौती और टैक्स ढांचे को आसान बनाकर खर्च और बचत बढ़ाने की कोशिश इस बजट में दिखायी दे सकती है. वेतनभोगी वर्ग को लाभान्वित करने के विशेष प्रावधान भी नये बजट में दिखायी दे सकते हैं. नयी टैक्स रिजीम के तहत आयकर स्लैब में और बदलाव हो सकता है, ताकि अधिक से अधिक करदाता इसे अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें. जैसे, 30 प्रतिशत की दर को 20 लाख रुपये से अधिक की आय वालों पर लागू किया जाना लाभप्रद होगा. आयकर से संबंधित पुराने टैक्स रिजीम के अंतर्गत विभिन्न टैक्स छूटों में भी वृद्धि की जा सकती है. खासकर धारा 80सी के तहत छूट बढ़ायी जा सकती है. इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानक कटौती) की लिमिट भी बढ़ायी जा सकती है. अभी पुरानी व्यवस्था में नौकरीपेशा लोगों और पेंशनधारकों को 50,000 रुपये तक की छूट दी जाती है. नयी टैक्स रिजीम के तहत 75,000 रुपये की कटौती का लाभ मिलता है. मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) में छूट का दायरा बढ़ाकर एक लाख रुपये किया जा सकता है.


बेशक कर सुधारों से आयकर संग्रह में आशातीत वृद्धि हुई है, पर अब भी आयकर के कर दायरे में इजाफा किये जाने की संभावनाएं हैं. वित्त मंत्री बजट में आयकर के दायरे का विस्तार करने की नयी रणनीति का एलान कर सकती हैं. बड़ी संख्या में उद्योग-कारोबार से जुड़े और कमाई करते लोग महंगी, आरामदायक और विलासिता की वस्तुओं का उपयोग करने वाले तथा पर्यटन के लिए विदेश यात्रा करने वाले लोगों में से भी बड़ी संख्या में लोग आयकर न देने का प्रयास करते हैं या फिर बहुत कम आयकर देते हैं. स्थिति यह है कि 2023-24 में 140 करोड़ से अधिक लोगों में से सिर्फ 8.09 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किये. इनमें से भी 4.90 करोड़ लोगों ने शून्य कर योग्य आय की सूचना दी और सिर्फ 3.19 करोड़ लोगों ने ही आयकर दिया. ऐसे में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आयकर का योगदान बहुत कम बना हुआ है. जबकि दुनिया की कई छोटी-छोटी अर्थव्यवस्थाओं में भी आयकर का उनकी जीडीपी में बड़ा योगदान है.


महत्वपूर्ण बात यह है कि वित्त मंत्री बजट सत्र में नया आयकर कानून भी पेश कर सकती हैं, जो मौजूदा कानून में सिर्फ संशोधन नहीं होगा, बल्कि एक नया कानून होगा. इसके तहत अनावश्यक और अप्रचलित प्रावधानों को हटाया जायेगा, कर विवाद कम किये जायेंगे और करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाया जायेगा. इसका मकसद मौजूदा इनकम टैक्स, 1961 को आसान, स्पष्ट और समझने योग्य बनाना है.

हम उम्मीद करें कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री एक ओर छोटे आयकरदाताओं को राहत देती नजर आयेंगी, दूसरी तरफ, वह ऐसे करदाताओं को चिह्नित करते हुए भी दिखाई देंगी, जो योग्य आमदनी को छिपाते हुए या तो आयकर नहीं देते या फिर वास्तविक कमाई से कम पर आयकर देते हैं. हम यह उम्मीद करें कि आगामी बजट में छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग को टैक्स राहत अवश्य दी जायेगी. इससे इस वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ेगी और यह बढ़ी हुई क्रयशक्ति खपत में वृद्धि करेगी, जो विकास दर को बढ़ायेगी और इस कारण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें