प्रवीण सिन्हा, वरिष्ठ खेल पत्रकार
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वर्ष 2008 में जब इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की शुरुआत हुई थी, तो इसे एक अनोखे प्रयोग के तौर पर देखा गया था. लेकिन, इस टूर्नामेंट ने पहले ही सत्र में जता दिया था कि युवाओं के लिए रातों-रात नायक बनने और विश्व क्रिकेट में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने का यह सबसे सशक्त मंच है. आइपीएल के जरिये कितने ही युवा भारतीय क्रिकेटरों को न केवल पहचान मिली, बल्कि रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन, जसप्रीत बुमराह, युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव जैसे तमाम धुरंधरों के लिए राष्ट्रीय टीम में प्रवेश का रास्ता भी खुला.
इस महामारी में जहां कुछ खेल आयोजनों के शुरू होने में संशय था, वहीं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने आइपीएल कराने का जोखिम उठाया. हालांकि, खाली पड़े स्टेडियमों के बीच इस आयोजन के पूरी तरह सफल होने का दावा अब भी नहीं किया जा सकता. लेकिन, कुछ युवा खिलाड़ियों ने अपने दमदार प्रदर्शन से भारतीय क्रिकेट जगत में ताजी बयार बहा दी है.
अब तक प्रतिवर्ष एक-दो युवा खिलाड़ी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहते थे. लेकिन इस बार शुभमन गिल, राहुल तेवतिया, देवदत्त पडिक्कल, ईशान किशन, युवा लेग स्पिनर रवि बिश्नोई और राहुल चहर जैसे नये सितारे उभरकर सामने आये हैं. इनके साथ-साथ संजू सैमसन, मयंक अग्रवाल, पृथ्वी शॉ, नवदीप सैनी और शिवम दुबे ने आइपीएल के पहले पखवाड़े में ही सीनियर खिलाड़ियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.
लंबे समय तक मैदान से बाहर और प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से दूर रहने के कारण कई सीनियर खिलाड़ी प्रतिभा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. विकेट का मिजाज और उमस भरे संयुक्त अरब अमीरात के मौसम के बीच अधिकांश खिलाड़ी संघर्ष करते दिख रहे हैं. खाली स्टेडियम और दर्शकों के उत्साहवर्धन का अभाव भी इन सीनियर खिलाड़ियों पर असर डाल रहा है. लेकिन धूमकेतु की तरह उभरे इन युवा खिलाड़ियों की तारीफ करनी होगी, जो मैच-दर-मैच अपना प्रदर्शन बेहतर करते जा रहे हैं.
इन युवा खिलाड़ियों ने टीम प्रबंधन के विश्वास पर खरा उतरने की जैसे ठान ली है. उन्मुक्त अंदाज में उनका बल्ला चलना या फिर अपनी गेंदों से विश्वस्तरीय खिलाड़ियों को चकमा देना हैरत में डालता है. जहां विराट कोहली, एमएस धोनी और शिखर धवन जैसे धुरंधर अभी तक अपनी लय हासिल करने के लिए जूझ रहे हैं, वहीं देवदत्त पडिक्कल, संजू सैमसन, मयंक अग्रवाल और ईशान किशन के बल्लों से निरंतर रन बरस रहे हैं. इन युवा प्रतिभाओं ने निर्भीकता का परिचय देते हुए भारतीय क्रिकेट को एक नया आयाम दिया है.
यह सुखद परिवर्तन का दौर है. कोरोना संकट के दौर में एक बार फिर से लोगों ने टीवी सेट के सामने बैठ आइपीएल के रोमांच का लुत्फ उठाना शुरू कर दिया है. तमाम अनिश्चितताओं के बीच भी, खेल प्रेमियों के बीच यह चर्चा है कि इस बार कौन सी टीम नॉकआउट दौर में प्रवेश करने में सफल रहेगी और कौन से टीम बढ़ती उम्र के खिलाड़ियों के सहारे अपना मुकाम हासिल करने से चूक सकती है.
बहरहाल, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के देवदत्त पडिक्कल, राजस्थान रॉयल्स के ऑलराउंडर राहुल तेवतिया, मुंबई इंडियंस के ईशान किशन और रवि बिश्नोई जैसे युवाओं की विशेष प्रतिभाएं इस बार उभरकर सामने आयी हैं. घरेलू क्रिकेट के पिछले सत्र में ही देवदत्त ने मुश्ताक अली टी-20 टूर्नामेंट में 175 से भी ज्यादा के स्ट्राइक रेट से सर्वाधिक 580 रन बनाकर सुर्खियां बटोरी थीं. इस बार आइपीएल में देवदत्त को सीधे बल्ले से खेलते देख, उनमें बाएं हाथ के स्टार बल्लेबाज मैथ्यू हेडन की कलात्मकता और युवराज सिंह की आक्रामकता की झलक मिल रही है. देवदत्त और शिवम दुबे जैसे युवा बल्लेबाज, जिस सहजता से जसप्रीत बुमराह, जेम्स पैटिनसन जैसे विश्व स्तरीय गेंदबाजों पर प्रहार करते दिखे, वह हैरतअंगेज था.
कमोबेश उसी उन्मुक्त अंदाज में मुंबई इंडियंस के ईशान किशन ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ 58 गेंदों पर 99 रनों की धमाकेदार पारी खेलकर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है. उन्होंने युजवेंद्र चहल, एडम जम्पा और नवनीत सैनी जैसे विश्वस्तरीय गेंदबाजों पर मनमाने ढंग से रन बटोरे. इन युवाओं से दो कदम आगे निकलते हुए राजस्थान रॉयल्स के ऑलराउंडर राहुल तेवतिया ने वेस्टइंडीज के घातक तेज गेंदबाज कॉट्रेल के एक ओवर में पांच छक्के लगाये और किंग्स इलेवन पंजाब से जीत छीन ली. राहुल आक्रामक बल्लेबाज होने के साथ भरोसेमंद लेग स्पिनर भी हैं.
जहां तक गेंदबाजी का प्रश्न है, तो लेग स्पिनर रवि बिश्नोई को किंग्स इलेवन पंजाब ने दो करोड़ की बोली लगा अपनी टीम में शामिल किया था, जो सार्थक होता दिख रहा है. रवि ने इसी साल अंडर-19 विश्व कप के छह मैचों में 17 विकेट लिया था. इस बार आइपीएल में वे चतुराई भरी लेग स्पिन के साथ बेहतरीन गुगली से शीर्षस्थ बल्लेबाजों को अपनी जाल में फंसाते नजर आ रहे हैं. मुंबई इंडियंस के 21 वर्षीय लेग स्पिनर राहुल चहर ने भी अपनी प्रतिभा के अनुरूप गेंदबाजी जारी रखी है.
अपनी सटीक लाइन-लेंथ की बदौलत राहुल कप्तान रोहित शर्मा का विश्वास जीतने में सफल रहे हैं. इसी कारण रोहित अक्सर राहुल को पावरप्ले के दौरान गेंद थमाने में संकोच नहीं करते हैं. शुरुआती तीन मैचों में चार-चार विकेट अपने नाम कर चुके चहर और बिश्नोई मजबूत भारतीय स्पिन परंपरा को आगे बढ़ाने में सक्षम नजर आ रहे हैं. साथ ही, कुलदीप यादव और अक्षर पटेल जैसे स्थापित स्पिनरों के लिए खतरा भी नजर आ रहे हैं.