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महामारी से लड़ाई और सेंट लुईस

दुनियाभर में 1918-19 में फैलीस्पैनिश फ्लू की महामारी के दौरान सेंट लुईस शहर ने जो कदम उठाये थे,उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है, क्योंकि इस शहर ने जो कदम उठाये थे, उसकेकारण महामारी के दौरान अमेरिका में सबसे कम मौतों वाले शहरों में सेंटलुईस का जिक्र होता है

जे सुशील, स्वतंत्र शोधार्थी

jey.sushil@gmail.com

आम तौर पर हर शहर की अपनी खूबियां होती हैं. उनके दर्शनीय स्थल होते हैं.उनकी बड़ी हस्तियां होती हैं. अमेरिका के जिस शहर में मैं रहता हूं,उसमें भी ये सारी चीजें हैं, लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण है एक महामारी सेलड़ने में सेंट लुईस शहर की भूमिका. दुनियाभर में 1918-19 में फैलीस्पैनिश फ्लू की महामारी के दौरान सेंट लुईस शहर ने जो कदम उठाये थे,उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है, क्योंकि इस शहर ने जो कदम उठाये थे, उसकेकारण महामारी के दौरान अमेरिका में सबसे कम मौतों वाले शहरों में सेंटलुईस का जिक्र होता है.स्पैनिश फ्लू कहां से शुरू हुआ, इसको लेकर इतिहासकारों में मतभेद है.

कुछइतिहासकारों का मानना है कि यह फ्रांस से शुरू हुआ, जबकि कुछ इतिहासकारोंके मतानुसार यह यूरोप और अमेरिका में शुरु हुआ था. हालांकि, इस बात पर एकराय है कि अमेरिका में स्पैनिश फ्लू का पहला मामला सेंट लुईस से थोड़ीदूर कैंसास सिटी के फोर्ट राइली कैंप में पाया गया था, जो सेना का कैंपथा. सैनिक जब अमेरिका से पहले विश्वयुद्ध के लिए यूरोप गये, तो इस दौरानबीमारी पूरे अमेरिका में और यूरोप में भी फैल गयी. स्पैनिश फ्लू दो झटकोंमें आया था. पहले जून के महीने में और उसके बाद सितंबर के महीने में, जोअधिक घातक साबित हुआ था. चूंकि पहला विश्वयुद्ध जारी था, तो यूरोप के देशइस बीमारी के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं कर रहे थे.

स्पेन एकमात्र देशथा, जो उस समय न्यूट्रल था यानी युद्ध में शामिल नहीं था और इस बीमारी केबारे में रिपोर्टिंग हो रही थी स्पेन से. माना जाता है कि इसी कारण इसेस्पैनिश फ्लू कहा गया. स्पैनिश फ्लू से दुनियाभर में पांच करोड़ लोगों केमरने का अनुमान है, जिसमें से करीब डेढ़ से दो करोड़ मौतें भारत में भीहुई थीं.स्पैनिश फ्लू के आज के कोविड-19 से लक्षणों के मामले में अलग नहीं था औरकमोबेश उसके फैलने की रफ्तार भी ऐसी ही थी. एकमात्र बड़ा अंतर इन दोनोंबीमारियों में यह देखा गया है कि स्पैनिश फ्लू से बीस से चालीस साल केलोग सबसे अधिक प्रभावित हुए थे, जबकि कोरोना वायरस के संक्रमण से बुजुर्गलोगों के प्रभावित होने की संभावना ज्यादा दिख रही है.

अमेरिका मेंसितंबर के महीने में बीमारी फैलने लगी थी और अक्तूबर के महीने तक बीमारीने विकराल रूप धारण कर लिया था. चूंकि सेंट लुईस उस जमाने में एक बड़ाशहर था और शिकागो की तरह एक बड़ा व्यापारिक केंद्र भी, इसलिए सेंट लुईसमें इस महामारी से निपटने के लिए कड़े कदम उठाये गये थे.स्थानीय अखबार सेंट लुईस पोस्ट डिस्पैच के अनुसार, उस समय शहर के हेल्थकमिश्नर डॉ मैक्स सी स्टार्कलॉफ ने बड़ा फैसला किया और यह तय किया कि शहरके हर स्कूल, कॉलेज, पब और स्थानीय व्यवसाय को बंद कर दिया जाये. उस समयसेंट लुईस की आबादी अस्सी हजार थी और वह अमेरिका के शीर्ष दस शहरों मेंगिना जाता था. स्टार्कलॉफ ने घोषणा की कि शहर का हर चर्च रविवार कीप्रार्थना के लिए भी न खोला जाये.

शहर के थियेटर मालिक, संगीतकार औरमनोरंजन करनेवाले लोगों ने कोरेंटिन का विरोध किया और कहा कि इससे उनकेकरियर दांव पर लग जायेंगे. थियेटरमालिकों ने हवाला दिया कि वे सबसे अधिकटैक्स देते हैं, इसलिए उनकी बात सुनी जानी चाहिए, मगर स्टार्कलॉफ ने किसीकी भी बात नहीं मानी.इसका नतीजा यह हुआ कि शहर को लगभग लगभग बंद कर दिया गया. डॉक्टर ने नवंबरमें पूरे शहर का लॉकडाउन कर दिया और सिर्फ बैंक, पोस्ट ऑफिस, अखबार औरअंतिम संस्कार करनेवाले बिजनेस को खोलने की अनुमति दी गयी. इन सारेउपायों की वजह से बीमारी जल्दी ही नियंत्रण में आने लगी.

इसकी तुलना मेंअमेरिका के बड़े शहर फिलाडेल्फिया के अधिकारियों ने क्या किया, वह देखाजाना चाहिए. फिलाडेल्फिया के अधिकारियों ने पहले तो महामारी से जुड़ीखबरें छुपायीं और स्पैनिश फ्लू से होनेवाली मौतों को कम कर के आंका. साथही सितंबर के अंत में लिबर्टी लोन परेड के आयोजन की अनुमति भी दे दी गयी.इस परेड में हजारों लोग शामिल हुए थे. अलग अलग रिपोर्टें बताती हैं कि उसपरेड के कारण स्पैनिश फ्लू फिलाडेल्फिया में तेजी से फैला और अगले दसदिनों में ही शहर में हजारों लोगों की मौत हुई. स्पैनिश फ्लू से मरनेवालेलोगों की संख्या सबसे अधिक रही फिलाडेल्फिया और न्यूयार्क में, जबकि सेंटलुईस, मिल्वाउकी जैसे शहरों में लॉकडाउन के कारण कई जानें बचाने मेंसफलता मिली.

फिलाडेल्फिया में जहां प्रतिशत के हिसाब से हजार में से आठसौ लोग मारे गये, वहीं सेंट लुईस में यह संख्या हजार में साढ़े तीन सौलोगों की रही.महामारी से निपटने के इस शहर के अनुभव ने कोरोना वायरस से हुए संक्रमण केसमय में भी बड़ी भूमिका निभायी है. शहर में सोशल डिस्टैंसिंग के आदेशमार्च महीने में ही जारी किये गये थे, जिसका लोगों ने कड़ाई से पालनकिया. सेंट लुईस मिशूरी राज्य में है, जहां अभी कोरोना संक्रमण सेमरनेवालों की संख्या बाकी राज्यों की तुलना में कम है. परंतु न्यूयार्कजैसे बड़े शहरों ने अपने पुराने अनुभव से और अमेरिकी इतिहास से कुछ नहींसीखा और अप्रैल महीने तक भी सारे बिजनेस बंद नहीं किये गये हैं.

नतीजा यहहुआ है कि न्यूयार्क शहर में में बीस हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं.सेंट लुईस जैसे शहरों में इस समय ग्रोसरी स्टोर, मेडिकल दुकानें खुली हुईहैं और बसों व ट्रेनों को चलाया जा रहा है, ताकि गरीब लोगों को कोईदिक्कत नहीं हो. सोशल डिस्टैंसिग को भी कड़ाई से लागू करवाया जा रहा है.स्थानीय प्रशासन की यह कोशिश है कि जो जरूरी सेवाएं हैं, वे सुचारु रूपसे चलती रहें. चूंकि अमेरिका में लोग हफ्ते में तीन चार दिन बाहर से खानाखाते हैं, इसलिए रेस्टोरेंट्स में खाना बनाने और ऑनलाइन खाना देने कीअनुमति है. इस तरह से शहर बिजनेस का ख्याल रखते हुए भी कोरोना परनियंत्रण करने में सफल होता दिखायी दे रहा है.(ये लेख्रक के निजी विचार हैं.)

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