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सर्वकालिक महानतम खिलाड़ी पेले

उनसे हुई दो मुलाकातें मेरे लिए अविस्मरणीय हैं. मैंने महसूस किया कि इतनी लोकप्रियता और धन-दौलत के बावजूद उनमें वहीं विनम्रता है, जो कभी उनके गरीबी के दिनों में सड़कों और गलियों में फुटबॉल खेलते हुआ करती होगी.

ब्राजील के लिए तीन बार फुटबॉल विश्व कप जीतने वाले पेले महानतम खिलाड़ी रहे हैं, यह हम सभी जानते हैं और मानते हैं. इस खेल के इतिहास में वह एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जो तीन विश्व कप में विजेता टीम के हिस्सा रहे. जब 1958 में उनकी टीम ने पहला विश्व कप जीता था, तो उनकी आयु केवल 17 साल थी. यह भी एक रिकॉर्ड है, जो आज तक बरकरार है. उनके 812 आधिकारिक मैचों में 757 एनओजॉल हैं. ब्राजील के लिए उन्होंने 92 आधिकारिक खेलों में 77 गोल किये, जो कतर में हुए इस साल के विश्व कप से पहले तक एक खिलाड़ी का सबसे अधिक स्कोर था.

ब्राजील के नेमार ने इस आयोजन में उस स्कोर को छू लिया है. वह सांतोस क्लब की ओर से खेला करते है. अपने क्लब के लिए पेले ने 659 मैचों में 643 गोल किये थे. साल 1959 में ही उन्होंने सांतोस के लिए 127 गोल किया था. इस रिकॉर्ड को दिसंबर, 2020 में बार्सिलोना के लिए खेलने वाले मेसी ने तोड़ा था. ऐसे कई रिकॉर्ड हैं, जो उनकी अतुलनीय प्रतिभा को दर्शाते हैं. उन्हें यूरोपीय क्लब ब्राजील से न ले जा सकें, इसके लिए 1961 में उन्हें आधिकारिक राष्ट्रीय बहुमूल्य संपत्ति घोषित कर दिया गया था.

मैं 1995 में ब्राजील के रियो में था, जहां फीफा द्वारा प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का आयोजन था. उस प्रशिक्षण में अफ्रीका और एशिया के कोच शामिल हुए थे. उस समय कुछ देर के लिए पेले से मिलने और बात करने का बहुत सौभाग्यपूर्ण अवसर मिला था. उन्होंने मुझे शुभकामनाएं दीं और कहा कि मैं भारत जाकर एक ऐसी अच्छी टीम तैयार करने में योगदान दूं, जो विश्व कप में भागीदारी करे. उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक विशाल देश है और प्रतिभाओं की कमी नहीं है.

ब्राजील जाकर ही मुझे यह अहसास हुआ कि वहां फुटबॉल को लेकर लोगों में किस हद की दीवानगी है और इसमें पेले के करिश्माई खेल और व्यक्तित्व का भी बड़ा योगदान है. जब हम लोग उनसे बातें कर रहे थे, तभी कुछ और लोग भी आ गये और पेले उनसे बात करने लगे.

कुछ दूर से यह सब जॉर्जिनो देख रहे थे, जो खुद बहुत बड़े खिलाड़ी रहे हैं. उन्होंने हमारी मायूसी को समझा और हमसे बातें करने आ गये. वे बाद में भी हमसे मिले थे. उन्होंने पेले के खेल और व्यक्तित्व के बारे में तथा ब्राजील में फुटबॉल संस्कृति को लेकर हमें बहुत जानकारियां दीं. उस प्रशिक्षण शिविर में परीक्षा के तौर पर हर कोच को एक टीम दी जाती है. मुझे ब्राजील की अंडर-16 की टीम मिली थी.

पेले 1975 में भारत आये थे और कोलकाता में मैच भी खेले थे. वह आयोजन तो हम नहीं देख सके थे, लेकिन वे 2015 सुब्रतो फुटबॉल आयोजन में आये थे, तब फिर हमें उन्हें देखने और कुछ देर बातें करने का मौका हासिल हुआ. उस समय मैं उस आयोजन से चयनकर्ता के रूप में जुड़ा हुआ था. हम भी वीआइपी सेक्शन में ही थे, पर तमाम लोग पेले से एक सेकेंड के लिए मिलने के बेताब थे. यह स्वाभाविक ही था, क्योंकि वैसे व्यक्तित्व के दर्शन रोज-रोज नहीं होते. उनकी सुरक्षा भी बहुत थी.

जब मैंने पुर्तगीज भाषा में उनका अभिवादन किया, तो वह रुक गये और औपचारिक बातचीत की. उनसे हुई दो मुलाकातें मेरे लिए अविस्मरणीय हैं. मैंने महसूस किया कि इतनी लोकप्रियता और धन-दौलत के बावजूद उनमें वहीं विनम्रता है, जो कभी उनके गरीबी के दिनों में सड़कों और गलियों में फुटबॉल खेलते हुआ करती होगी. उनकी मेहनत और सादगी हर खिलाड़ी के लिए एक आदर्श होना चाहिए. हिमालय जैसी सफलताओं के बावजूद उनकी निजी जिंदगी में दुख का हिस्सा भी रहा. उनके पुत्र नशे की लत से तबाह हुए.

खेल से संन्यास लेने के बाद भी पेले ब्राजील के फुटबॉल से संबद्ध रहे. लैटिन अमेरिका ही नहीं, दुनिया भर में वह फुटबॉल के लिए हमेशा उपलब्ध रहे तथा खिलाड़ियों की कई पीढ़ियों को प्रोत्साहित किया. वह जरूरतमंद खिलाड़ियों को मदद देने के लिए भी हमेशा तत्पर रहा करते थे. पेले के खेल में एक नैसर्गिक आभा थी,

जिसने उन्हें दुनिया का पहला वैश्विक स्पोर्ट्स स्टार बना दिया तथा वह फुटबॉल की सीमाओं से निकल कर सर्वकालिक महानतम खिलाड़ी और एथलीट माने गये. इस संदर्भ में उनकी तुलना केवल और केवल असाधारण बॉक्सर मोहम्मद अली से की जा सकती है. आज उनके मैचों के वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध हैं, जिन्हें देख कर युवा खिलाड़ी बहुत कुछ सीख सकते हैं. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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