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गठबंधन की पहली परीक्षा में प्रधानमंत्री मोदी पास

उत्तर प्रदेश के नौ मंत्रियों में से अकेले राजनाथ सिंह कैबिनेट मंत्री हैं. वैसे प्रधानमंत्री मोदी खुद भी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से ही सांसद हैं. उनके गृह राज्य गुजरात से भी छह मंत्री बनाये गये हैं.

देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने 1952,1957 और 1962 में लगातार तीन बार देश की सत्ता संभाली थी. साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार शपथ लेकर पंडित नेहरू का रिकॉर्ड बराबर कर लिया. साल 2014 और 2019 में अकेले बहुमत मिलने के बावजूद भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ एनडीए सरकार बनायी थी, पर इस बार बहुमत के आंकड़े से पीछे छूट जाने के चलते गठबंधन सरकार मजबूरी बन गयी. मजबूरी ज्यादा बड़ी सिर्फ इसलिए नहीं है कि भाजपा के पास बहुमत नहीं है, बल्कि गठबंधन में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार जैसे सहयोगी भी हैं, जो गठबंधन राजनीति के माहिर सौदेबाज माने जाते हैं. इस लिहाज से नयी मंत्रिपरिषद पर नजर डालें, तो कहा जा सकता है कि मोदी अपनी पहली परीक्षा में सफल रहे हैं.

एनसीपी (अजित पवार) के सरकार में शामिल न होने से अवश्य महाराष्ट्र की भावी राजनीति को लेकर कुछ कयास लगाये जा सकते हैं. मात्र एक लोकसभा सीट जीत पाये अजित पवार की एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल को स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री पद का ऑफर दिया गया था, जिसे अतीत में कैबिनेट मंत्री रह चुके पटेल ने अस्वीकार कर दिया. अजित पवार सौदेबाजी करने की स्थिति में नहीं हैं. सो, इस साल अक्तूबर में विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि उनके गुट के एक दर्जन से भी ज्यादा विधायकों के शरद पवार के संपर्क में होने की खबरें हैं. शिवसेना तोड़ मुख्यमंत्री बनने वाले एकनाथ शिंदे कहीं अधिक कमजोर आंके जा रहे थे, पर लोकसभा चुनाव में उनका प्रदर्शन अजित पवार की एनसीपी से अच्छा रहा, जिसका पुरस्कार उन्हें एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री के रूप में मिला है. महाराष्ट्र से छह मंत्री बनाये गये हैं, जिनमें भाजपा की रक्षा खड़से भी हैं, जिनके श्वसुर एकनाथ खड़से शरद पवार की एनसीपी के एमएलसी हैं, पर वे अपनी पुरानी पार्टी भाजपा में वापसी करने वाले हैं. हरियाणा में भी अक्तूबर में विधानसभा चुनाव हैं, जहां से एक कैबिनेट मंत्री समेत तीन मंत्री बनाये गये हैं. दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले वर्ष फरवरी में है. वहां से एक राज्य मंत्री बनाया गया है.

मोदी सरकार में इस बार प्रधानमंत्री के अलावा 30 कैबिनेट मंत्री, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 36 राज्य मंत्रियों समेत कुल 71 मंत्री हैं. राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल जैसे पुराने चेहरे तय माने जा रहे थे, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सभी 29 लोकसभा सीटें जिताने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रूप में कुछ नये चेहरे भी शामिल हुए हैं. इस बार मोदी सरकार में पूर्व मुख्यमंत्रियों की संख्या पांच है. जीतन राम मांझी, सर्वानंद सोनोवाल और एचडी कुमारस्वामी भी क्रमश: बिहार, असम और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. मंत्री बने नड्डा का पार्टी अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है. नड्डा के मंत्री बनने के चलते ही शायद अनुराग ठाकुर का पत्ता कट गया है.

चार लोकसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश से एक से ज्यादा कैबिनेट मंत्री बनाये जाते, तो अन्य बड़े राज्यों में असंतुलन पैदा हो जाता. पिछली सरकार के सक्रिय मंत्रियों में शुमार अनुराग ठाकुर बड़बोले माने जाते हैं, पर आधुनिक राजनीति में वह तो नेता के पक्ष में जाता है. एक और बड़बोली मंत्री स्मृति ईरानी भी इस बार सरकार में नहीं हैं. वे इस चुनाव में कांग्रेस के एक अल्पज्ञात कार्यकर्ता किशोरी लाल शर्मा से हार गयीं. वैसे ऐन चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में आये रवनीत सिंह बिट्टू हार जाने के बावजूद राज्य मंत्री बनाये गये हैं. शायद भाजपा उन्हें पंजाब की राजनीति में अपने सिख चेहरे के रूप में आगे बढ़ाना चाहती है. बिट्टू आतंकवादी हमले में शहीद हुए पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पौत्र हैं. इसी रणनीति के तहत केरल में भाजपा का खाता खोलने वाले अभिनेता से राजनेता बने सुरेश गोपी को भी मंत्री बनाया गया है.

चुनाव हार जाने समेत कई कारणों से पिछली सरकार के 37 चेहरों को इस बार बाहर का रास्ता दिखाया गया है, जबकि 33 नये चेहरों की एंट्री हुई है. नये चेहरों में सहयोगी दलों के चिराग पासवान और जयंत चौधरी भी हैं. पिछली सरकार में चाचा पशुपति पारस को सत्ता सुख देने वाली भाजपा ने इस बार भतीजे चिराग की लोजपा से गठबंधन किया था. यह पार्टी बिहार में गठबंधन में मिली सभी पांच सीटें जीत गयी है. उत्तर प्रदेश में गठबंधन में मिली दोनों लोकसभा सीटें जीतने पर जयंत के हिस्से स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री का पद आया. राज्यवार देखें, तो बिहार के आठ मंत्रियों में से चार कैबिनेट मंत्री बनाये गये हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के नौ मंत्रियों में से अकेले राजनाथ सिंह कैबिनेट मंत्री हैं. वैसे प्रधानमंत्री मोदी खुद भी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से ही सांसद हैं. उनके गृह राज्य गुजरात से भी छह मंत्री बनाये गये हैं. इस बार मोदी सरकार के कुल 72 सदस्यों में से लगभग दस प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय से 42 मंत्री बनाये गये हैं. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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