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राहुल का पीड़ित कार्ड राजनीतिक है

शायद राहुल गांधी के सलाहकारों को लगता है कि पीड़ित कार्ड खेलने और मोदी पर सीधे हमला करने से राहुल को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी, जिससे उन्हें बेहद लोकप्रिय मोदी के एकमात्र प्रतिद्वंद्वी के रूप में स्थापित किया जा सकेगा.

राजनीतिक पीड़ित बोध सत्ता की राह पर हक जताने का एक शॉर्टकट है. यदि इसे बढ़ा दिया जाए, तो यह एक भावनात्मक चुंबक बन कर मायने रखते वालों से पीड़ित को जोड़ देता है. और, सड़क अहम है. क्रांति की शब्दावली में शहीद को जनता के चैंपियन के रूप में शीर्ष स्थान मिलता है. आम चुनाव के नजदीक आने के साथ राहुल गांधी और उनकी पार्टी बड़ी चतुराई से पीड़ित कार्ड खेल रही हैं. उनका खेल नरेंद्र मोदी को निशाना बनाकर प्रतिक्रिया से लाभ उठाने की है- राजनीतिक मोक्ष की ओर अग्रसर मसीहा की छवि वाले अपने नेता के लिए सहानुभूति इकट्ठा करने की कोशिश है.

पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने राहुल के भाषणों की जांच कर उन्हें और उनके सहयोगियों को नोटिस भेजा, जिसमें मोदी के खिलाफ अपमानजनक व्यक्तिगत टिप्पणी करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है. भाजपा ने अपनी शिकायत में आयोग से कहा था कि किसी भी व्यक्ति को जेबकतरा कहना न केवल गंभीर गाली और व्यक्तिगत हमला है, बल्कि उस व्यक्ति की चरित्र हत्या भी है. ऐसी टिप्पणी उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और जनता को गुमराह करने के स्पष्ट इरादे से की गयी है.

कांग्रेस ने आयोग के इस कदम को राहुल की नयी भाषण क्षमता और चुनावी कौशल को नियंत्रित करने और पंगु बनाने की साजिश बताया है. यह पहली बार नहीं है, जब राहुल को अपनी टिप्पणियों के लिए स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है. मोदी के उपनाम के खिलाफ की गयी अपमानजनक टिप्पणी के कारण उन्हें अपनी लोकसभा सीट और सरकारी बंगला खोना पड़ा था. उन्हें कोर्ट से ये दोनों वापस मिले. इससे वे रुके नहीं और प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों पर पहले से ज्यादा हमलावर हो गये. शायद उनके सलाहकारों को लगता है कि पीड़ित कार्ड खेलने और मोदी पर सीधे हमला करने से राहुल को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी, जिससे उन्हें बेहद लोकप्रिय मोदी के एकमात्र प्रतिद्वंद्वी के रूप में स्थापित किया जा सकेगा.

राजनीतिक लड़ाइयों के इतिहास में कभी भी राष्ट्र ने दो व्यक्तियों के बीच इतनी लंबी और कटु व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता नहीं देखी है. इस घोर शत्रुता ने वाद-विवाद के ताने-बाने पर अपमानजनक गाली का दाग पसार दिया है. पांच राज्यों के चुनाव की समाप्ति और 2024 की दौड़ शुरू होने के साथ राष्ट्रीय दलों के नेताओं के खिलाफ हमलों का जहरीला तेवर तेज हो गया है. अजीब बात है कि क्षेत्रीय पार्टियों ने आम तौर पर वैचारिक आख्यानों तक लड़ाई को सीमित कर खुद को संयमित रखा है. पर दोनों राष्ट्रीय पार्टियां व्यक्तिगत हमले कर रही हैं.

राहुल हर मंच पर लगातार मोदी पर हमला करने में चुनावी लाभ देखते हैं. राजस्थान में एक रैली में उन्होंने कहा: ‘पनौती, पनौती, पनौती (बुरा शगुन). हमारे खिलाड़ी विश्व कप जीतने के रास्ते पर थे, लेकिन पनौती ने उन्हें हरा दिया.’ उन्होंने यह कहकर भाजपा को फिर भड़का दिया: ‘जेबकतरा अकेला नहीं आता, हमेशा तीन लोग होते हैं. एक सामने से आता है, एक पीछे से और एक दूर से. मोदी का काम आपका ध्यान भटकाना है. वे टीवी पर सामने से आते हैं और हिंदू-मुस्लिम, नोटबंदी और जीएसटी को लेकर जनता का ध्यान भटकाते हैं. अडानी पीछे से आकर पैसे ले जाता है.’ एक अन्य सभा में उन्होंने मोदी के विकास के दावों पर कटाक्ष करते हुए कहा था, ‘अपने मोबाइल, शर्ट और जूते के टैग देखें, आपको ‘मेड इन चाइना’ लिखा मिलेगा.

क्या आपने कभी अपने कैमरे या शर्ट पर ‘मेड इन मध्य प्रदेश’ लिखा देखा है?’ प्रधानमंत्री इस पर चुप रहने वाले नहीं थे. उन्होंने चुटकी ली, ‘कल एक समझदार कांग्रेसी कह रहा था कि भारत के लोगों के पास सिर्फ चीन में बने मोबाइल फोन हैं. अरे, मूर्खों के सरदार तुम किस दुनिया में रहते हो? पता नहीं, वह कैसा चश्मा पहनता है कि वह भारत की प्रगति को नहीं देख सकता, जो दुनिया में मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है.’

यह विनाशकारी विमर्श केवल मौखिक नहीं है. पोस्टर और मीम युद्ध कहीं अधिक खराब हैं. पिछले महीने सोशल मीडिया पर कांग्रेस के एक वायरल पोस्टर पर प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ में लिखा हुआ था ‘सबसे बड़ा झूठा’. एक अन्य पोस्ट में मोदी और अमित शाह की तस्वीर के साथ लिखा हुआ था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जुमला बॉय’. भाजपा ने रामायण का सहारा लिया और एक पोस्टर में राहुल को 10 सिर वाले रावण के रूप में दिखाया. उसका शीर्षक था, ‘रावण- कांग्रेस द्वारा निर्मित, जॉर्ज सोरोस द्वारा निर्देशित. नये जमाने का रावण आ गया है. वह दुष्ट है, धर्म विरोधी, राम विरोधी है. उसका उद्देश्य भारत को नष्ट करना है.’ कांग्रेस ने तुरंत व्यक्तिगत हमले को राहुल के लिए सुरक्षा खतरा बताया.

गांधी के वफादार और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा- ‘उनके नापाक इरादे साफ हैं, वे उन्हें मारना चाहते हैं, जिनकी दादी और पिता की हत्या कर दी गयी थी. उन्होंने मामूली राजनीतिक लाभ के लिए उनकी एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली.’ अपने खोये हुए राजनीतिक स्थान को वापस पाने के लिए संघर्षरत कांग्रेस के लिए सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा राहुल पर ध्यान केंद्रित करना एक वरदान की तरह है. उसके नेता तब उत्साहित होते हैं, जब प्रधानमंत्री और उनकी मुख्य टीम अनजाने में अपने भाषणों में खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर बता कर राहुल को बढ़ावा देते हैं. वे चिंतित हैं कि राहुल, जो कभी एक कमजोर कड़ी थे, अब महत्वपूर्ण हो रहे हैं. कांग्रेस राहुल के सार्वजनिक आकर्षण से उत्साहित है और वह राहुल को सत्ता द्वारा परेशान किये गये पीड़ित के रूप में सोशल मीडिया पर पेश कर रही है. पार्टी को यकीन है कि सोशल मीडिया से राहुल की छवि बड़ी बन सकती है क्योंकि टीवी चैनल उन्हें अधिक जगह नहीं दे रहे हैं.

हालांकि राहुल के एक्स और यूट्यूब पर मोदी से कम फॉलोवर हैं, लेकिन कांग्रेस राहुल को लाइमलाइट में रखने के लिए समझदारी से पोस्ट जारी कर रही है. जैसे, पार्टी ने दावा किया कि संसद के पिछले सत्र में राहुल के भाषण को प्रधानमंत्री की तुलना में अधिक लोगों ने देखा था. राहुल लगभग एक दशक तक विश्वसनीयता और नेतृत्व क्षमता की कमी से पीड़ित रहे. भाजपा की राजनीतिक जीत में राहुल को ‘पप्पू’ कहने का बहुत बड़ा योगदान है. साल 2019 के बाद, लगता है कि उन्होंने खुद को फिर से खोज लिया है. भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद, राहुल ने स्वयं को वर्तमान नहीं, तो भविष्य के नेता के रूप में पेश करने के लिए मोदी के खिलाफ टकराव का रास्ता चुना है. पर निंदा की शब्दावली पीड़ित बोध को विषाक्त तथा लोकतांत्रिक विमर्श को गंदा कर रही है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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